उज्जैन। आज श्रावण का आखिरी सोमवार होने के साथ ही रक्षाबंधन भी है. इस मौके पर अलसुबह बाबा महाकाल की भस्म आरती हुई और भगवान महाकालेश्वर का दूध-दही युक्त पंचामृत से अभिषेक किया गया. जिसके बाद ढोल-नगाड़ों और घंटों की गूंज के साथ विधि-विधान से पुजारियों ने बाबा महाकाल की भस्म आरती की. वहीं बाबा महाकाल को राखी बांधी गई और 11 हजार लड्डू का भोग भी लगाया गया. इस मौके पर बाबा महाकाल का आकर्षक श्रृंगार भी किया गया था.
पूर्णिमा के दिन श्रावण का पांचवा सोमवार पड़ा है. जिसकी वजह से इस विशेष मौके पर बाबा महाकालेश्वर को रात 2:30 बजे जलाभिषेक कर महा पंचामृत अभिषेक किया गया. जिसमें दूध, दही, घी, शहद और विशेष प्रकार के फलों का रस शामिल होता है. पंचामृत अभिषेक के बाद भांग और चन्दन से भोलेनाथ का आकर्षक श्रृंगार किया गया और बाबा को भस्म चढ़ाई गई. भस्मिभूत होने के बाद भगवान को वस्त्र धारण कराये गए और फिर झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े और शंखनाद के साथ बाबा की भस्मारती की गई.
भस्मारती के बाद बाबा महाकाल को राखी बांधी गई और 11 हजार लड्डुओं का भोग लगाया गया, फिर झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े और शंखनाद के साथ महाकाल की आरती हुई. वैसे तो हर साल श्रावण माह की भस्म आरती में 2 हजार से अधिक भक्त शामिल होते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं के शामिल होने पर पूरी तरह प्रतिबंध है. आम श्रद्धालु केवल बाबा महाकाल के दूर से ही दर्शन ही कर सकेंगे. दर्शन के लिए सुबह 5:30 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक का समय तय किया गया है. इस दौरान केवल वही भक्त दर्शन कर सकेंगे, जिन्होंने पूर्व में दर्शन के लिए बुकिंग करा रखी है और जो केवल मध्यप्रदेश के ही रहने वाले हैं.
कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार सरकार ने केवल मध्यप्रदेश के रहवासियों को ही बाबा महाकाल के दर्शन करने की अनुमति दी है. मध्यप्रदेश के बाहर के श्रद्धालुओं को इस बार दर्शन करने का लाभ नहीं मिलेगा. वहीं इस बार कोरोना संकट के कारण भगवान को सवा लाख की जगह प्रतीकात्मक रूप से 11 हजार लड्डुओं का ही भोग लगाया गया.