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अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने की नियमितीकरण की मांग, कोरोना काल में की गई थी नियुक्ति - स्वास्थ्य कर्मियों ने की नियमितीकरण की मांग

टीकमगढ़ जिले में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नियुक्त किए गए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा समाप्त होने पर प्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही नियमितीकरण की मांग की है और मांग पूरी ना होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

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कोरोनाकर्मियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर किया विरोध प्रदर्शन
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Published : Oct 30, 2020, 11:01 AM IST

टीकमगढ़। टीकमगढ़ जिले में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नियुक्त किए गए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा समाप्त होने पर प्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही नियमितीकरण की मांग की है और मांग पूरी ना होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि, सरकार को उनकी मांग जल्द से जल्द पूरी करनी होगी, यदि ऐसा नहीं हुआ, तो अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी चुनाव को प्रभावित करेंगे. भाजपा सरकार जिले में 103 और प्रदेश में 6 हजार स्वास्थ्य कर्मियों की रोजी रोटी छीन रही है. प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि, कोरोना काल में जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा की और अब सरकार सेवाएं समाप्त कर रही है. अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती राजस्थान, छतीसगढ़, बिहार और अन्य राज्यों में भी की गई थी. लेकिन दूसरे राज्यों की सरकार सेवा समाप्त नहीं कर रही है. वहीं मध्यप्रदेश सरकार बजट ना होने का हवाला देकर अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को बेरोजगार कर रही है. जिले में 11 डॉक्टर, 88 स्टाफ नर्स, 15 लैब टेक्नीशियन और 11 फार्मासिस्ट संविदा स्वास्थ्य कर्मी के रूप नियुक्त किए गए थे, जिनकी सेवाएं अब समाप्त कर दी गई हैं.

टीकमगढ़। टीकमगढ़ जिले में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नियुक्त किए गए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा समाप्त होने पर प्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही नियमितीकरण की मांग की है और मांग पूरी ना होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि, सरकार को उनकी मांग जल्द से जल्द पूरी करनी होगी, यदि ऐसा नहीं हुआ, तो अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी चुनाव को प्रभावित करेंगे. भाजपा सरकार जिले में 103 और प्रदेश में 6 हजार स्वास्थ्य कर्मियों की रोजी रोटी छीन रही है. प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि, कोरोना काल में जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा की और अब सरकार सेवाएं समाप्त कर रही है. अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती राजस्थान, छतीसगढ़, बिहार और अन्य राज्यों में भी की गई थी. लेकिन दूसरे राज्यों की सरकार सेवा समाप्त नहीं कर रही है. वहीं मध्यप्रदेश सरकार बजट ना होने का हवाला देकर अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को बेरोजगार कर रही है. जिले में 11 डॉक्टर, 88 स्टाफ नर्स, 15 लैब टेक्नीशियन और 11 फार्मासिस्ट संविदा स्वास्थ्य कर्मी के रूप नियुक्त किए गए थे, जिनकी सेवाएं अब समाप्त कर दी गई हैं.

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