उज्जैन। उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के 7 गांवों के सैकड़ों किसानों ने बुधवार को कृषि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि उनकी उपजाऊ जमीन उद्योगपुरी योजना के लिए अधिग्रहित की जा रही हैं, जिससे हजारों किसान और मजदूर प्रभावित होंगे. प्रदर्शन की शुरुआत शहर के टॉवर चौक से हुई, जहां से किसान दोपहिया वाहनों और ट्रैक्टरों पर सवार होकर प्रशासनिक संकुल की ओर बढ़े. इस दौरान किसानों ने जमकर नारेबाजी की.
कलेक्टर से मुलाकात नहीं होने भड़के किसान
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से मुलाकात न हो पाने पर किसानों ने संकुल के बाहर सड़क पर बैठकर धरना दिया और अपनी मांगों को जोर-शोर से रखा. किसान कल्याण समिति के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में चेनपुर, हंसखेड़ी, नरवर, कड़छा, गांवड़ी, मुंजाखेड़ी, पिपलोदा द्वारकाधीश और माधोपुरा के किसान शामिल हुए. किसानों ने बताया "लगभग 700 किसानों की 2,500 बीघा सिंचित भूमि अधिग्रहित की जा रही है, जिससे लगभग 15 हजार किसान और मजदूर प्रभावित होंगे."
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मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो भोपाल में करेंगे आंदोलन
धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि हमारे पास सिंचाई के सभी साधन मौजूद हैं. जमीन छिन जाने से उनकी आजीविका संकट में पड़ जाएगी. किसान नेता दिलीप चौधरी ने कहा "भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत 70 प्रतिशत किसानों की सहमति के बिना भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकता. इस मामले में 95 प्रतिशत किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई है." उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक महीने के भीतर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया बंद नहीं की गई तो आंदोलन और तेज होगा. किसान लखन जाट का कहना है "अगर हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो भोपाल में किसान धरना देंगे."