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पानी के लिए खतरों से खेलते लोग: बूंद-बूंद की किल्लत! वादे बने चुनावी जुमले - Tank and pipeline ready

टीकमगढ़ जिले से महज आधा किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कैलपुरा गुरार के खिरक गांव में इन दिनों पीने की पानी के लिए लोग बर्तन सिर पर रखकर पानी की जुगत लगाते हुए नजर आ रहे हैं. ग्रामीण पेड़ के सहारे लगभग 20 फीट गहरे कुएं में नीचे जाकर पानी का बंदोबस्त कर रहे हैं. कुएं से पानी निकालते ग्रामीण खुद ही सारी कहानी बयां कर रहे हैं.

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Published : May 12, 2021, 1:47 PM IST

Updated : May 12, 2021, 1:52 PM IST

टीकमगढ़। रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून...संत रहीम के इस दोहे का अर्थ बच्चे, बूढ़े और नौजवान सभी जानते हैं. लेकिन इसकी सार्थकता लोगों को सिर्फ गर्मी के दिनों में तब याद आती है. जब झुलसा देना वाली गर्मी में उन्हे बूंद-बूंद पानी के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ती है. मई का दूसरा हफ्ता चल रहा है और सूरज अपने तेवर दिखाने में पीछे नहीं है. इस स्थिति में लोगों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

बूंद-बूंद की किल्लत

20 फीट गहरे कुएं से पानी का बंदोबस्त

पानी के लिए संघर्ष करते लोग अब बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. यहां तक कि ग्रामीण गले की प्यास बुझाने के लिए जान जोखिम में डालकर पानी का इंतजाम कर रहे हैं. टीकमगढ़ जिले से महज आधा किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कैलपुरा के गुरार खिरक गांव में इन दिनों पीने की पानी के लिए लोग बर्तन सर पर रखकर पानी की जुगत लगाते हुए नजर आ रहे हैं. ग्रामीण पेड़ के तने के सहारे लगभग 20 फीट गहरे कुएं में नीचे जाकर पानी का बंदोबस्त कर रहे हैं. कुएं से पानी निकालते ग्रामीण खुद ही सारी कहानी बयां कर रहे हैं. ग्रामीण जिस कुएं से पानी की निकाल रहे हैं वह कुआ लगभग सूख चुका है. यदि तलहटी में किसी कोने में थोड़ा सा पानी बचा है तो ग्रामीण उसी को निकालकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं. वैसे भी पानी का संघर्ष काफी पुराना है. लेकिन ग्रामीण बेफ्रिकी के साथ परिवार की प्यास बुझाने के लिए जुगात लगाते हैं और यह अब उनका रोज का डेप्लान है.

villagers struggling for water
पानी भरकर लाती महिला

कब जागेगी सरकार! शहीद फ्रंटलाइन वॉरियर्स के परिजनों को 'आसरे' का इंतजार

जबाव दे गया हैंडपंप

ग्रामीण बताते हैं कि हमें मटमेला पानी पीकर अपना गुजारा चलाना पड़ता है. जिसके लिए लोग जिंदगी दांव पर लगाते हैं. खिरक के पास सावर्जनिक कुंए सूख चुके हैं. गांव के बाहर एक हैंडपंप लगा है लेकिन उस पर भी दबाव होने के कारण अब वह हिचकोले खाने लगा है. पीने की पानी की बार-बार शिकायत के बाद भी पीएचई विभाग ने गांव में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की है.

villagers struggling for water
साइकिल पर पानी

साफ और स्वच्छ पानी की किल्लत

छोटे-छोटे बर्तनों से बड़े बर्तनों में पानी भरा जाता है. उस बर्तनों को कुएं में पंक्ति में खड़े लोग कुंए के ऊपर मौजूद महिलाओं और लोगो को पकड़ाते हैं. लेकिन इतनी मशक्कत के बाद भी ग्रामीणों को साफ और स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं होता है. इसके लिए ग्रामीण पानी को किसी दूसरे बर्तन में कपड़ा बांधकर उसे स्वच्छ करते हैं और फिर उसे अपने घर ले जाते हैं.

villagers struggling for water
साइकिल से पानी ले जाता बच्चा

टंकी का निर्माण और पाइप लाइन तैयार लेकिन पानी का इंतजार

ग्रामीण बैजनाथ रैकवार का कहना है लोगो को बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. वह साइकिलों पर डिब्बे लटकाकर आधा किमी दूर से पानी लाते हैं तब कहीं जाकर उनके घर में खाना बन पाता है. कई बार को कुंए से निकाला गया मटमेला पानी ही पीकर दिन गुजारना पड़ता है. नल जल योजना निर्माण ऐजेंसी ने टंकी का निर्माण और पाइप लाइन का विस्तार तो कर दिया गया है लेकिन नलों से घरों तक पानी कब पहुंचेगा किसी वादा ना तो जनप्रतिनिधि कर रहे हैं और ना ही अधिकारी.

villagers struggling for water
हाथ में पानी का बर्तन

खतरे से खेलते ग्रामीण

ग्राम पंचायत कैलपुरा के गुरार खिरक में 300 की आबादी है. जहां एक सावर्जनिक कूप है, जो गर्मी की शुरूआत में ही सूख चुका है. वहीं दूसरा खिरक के बाहर दूसरा कुंआ धसक गया है. पानी पर्याप्त है लेकिन जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है. पानी को लेकर हालात वाकई खराब होते जा रहे हैं. ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए खतरा मोल लेना पड़ रहा है.

villagers struggling for water
कुएं से पानी निकालते ग्रामीण

सीमित जलस्त्रोत और बेकाबू प्यास

ग्रामीणों का कहना है कि 300 की आबादी वाले गांव में पानी का एकमात्र स्त्रोत है. जिस पर अब हर एक ग्रामीण निर्भर है. कुंए में पानी के नाम पर बस तलहटी में जरा सा पानी है, जरा से पानी के लिए संघष करना पड़ता है. पहले छोटे-छोटे बर्तनों से बड़े बर्तन में पानी भरा जाता है फिर कुंए के ऊपर मौजूद ग्रामीण पानी भरकर ले जाते हैं. इसके अलावा लोगों की जान का खतरा भी बना है. गांव में पेयजल के लिए यही एक विकल्प होने के बाद भी अधिकारी वैकल्पिक पेयजल संसाधन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

एक हैंडपंप पर 500 निर्भर

गांव के बाहर एक हैंडपंम है, जिस पर 500 परिवार आश्रित है. पानी के लिए संघर्ष सुबह की रात 3 बजे से शुरु हो जाता है. घंटो के इंतजार के बाद जब खुद की बारी आती है तो उन्हें मुश्किल से एक या दो तीन बर्तन पानी मिल पाता है. हैंडपंप पर दबाव अधिक होने से अब वह भी हिचकौले खाने लगा है, तो वहीं कुंए में गड्ढा खोदकर जद्दोजहद जारी रहती है. स्वच्छ पानी के लिए पेड़ और पत्थर के जरिए कुंए में उतरना पड़ता है.

Villagers struggling for water
बूंद-बूंद की किल्लत

काम पर लॉकडाउन! कोरोना कर्फ्यू में थमने लगे उद्योगों के पहिए, 50 फीसदी उत्पादन हुआ ठप

पानी बना चुनावी जुमला

हर घर नल जल योजना से पानी पहुंचाने के सरकार का दावा, चुनावी जुमला साबित हो रहा है. हालात ऐसे हैं कि पानी टोटियों से बाहर नहीं निकल सका है. ग्राम पंचायत कैलपुरा में तीन साल पहले एक करोड़ 75 लाख रूपए की लागत से नलजल योजना स्वीकृत की गई थी. लेकिन टंकी निर्माण और घटिया पाइप लाइन के कारण पानी ग्रामीणों के घरों तक नही पहुंच सका.

टीकमगढ़। रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून...संत रहीम के इस दोहे का अर्थ बच्चे, बूढ़े और नौजवान सभी जानते हैं. लेकिन इसकी सार्थकता लोगों को सिर्फ गर्मी के दिनों में तब याद आती है. जब झुलसा देना वाली गर्मी में उन्हे बूंद-बूंद पानी के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ती है. मई का दूसरा हफ्ता चल रहा है और सूरज अपने तेवर दिखाने में पीछे नहीं है. इस स्थिति में लोगों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

बूंद-बूंद की किल्लत

20 फीट गहरे कुएं से पानी का बंदोबस्त

पानी के लिए संघर्ष करते लोग अब बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. यहां तक कि ग्रामीण गले की प्यास बुझाने के लिए जान जोखिम में डालकर पानी का इंतजाम कर रहे हैं. टीकमगढ़ जिले से महज आधा किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कैलपुरा के गुरार खिरक गांव में इन दिनों पीने की पानी के लिए लोग बर्तन सर पर रखकर पानी की जुगत लगाते हुए नजर आ रहे हैं. ग्रामीण पेड़ के तने के सहारे लगभग 20 फीट गहरे कुएं में नीचे जाकर पानी का बंदोबस्त कर रहे हैं. कुएं से पानी निकालते ग्रामीण खुद ही सारी कहानी बयां कर रहे हैं. ग्रामीण जिस कुएं से पानी की निकाल रहे हैं वह कुआ लगभग सूख चुका है. यदि तलहटी में किसी कोने में थोड़ा सा पानी बचा है तो ग्रामीण उसी को निकालकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं. वैसे भी पानी का संघर्ष काफी पुराना है. लेकिन ग्रामीण बेफ्रिकी के साथ परिवार की प्यास बुझाने के लिए जुगात लगाते हैं और यह अब उनका रोज का डेप्लान है.

villagers struggling for water
पानी भरकर लाती महिला

कब जागेगी सरकार! शहीद फ्रंटलाइन वॉरियर्स के परिजनों को 'आसरे' का इंतजार

जबाव दे गया हैंडपंप

ग्रामीण बताते हैं कि हमें मटमेला पानी पीकर अपना गुजारा चलाना पड़ता है. जिसके लिए लोग जिंदगी दांव पर लगाते हैं. खिरक के पास सावर्जनिक कुंए सूख चुके हैं. गांव के बाहर एक हैंडपंप लगा है लेकिन उस पर भी दबाव होने के कारण अब वह हिचकोले खाने लगा है. पीने की पानी की बार-बार शिकायत के बाद भी पीएचई विभाग ने गांव में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की है.

villagers struggling for water
साइकिल पर पानी

साफ और स्वच्छ पानी की किल्लत

छोटे-छोटे बर्तनों से बड़े बर्तनों में पानी भरा जाता है. उस बर्तनों को कुएं में पंक्ति में खड़े लोग कुंए के ऊपर मौजूद महिलाओं और लोगो को पकड़ाते हैं. लेकिन इतनी मशक्कत के बाद भी ग्रामीणों को साफ और स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं होता है. इसके लिए ग्रामीण पानी को किसी दूसरे बर्तन में कपड़ा बांधकर उसे स्वच्छ करते हैं और फिर उसे अपने घर ले जाते हैं.

villagers struggling for water
साइकिल से पानी ले जाता बच्चा

टंकी का निर्माण और पाइप लाइन तैयार लेकिन पानी का इंतजार

ग्रामीण बैजनाथ रैकवार का कहना है लोगो को बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. वह साइकिलों पर डिब्बे लटकाकर आधा किमी दूर से पानी लाते हैं तब कहीं जाकर उनके घर में खाना बन पाता है. कई बार को कुंए से निकाला गया मटमेला पानी ही पीकर दिन गुजारना पड़ता है. नल जल योजना निर्माण ऐजेंसी ने टंकी का निर्माण और पाइप लाइन का विस्तार तो कर दिया गया है लेकिन नलों से घरों तक पानी कब पहुंचेगा किसी वादा ना तो जनप्रतिनिधि कर रहे हैं और ना ही अधिकारी.

villagers struggling for water
हाथ में पानी का बर्तन

खतरे से खेलते ग्रामीण

ग्राम पंचायत कैलपुरा के गुरार खिरक में 300 की आबादी है. जहां एक सावर्जनिक कूप है, जो गर्मी की शुरूआत में ही सूख चुका है. वहीं दूसरा खिरक के बाहर दूसरा कुंआ धसक गया है. पानी पर्याप्त है लेकिन जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है. पानी को लेकर हालात वाकई खराब होते जा रहे हैं. ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए खतरा मोल लेना पड़ रहा है.

villagers struggling for water
कुएं से पानी निकालते ग्रामीण

सीमित जलस्त्रोत और बेकाबू प्यास

ग्रामीणों का कहना है कि 300 की आबादी वाले गांव में पानी का एकमात्र स्त्रोत है. जिस पर अब हर एक ग्रामीण निर्भर है. कुंए में पानी के नाम पर बस तलहटी में जरा सा पानी है, जरा से पानी के लिए संघष करना पड़ता है. पहले छोटे-छोटे बर्तनों से बड़े बर्तन में पानी भरा जाता है फिर कुंए के ऊपर मौजूद ग्रामीण पानी भरकर ले जाते हैं. इसके अलावा लोगों की जान का खतरा भी बना है. गांव में पेयजल के लिए यही एक विकल्प होने के बाद भी अधिकारी वैकल्पिक पेयजल संसाधन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

एक हैंडपंप पर 500 निर्भर

गांव के बाहर एक हैंडपंम है, जिस पर 500 परिवार आश्रित है. पानी के लिए संघर्ष सुबह की रात 3 बजे से शुरु हो जाता है. घंटो के इंतजार के बाद जब खुद की बारी आती है तो उन्हें मुश्किल से एक या दो तीन बर्तन पानी मिल पाता है. हैंडपंप पर दबाव अधिक होने से अब वह भी हिचकौले खाने लगा है, तो वहीं कुंए में गड्ढा खोदकर जद्दोजहद जारी रहती है. स्वच्छ पानी के लिए पेड़ और पत्थर के जरिए कुंए में उतरना पड़ता है.

Villagers struggling for water
बूंद-बूंद की किल्लत

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पानी बना चुनावी जुमला

हर घर नल जल योजना से पानी पहुंचाने के सरकार का दावा, चुनावी जुमला साबित हो रहा है. हालात ऐसे हैं कि पानी टोटियों से बाहर नहीं निकल सका है. ग्राम पंचायत कैलपुरा में तीन साल पहले एक करोड़ 75 लाख रूपए की लागत से नलजल योजना स्वीकृत की गई थी. लेकिन टंकी निर्माण और घटिया पाइप लाइन के कारण पानी ग्रामीणों के घरों तक नही पहुंच सका.

Last Updated : May 12, 2021, 1:52 PM IST
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