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कौमी एकता की मिसाल है ये मंदिर-मजार, पूजा-सजदा के बाद पूरी होती है मुराद

जिले के नजरबाग में राम और रहीम का अनोखा दरबार है जहां आने वाले की लोगों की हर मुरादे पूरी होती हैं. वहीं हर त्यौहार पर दोनों दरबार में सजावट की जाती हैं.

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Published : Jun 27, 2019, 4:46 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 7:35 AM IST

राम रहीम का अनोखा दरबार

टीकमगढ़। जिले के नजरबाग में बना मंदिर और मजार हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. ये कौमी एकता की मिसाल बन गया है. यह दरबार जिले में अमन और चैन का प्रतीक है. ये हिन्दू और मुस्लिम धर्मावलंबियों के बीच एक सेतु का काम कर रहा है. यहां पर दोनों दरबार में जाने पर ही लोगों की मुरादें होती हैं. यहां बने मंदिर और मज़ार दोनों पर लोगों की पूरी आस्था है.

कौमी एकता की मिसाल बना ये मंदिर और मजार


जिले के नजरबाग में राम और रहीम का अनोखा दरबार है. मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है. मान्यता है कि मन्दिर में भगवान राम के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं तब तक पूरी नहीं होती, जब तक वे बाबा साहब के यहां पर भी मत्था नहीं टेकते. इसलिए मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु बाबा के दरबार में भी जाते हैं. ठीक ऐसा ही मुस्लिम भी करते हैं. वे पहले मजार पर मत्था टेकते हैं और इसके बाद मन्दिर में जाकर भगवान राम का आशीर्वाद लेते हैं.


जब भी कोई धर्मिक आयोजन मन्दिर में होता है, तो मन्दिर के साथ-साथ मजार को भी आकर्षक तरीके से सजाकर लाइटिंग की जाती है. यही नहीं उर्स के मौके पर मजार और मंदिर में कई तरह के आयोजन किए जाते हैं. मजार के साथ-साथ मन्दिर को भी सजाया जाता है. जिसके बाद दोनों दरबार में भोग लगाया जाता है.

टीकमगढ़। जिले के नजरबाग में बना मंदिर और मजार हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. ये कौमी एकता की मिसाल बन गया है. यह दरबार जिले में अमन और चैन का प्रतीक है. ये हिन्दू और मुस्लिम धर्मावलंबियों के बीच एक सेतु का काम कर रहा है. यहां पर दोनों दरबार में जाने पर ही लोगों की मुरादें होती हैं. यहां बने मंदिर और मज़ार दोनों पर लोगों की पूरी आस्था है.

कौमी एकता की मिसाल बना ये मंदिर और मजार


जिले के नजरबाग में राम और रहीम का अनोखा दरबार है. मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है. मान्यता है कि मन्दिर में भगवान राम के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं तब तक पूरी नहीं होती, जब तक वे बाबा साहब के यहां पर भी मत्था नहीं टेकते. इसलिए मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु बाबा के दरबार में भी जाते हैं. ठीक ऐसा ही मुस्लिम भी करते हैं. वे पहले मजार पर मत्था टेकते हैं और इसके बाद मन्दिर में जाकर भगवान राम का आशीर्वाद लेते हैं.


जब भी कोई धर्मिक आयोजन मन्दिर में होता है, तो मन्दिर के साथ-साथ मजार को भी आकर्षक तरीके से सजाकर लाइटिंग की जाती है. यही नहीं उर्स के मौके पर मजार और मंदिर में कई तरह के आयोजन किए जाते हैं. मजार के साथ-साथ मन्दिर को भी सजाया जाता है. जिसके बाद दोनों दरबार में भोग लगाया जाता है.

Intro:एंकर इंट्रो / टीकमगढ़ जिले में हिन्दू ओर मुस्लिम भाइयों को एकजुटता में बांधने के लिए एक राम और रहीम का अनोखा दरवार है जहाँ पर दोनों दरवार में जाने पर ही लोगो की मुरादे होती है पूरी जो किसी मिशाल से कम नही


Body:वाईट /01 शेरा अख्तर ,समाजसेवी, टीकमगढ़

वाईट /02 रामश्वरूप गुप्ता,व्यापारी टीकमगढ़

वाईट /प्रिंयका राजा ,समाजसेवी टीकमगढ़

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में राम और रहीम का अनोखा दरवार है यहां पर लोगो की मुरादे होती है पूरी मगर यहां की एक बिसेसता है कि मन्दिर में राम दरवार के दर्शन करने बाले जबतक बाबा साहब के यहां पर मत्था नही टेका जाता तब तक कोई भी मनोकामनाएं पूरी नही होती इसलिए राम दरवार के बाद मजार पर मत्था टेकने पर ही लोगो की मुरादे पूरी होती है !तो वही जो भी मुस्लिम भाई मजार पर मत्था टेकने जाते है लेकिन मजार के बाद उनको मन्दिर में राम दरवार में आशिर्वाद लेने जाना पड़ता है और जो भी मुस्लिम भाई मन्दिर नही जाता उसकी भी मुरादे पूरी नही होती राम और रहीम दरवार में अर्जी लगाने के बाद ही लोगो की मुरादे पूरी होती है और तभी लोगो की धर्मयात्रा पूरी होती है टीकमगढ़ शहर के नजरबाग में बने यह मंदिर मजार हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक है और कौमी एकता की मिसाल बन हुए है यह मंदिर मजार टीकमगढ़ जिले की अमन ओर चेन का प्रतीक है जो हिन्दू ओर मुस्लिम भाइयों के बीच एक सेतु का काम कर रहे है !यहां पर जब भी कोई धर्मिक आयोजन मन्दिर में होता है तो मन्दिर के साथ साथ मजार पर भी आकषक तरीके से सजाकर लाइट लगाई जाती है !और जब भी मजार पर उर्स ओर कोई भी आयोजन होता है तो मजार के साथ साथ मन्दिर को भी सजाया जाता है और राम दरवार में भोग लगाया जाता है


Conclusion:टीकमगढ़ के इस एकता की मिसाल मन्दिर ओर मजार को लेकर ओर लोग भी सिख ले रहे है जब भी कोई मांगलिक ओर धर्मिक आयोजन मन्दिर में होता है !तो मजार पर चादर चढ़ाई जाती है और फाता होती है !ओर नवाज अता की जाती है वही कई मुस्लिम भाइयों का कहना रहा कि यह मंदिर और मजार हम लोगो की एकता की प्रतीक है और हम लोग मन्दिर ओर मजार दोनों पर मत्था टेकते है और दोनों धर्म को बरावर मानते है !तो वही हिन्दू भाइयों का कहना रहा कि हम लोग रामदरवार के दर्शनों के वाद मजार पर भी मत्था टेकते है जिससे एक ऊर्जा मिलती है और हम लोगो के काम तभी होते जब हम लोग मजार ओर मन्दिर में जाते है !तो वही कुछ समाजसेविका का कहना रहा कि हिन्दू ओर मुसिलम एक है लोग एक दुसरो में जाती पाती का जहर फैलाकर एक दुसरो को आपस मे बाटना चाहते है लेकिन हम लोग ऐसा कतई नही होने देंगे हिन्दू ओर मुस्लिम एक है और हमेसा एक रहेंगे उन्होंने कहा कि में भी काफी छोटे से मजार पर चादर चढ़ाने आती हु ओर मन्दिर में भी दर्शनों को जाती हु यह मंदिर और मजार टीकमगढ़ जिले में कौमी एकता का प्रतीक है
Last Updated : Jun 28, 2019, 7:35 AM IST
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