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पितृ पक्ष 2020: लोगों ने जलाशयों में जाकर किया पिंडदान

आज से पितृ पक्ष शुरू हो गया है, टीकमगढ़ में भी नर्मदा घाटों पर पिंडदान के लिए कई लोग पहुंचे और पितरों को तर्पण दिया.

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लोगों ने जलाशयों में जाकर किया पिंडदान
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Published : Sep 2, 2020, 5:27 PM IST

टीकमगढ़। आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है, जिसके चलते जिले भर के नदी-तालाबों में आज काफी भीड़ देखने को मिली. पितृ पक्ष में लोग अपने-अपने पितरों की पूजा-अर्चना कर उनको जल में तर्पण करते हैं. सुबह-सुबह ही लोगों ने नदी-तालाबों में स्नान कर पिंडदान किया.

लोगों ने जलाशयों में जाकर किया पिंडदान

तीन दिशाओं में करते हैं तर्पण

इस दौरान लोग हाथों में कुशा लेकर जल में तीन बार तर्पण करते हैं.

  • दक्षिण दिशा में पितरों को.
  • पश्चिम में ऋषि-मुनियों को.
  • पूर्व में सूर्य देवता को जल का तर्पण किया जाता है.

यह तर्पण कुशा के साथ काला तिल,चावल और जवा को साथ मे लेकर किया जाता है, जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं.

ये भी पढ़ें- उज्जैन में ड्रोन कैमरे के माध्यम से देखिए बाढ़ का नजारा

माना जाता है कि पितरों को जल देने और भोजन करवाने से उनकी आत्मा तृप्त होती है. पितरों को पितृ पूर्णिमा पर घरों में लाया जाता और 15 दिन सेवा-पूजा करने के बाद उनको विदा किया जाता है. पंडित जलाशयों पर विधि-विधान से पितरों का तर्पण करवाते है.

बता दें, पितृ पक्ष इस बार 16 की बजाय 17 दिनों का है, जिसका कारण पूर्णिमा तिथि का एक सितंबर को अनंत चतुर्दशी की दोपहर से प्रारंभ होना है. जो लोग अपने पूर्वजों के निमित्त पूर्णिमा से पितृ मोक्ष अमावस्या तक नियमित रूप से तर्पण और श्राद्ध कर्मकांड करेंगे, उनके लिए पितृ पक्ष 17 दिन के रहेंगे. वहीं जो लोग अगले दिन से तर्पण शुरू करेंगे, उनके लिए ये पक्ष 16 दिन का ही रहेगा.

टीकमगढ़। आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है, जिसके चलते जिले भर के नदी-तालाबों में आज काफी भीड़ देखने को मिली. पितृ पक्ष में लोग अपने-अपने पितरों की पूजा-अर्चना कर उनको जल में तर्पण करते हैं. सुबह-सुबह ही लोगों ने नदी-तालाबों में स्नान कर पिंडदान किया.

लोगों ने जलाशयों में जाकर किया पिंडदान

तीन दिशाओं में करते हैं तर्पण

इस दौरान लोग हाथों में कुशा लेकर जल में तीन बार तर्पण करते हैं.

  • दक्षिण दिशा में पितरों को.
  • पश्चिम में ऋषि-मुनियों को.
  • पूर्व में सूर्य देवता को जल का तर्पण किया जाता है.

यह तर्पण कुशा के साथ काला तिल,चावल और जवा को साथ मे लेकर किया जाता है, जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं.

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माना जाता है कि पितरों को जल देने और भोजन करवाने से उनकी आत्मा तृप्त होती है. पितरों को पितृ पूर्णिमा पर घरों में लाया जाता और 15 दिन सेवा-पूजा करने के बाद उनको विदा किया जाता है. पंडित जलाशयों पर विधि-विधान से पितरों का तर्पण करवाते है.

बता दें, पितृ पक्ष इस बार 16 की बजाय 17 दिनों का है, जिसका कारण पूर्णिमा तिथि का एक सितंबर को अनंत चतुर्दशी की दोपहर से प्रारंभ होना है. जो लोग अपने पूर्वजों के निमित्त पूर्णिमा से पितृ मोक्ष अमावस्या तक नियमित रूप से तर्पण और श्राद्ध कर्मकांड करेंगे, उनके लिए पितृ पक्ष 17 दिन के रहेंगे. वहीं जो लोग अगले दिन से तर्पण शुरू करेंगे, उनके लिए ये पक्ष 16 दिन का ही रहेगा.

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