उज्जैन। गुरु पूर्णिमा पर्व पर उज्जैन के महाऋषि सांदीपनि आश्रम में शिष्य और गुरु के प्रेम का अटूट रिश्ता देखने के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. गुरु सांदीपनि से यहां पर श्रीकृष्ण के साथ ही बलराम और सुदामा ने शिक्षा ग्रहण की थी. श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विद्याएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित कुल 64 दिन में 64 अलग-अलग कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली जरूर आते हैं.
श्री कृष्ण ने गोमती का जल प्रकट किया : श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद 11 वर्ष सात दिन की उम्र में अपने भाई बलराम के साथ उज्जैन के गुरु सांदीपनि के आश्रम में प्रवेश किया. यहीं पर उनकी मुलाकात सुदामा से हुई थी. जिसके बाद श्री कृष्ण ने 64 दिन में 64 कलाएं सीखी थीं. यहां बने कुंड में महाऋषि स्नान किया करते थे. यहीं भगवान कृष्ण अपनी स्लेट धोया करते थे. वहीं सांदीपनि को स्नान के लिए गोमती नदी जाना पड़ता था. तभी भगवान कृष्ण ने गोमती का जल यहां प्रकट किया था. इसलिए यहां घूमती कुंडली स्थित है.
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संगम के जल से गुरु सांदीपनि का स्नान : मंदिर के पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर्व पर सुबह पंचामृत अभिषेक पूजन हुआ. संगम के जल से भगवान सांदीपनि का स्नान कराया. गोमती नदी के जल से अभिषेक पूजन कर कोरोना जैसे महामारी की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसलिए औषधियों से भगवान सांदीपनि का पूजन और हवन किया. सुबह से ही बड़ी संख्या में बच्चों ने आकर स्लेट पाठ्य सामग्री का पूजन करवाया. गुरु शिष्य परम्परा की शुरुआत भगवान सांदीपनि ने की थी. इस कारण इस जगह को ब्रह्माण्ड का प्रथम विश्व विद्यालय माना जाता है. प्रथम कुलपति सांदीपनि और प्रथम छात्र के रूप में श्री कृष्ण ने शिक्षा अर्जित की थी.