उज्जैन। आप सोच रहें होंगे कि भद्दे से दिखने वाले नारियल के खोल से इतनी मोहक आकृतियां कैसे बन सकती हैं. नारियल के खोलों का ये खूबसूरत रूप मुमकिन हुआ है मेहता दंपति की चार साल की साधना से, जिन्होंने इन खोलों को घिसकर तराश कर खूबसूरती की मिसाल बना दिया.
उज्जैन के क्षीरसागर इलाके में रहने वाले राजेश मेहता का ये शौक नारियल के खप्पर को देखकर शुरू हुआ था, जब एक संत ने उन्हें खप्पर में चाय पीने को दी.
यहां से शुरू हुआ नारियल के खोल को खूबसूरती देने का ये सिलसिला इतना आगे बढ़ा कि अब तक मेहता दंपति ने इससे मोबाइल स्टैंड, गले की माला, कपड़े, मोबाइल स्टेंड, गणपति, नाग, त्रिशूल, कमंडल, बॉटल, कटोरी, गिलास, चम्मच, हाथ के कड़े, पेन स्टेंड नाइट लेंप से लेकर पेड़ तक बना डाले.
अपनी मेहनत से अनोखा हुनर विकसित करने वाले राजेश मेहता अपने शौक को गिनीज बुक तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि उनके साथ-साथ उज्जैन का नाम भी रोशन हो. ईटीवी भारत, मध्यप्रदेश.