उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन के धार्मिक नगरी होने के नाते यहां पर मनाए जाने वाले हर एक पर्व का अपना अलग ही महत्व होता है, क्योंकि उसका संबंध सीधा प्राचीन काल से जुड़ा होता है. ऐसे ही करवा चौथ पर गणेश पूजन के विशेष महत्व देखते हुए, महाकाल मंदिर से करीब 7 किलोमीटर दूर पौराणिक प्रसिद्ध चिंतामण गणेश का हर साल विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसमें भगवान गणेश को चांदी के वर्क से तैयार किया जाता है और चोला श्रृंगार के रूप में अर्पण किया जाता है, जो इस बार भी किया गया.
मंदिर के पुजारी और श्रद्धालुओं की आस्था
इस बार कार्तिक माह की चतुर्थी व बुधवार के संयोग से चिंतामण गणेश मंदिर में महिलाओं व अन्य श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ है, मंदिर के पुजारी गणेश गुरु ने मीडिया से चर्चा में बताया कि कार्तिक माह की चतुर्थी को करवा चौथ आता है. वहीं इस बार चतुर्थी व बुधवार के संयोग से मंदिर में महिलाओं का अन्य श्रद्धालुओं की भीड़ है. पूजारी का कहना है कि इसी संयोग पर भगवान गणेश की पूजन से भगवान प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
इस बार करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करने आयी है. वहीं आज भगवान गणेश को विशेष चांदी के वर्क से तैयार किया गया है, इस पर दर्शन करने आई महिलाओं और श्रद्धालुओं ने भी बुधवार को चतुर्थी के संयोग पर हुए भगवान गणेश के दर्शन लाभ पर खुशी जताई है.
अनलॉक-6 के बाद मंदिर में कोरोना गाइडलाइन के तहत भी श्रद्धालुओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है, जिसमें मंदिर में प्रवेश से पहले मास्क पहनना, हाथ सेनेटाइज करना, सामाजिक दूरी का ध्यान रखकर किसी भी तरह की वस्तु को हाथ लगाने पर प्रतिबंध है, हालांकि मंदिर के गर्भ गृह में अंदर प्रवेश प्रतिबंधित है.
मंदिर का इतिहास और मान्यता
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से करीब सात किलोमीटर दूर ग्राम जवासिया में भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे चिंतामन गणेश के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही हमें गौरी पुत्र गणेश की तीन प्रतिमाएं दिखती हैं. यहां पार्वती नंदन तीन रूप में विराजमान हैं. जो पहले चिंतामण, दूसरे इच्छामन और तीसरे सिद्धिविनायक के रुप में लोगों को दर्शन देते है. इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं. चिंतामण गणेश मंदिर परमारकालीन है जोकि 9वी से 13वीं शताब्दी में मना जाता है. इस मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है.
सीता के षट् विनायकों में से एक है चिंतामण गणेश
वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में हुआ था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिंतामण गणेश सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक है. भगवान श्रीराम ने जब सीता और लक्ष्मण के साथ महाकाल की नगरी उज्जैन में प्रवेश किया था, तब अपनी यात्रा के दौरान माता सीता द्वारा विनायकों की स्थापना की गई थी.
गौरतलब है कि बुधवार को भगवान गणेश का दिन माना जाता है और ऐसे संयोग सालों में आते हैं, जब चतुर्थी और बुधवार एक ही दिन होते हैं, वहीं आज सालों बाद करवा चौथ बुधवार के दिन आया है और इसे लेकर महिलाएं और अन्य श्रद्धालु उज्जैन में चिंतामण गणेश की पूजा के लिए पहुंच रहे हैं, विशेषकर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यहां पूजा अर्चना कर रही हैं.
बता दें, सुहागन स्त्रियों का सबसे खास त्यौहार माना जाता है, करवा चौथ अपने पति की लंबी आयु की कामना लिए महिलाएं बड़ी निष्ठा से इस व्रत का पालन करती हैं और मेहंदी लगे हाथों से चंद्रमा को जल का अर्क देती हैं. इस अवसर पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं.