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उज्जैन: अधिकमास के अवसर पर बाबा महाकाल को लगाया गया 56 भोग

अधिक मास के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में सुबह होने वाली भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल को छप्पन भोग लगाया गया. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण प्रसाद वितरण नहीं किया गया.

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बाबा महाकाल को लगाया 56 भोग
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Published : Oct 15, 2020, 11:29 AM IST

उज्जैन। अधिकमास के अवसर पर महाकालेश्व मंदिर में सुबह होने वाली भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल को छप्पन भोग लगाया गया. इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ओम गुरू ने 56 पकवानों का भोग लगाया, साथ ही बताया कि अधिक मास में अन्य वैष्णव मंदिरों में हर दिन भगवान के मनोरथ दर्शन कराए जाते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण प्रसाद वितरण नहीं किया गया.

बाबा महाकाल को लगाया 56 भोग

ये भी पढ़े- ताजे भस्म से होता है महाकाल का पहला श्रृंगार, जानिए महिलाएं क्यों करती हैं यहां घूंघट

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर दक्षिण मुखी होने की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है. वहीं बाबा महाकाल को कालों का काल भी कहा जाता है. महाकाल की 5 तरह से आरती की जाती है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 'भस्म आरती' होती है.

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज भस्म आरती की जाती है. भस्म से ही शिव का हर रोज श्रृंगार किया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है, और ये भस्म आरती चिता की ताजी भस्म से होती है.

उज्जैन। अधिकमास के अवसर पर महाकालेश्व मंदिर में सुबह होने वाली भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल को छप्पन भोग लगाया गया. इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ओम गुरू ने 56 पकवानों का भोग लगाया, साथ ही बताया कि अधिक मास में अन्य वैष्णव मंदिरों में हर दिन भगवान के मनोरथ दर्शन कराए जाते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण प्रसाद वितरण नहीं किया गया.

बाबा महाकाल को लगाया 56 भोग

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विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर दक्षिण मुखी होने की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है. वहीं बाबा महाकाल को कालों का काल भी कहा जाता है. महाकाल की 5 तरह से आरती की जाती है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 'भस्म आरती' होती है.

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज भस्म आरती की जाती है. भस्म से ही शिव का हर रोज श्रृंगार किया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है, और ये भस्म आरती चिता की ताजी भस्म से होती है.

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