उज्जैन। उज्जैन जिले के ग्राम खजुरिया रेवारी में भाई दूज के दिन पाड़ों का मुकाबला हुआ. अनोखे और रोमांच से भरे दंगल को देखने भारी संख्या में लोग पहुंचे. बेहद रोमांचक और हंगामेदार लड़ाई में दोनों पाड़े एक-दूसरे को पछड़ाने में लगे रहे. रोमांचक मुकाबला मडिया और भूरा के बीच हुआ. लंबे समय से उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में पाड़ों के दंगल की परंपरा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस पर प्रतिबंध है. इस तरह की परंपरा पशु क्रूरता के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं.
क्या है मान्यता
जानकारों के अनुसार पाड़ों की लड़ाई के पीछे का रहस्य यह है, कि वर्षों पहले जब पशु पालकों के पास मनोरंजन के साधन नहीं हुआ करता था, तो इलाकों में पाड़ों की लड़ाई करवाई जाती थी. जिसमें अधिक संख्या में ग्रामीण एकत्रित होने लगे, जो प्रचार के साथ-साथ परंपरा में तब्दील हो गई. इसमें आसपास के ग्रामीण अपने-अपने पाड़ों को लाते हैं. जिसका पाड़ा जीतता है, उसके क्षेत्र का बड़ा नाम होता है. पाड़ों की अच्छी खुराक का भी इसमें ध्यान रखा जाता है.
पाड़ों की लड़ाई पर प्रतिबंध
दिवाली पर्व पर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सदियों से चली आ रही अनेक परंपराओं को ग्रामीण अपने क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ निभाते हैं. वहीं कई परंपराओं पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है. बावजूद इसके इन परंपराओं का निर्वहन किया जाता है. न्यायलय के आदेश के मुताबिक पाड़ों की लड़ाई करवाना पशु क्रूरता के तहत आता है. जिसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाता है, इसके बावजूद भी पाड़ों की लड़ाई करने वाले चोरी-छुपे शहर से दूर गांव में इस तरीके का आयोजन करते हैं और अलग-अलग नामों के पाड़ों के जोड़ों से लड़ाई करवाते हैं. जिसको देखने के लिए अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है. लेकिन पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं रहती.