उज्जैन। Delta Plus Variant Update प्रदेश में कोरोना और ब्लैक फंगस के बाद अब Delta Plus Variant दस्तक दे चुका है. उज्जैन जिले में डेल्टा प्लस वेरिएंट से 59 वर्षीय मरीज की मौत की पुष्टि भी शासन ने 23 जून को कर दी है. लेकिन महिला के 61 वर्षीय पति ने इस बीमारी से जंग जीत ली है. महिला के पति ने वैक्सीन लगवाई थी जिसके कारण इस वेरिएंट ने उन पर ज्यादा प्रभाव नहीं दिखाया. जिस महिला मरीज की मौत हुई उन्हें पहले से हाई बीपी, शुगर और थायराइड जैसी बिमारियां थी. महिला ने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई थी. जिसके कारण महिला की मौत हो गई.
- 6 दिन में ही हो गई महिला की मौत
महिला के दिलीप सिंह इंदौर की एक कंपनी में सिक्योरिटी ऑफिसर के पद पर तैनात है. 13 मई को दिलीप सिंह को हल्का बुखार के साथ तेज खांसी हुई जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने तीन दिन की दवाई दी, लेकिन आराम नहीं मिला. इस बीच दिलीप सिंह की पत्नी 59 वर्षीय इंद्रा बाई को भी बुखार और खांसी की शिकायत हुई. दोनों ने निजी लेब में जांच करवाई. जांच रिपोर्ट में 15 मई को दिलीप सिंह और 17 मई को उनकी पत्नी इंद्रा कोरोना पॉजिटिव हो गए. दो दिन में ही महिला को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. जिसके बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. 6 दिन बाद पत्नी इंद्रा बाई की मौत हो गई. महिला की मौत का मुख्य कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट था. जिसकी पुष्टि 23 जून की शासन की रिपोर्ट में हुई. लेकिन महिला पहले से ही हाई बीपी, शुगर और थायराइड जैसी बीमारी से ग्रसित थी. महिला के फेफड़ों में 95% तक इंफेक्शन हो गया था.
- महिला ने नहीं लगवाई थी कोरोना वैक्सीन
उज्जैन कलेक्टर का कहना है कि मई माह में जब कोरोना चरम पर था, तब बुजुर्ग दंपती में डेल्टा प्लस वेरिएंट की पुष्टि हुई थी. इनमें से पति को कोरोना का टीका लग चुका था. इस कारण वह ठीक हो गया, जबकि उसकी पत्नी ने टीका नहीं लगवाया था, उसकी एक हफ्ते में मौत हो गई. कलेक्टर ने बताया कि जिन मरीजों में यह वैरिएंट मिला था, उनकी कॉन्टैक्ट हिस्ट्री निकाली जा रही है. इनके परिजन और मिलने वालों पर नजर बनाए हुए हैं.
- एक महीने बाद हुई वेरिएंट की पुष्टि, पति ने जताया एतराज
मृतक महिला के पति दिलीप सिंह ने इस बात पर एतराज जताया कि जब डेल्टा प्लस वेरिएंट इतना खतरनाक है, तो इसकी सूचना उन्हें पत्नी की मौत के 1 महीने बाद क्यों दी गई. उनका कहना था कि इस बीच यदि परिवार के किसी और सदस्य के साथ अनहोनी हो जाती तो कौन जवाबदार होता? पत्नी को बीपी, शुगर और थायराइड जैसी बीमारी थी 6 दिन में ही 95 प्रतिशत इंफेक्शन के बाद मौत हो गई.
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- महिला की सेवा कर रहे बेटे को नहीं हुआ संक्रमण
मृत महिला के परिजनों का कहना है कि जिस डेल्टा प्लस वेरिएंट को खतरनाक बताया जा रहा है. उस वेरिएंट से महिला के बेटे को क्यूं कुछ नहीं हुआ? जबकि महिला का बेटा लगातर तीन दिन तक अपनी मां के साथ रहकर देखभाल करता रहा. बेटे ने बताया कि मां की तबीयत खराब होने के बाद वह लगातार सेवा करता रहा. मां के साथ रहा, लेकिन डेल्टा प्लस वेरिएंट का उस पर कोई असर नहीं हुआ. यहां तक की मां की सेवा में लगे रहे बेटे को कोरोना का जरा भी आभास नहीं हुआ. बेचे का कहना है कि मैंने कोरोना वैक्सीन लगवा रखी थी, जिस वजह से मैं सुरक्षित रहा.
- डॉक्टरों ने मौत का करण बताया हार्ट अटैक
उज्जैन के जिस अस्पताल में महिला की मौत हुई थी उस अस्पताल प्रबंधन ने महिला की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया था. महिला की बेटी ज्योति ने बताया कि गैर जिम्मेदाराना और लापरवाह प्रशासन ने डेल्टा प्लस वेरीएंट की जानकारी उन्हें पिछले रविवार को ही दी. अचानक जिला प्रशासन और भोपाल से फोन आना शुरू हुए, तो उन्हें पता लगा कि उनकी मां और पिता को जो संक्रमण हुआ था वो खतरनाक माने जाने वाला डेल्टा प्लस वेरिएंट था. उसकी वजह से ही मां की मौत हुई है.
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- अस्पताल ने परिजन से तीन दिन में वसुले 2.5 लाख रुपए
मृतका के पति दिलीप सिंह का कहना है कि संजीवनी अस्पताल में उनकी पत्नी को 2 दिन रखा, लेकिन वहां ना तो आईसीयू बेड उपलब्ध कराया गया और ना ही जरूरी जांच हुई. अस्पताल प्रबंधन ने दो बार सीटी स्कैन करवाने के लिए पत्नी को अन्य प्राइवेट अस्पताल में भेजने का प्रयास भी किया. लेकिन ऑक्सीजन लेवल अचानक गिरने के कारण सीटी स्कैन नहीं करवाया जा सका. अस्पताल ने 2 दिन का चार्ज लगभग डेढ़ लाख रुपया वसूला. इसके बाद उन्हें पाटीदार अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी गई. क्योंकि वहां पर सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. परिवार के सदस्य जब मरीज को पाटीदार अस्पताल में ले गए तो 1 दिन बाद वहां महिला की मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि 1 दिन का चार्ज एक लाख रुपए वसूला गया. 3 दिन में ढाई लाख रुपए खर्च करने के बावजूद महिला को नहीं बचाया जा सका.