जबलपुर: अबतक आपने कंप्यूटर, मोबाइल या सोशल मीडिया हैक होने की बात सुनी होगी, पर क्या आपने सोचा है कि बिजली भी हैक हो सकती है? सुनने में अटपटा लगे पर ये सच है. जबलपुर में बिजली विभाग ने एक ऐसे ही बिजली कांड का खुलासा किया है, जहां बिजली हैक कर मुफ्त में इस्तेमाल की जाती थी. बिजली विभाग ने शहर के घमापुर क्षेत्र में जब छापामार कार्रवाई की तो बिजली मीटर हैकर की कहानी सामने आई. बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये हैकर मीटर में छेड़खानी करके शंट लगाते थे. इससे मीटर में कम रीडिंग दिखने लगती है. पुलिस के साथ जब बिजली कंपनी के अधिकारी आरोपी कैलाश कोरी के घर पहुंचे, तो वहां 17 पुराने मीटर भी मिले, लेकिन आरोपी फरार हो गया.
छापा में पुलिस को मिले 17 बिजली मीटर
बिजली विभाग के पुराने कर्मचारी कैलाश कोरी को जब बिजली कंपनियों में काम नहीं मिला, तो उसने एक अनोखा कुटीर उद्योग शुरू कर दिया. वह बिजली के मीटर में शंट लगाने लगा. इसके लिए उसने जो तरीका निकाला, उसने बिजली विभाग के होश उड़ा दिए. कैलाश कोरी के घर मंगलवार को जबलपुर के बिजली विभाग के अधिकारी संजय अरोड़ा ने पुलिस के साथ छापा मारा, लेकिन इससे पहले की पुलिस कैलाश कोरी के घर पहुंचती, कैलाश कोरी घर से फरार हो गया. घर पर छापा मारने के बाद पुलिस को घर से लगभग 17 पुराने बिजली के मीटर मिले.
बिजली मीटर में शंट लगाता था कैलाश कोरी
बिजली विभाग में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय अरोड़ा का कहना है कि 'कैलाश कोरी इन मीटर में शंट लगाता था. यह एक किस्म की वायरिंग होती है. जिसमें घर में बिजली तो पर्याप्त जलती है, लेकिन मीटर में उतनी रीडिंग नहीं आती, मीटर बंद भी नहीं रहता और सही रीडिंग भी नहीं बताता. कैलाश कोरी अपने घर से ही इस काम को करता था.' बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय अरोड़ा के साथ पुलिस की टीम भी कैलाश कोरी के घर पहुंची थी.
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मीटर के अंदर छेड़खानी का आरोप
संजय अरोड़ा का कहना है, '' मामले में पहले जांच करेंगे और उसके बाद कैलाश कोरी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा. संजय अरोड़ा का कहना है कि अभी तक उन्होंने कई मीटर रीडर के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन ज्यादातर पर आरोपी यही था कि वह सही रीडिंग नहीं कराते, लेकिन यह मामला ही अलग है, इसमें तो मीटर के अंदर ही छेड़खानी की गई है.'' उन्होंने कहा कि अभी उन्हें यह पता नहीं है कि उसने शहर के कितने मीटर में छेड़खानी की है और उसकी वजह से विभाग को कितना नुकसान हुआ है.'