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इंजीनियर ने नौकरी छोड़ शुरू किया मुर्गा पालन, कड़कनाथ ने बदली किस्मत !

टीकमगढ़ में एक इंजीनियर ने अपनी नौकरी छोड़कर कड़कनाथ मुर्गे का पालन शुरू किया है. अन्य मुर्गों के अलावा इस मुर्गे में ऐसी क्या खास बात है कि इसकी डिमांड ज्यादा होती और ये महंगा भी होता है.

कड़कनाथ मुर्गा
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Published : Sep 25, 2019, 6:44 PM IST

Updated : Sep 25, 2019, 7:17 PM IST

टीकमगढ़। जिले के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने दिल्ली में अपनी नौकरी छोड़कर टीकमगढ़ में कड़कनाथ मुर्गे का पोल्ट्री फार्म शुरू किया है. अपनी पत्नी के साथ इंजीनियर नरेंद्र कुमार खेत में लगभग 5 हजार कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों का पालन कर रहे हैं.

कड़कनाथ ने बदली किस्मत

क्या खास है कड़कनाथ में
कड़कनाथ झाबुआ जिले में पाई जाने वाली खास प्रजाति है, जिसे जंगली मुर्गा भी कहा जाता है, कई लोग इसे कालामांसी कहते हैं, कड़कनाथ देशी मुर्गे से कई गुना लाभकारी होता है.
पशु चिकित्सक आरके जैन की माने तो कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा झाबुआ और अलीराजपुर जिले में पाया जाता है. इस काले रंग के मुर्गे का मांस और खून भी काला होता है. कड़कनाथ में देशी मुर्गों की अपेक्षा 25 फीसदी ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. इसके मांस का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. प्रोटीन के अलावा इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, हीमोग्लोबीन और विटामिन पाए जाते हैं. कड़कनाथ मुर्गा लगभग 80 प्रकार की बीमारियों के लिए लाभदायक होता है.

पालन करना नहीं आसान
आम तौर पर मुर्गे 40 दिन में तैयार हो जाते हैं, लेकिन कड़कनाथ के चूजे से मुर्गा तैयार होने में 6 माह लगते हैं, इस मुर्गे का वजन 2 किलो से ज्यादा नहीं होता. यही वजह है कि आम तौर पर इसका पालन करना कठिन माना जाता है. ज्यादा स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर इस मुर्गे की कीमत 800 से एक हजार रुपये प्रति किलो तक होती है. इस मुर्गे की डिमांड राजधानी भोपाल, इंदौर और दिल्ली में सबसे ज्यादा होती है.

टीकमगढ़। जिले के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने दिल्ली में अपनी नौकरी छोड़कर टीकमगढ़ में कड़कनाथ मुर्गे का पोल्ट्री फार्म शुरू किया है. अपनी पत्नी के साथ इंजीनियर नरेंद्र कुमार खेत में लगभग 5 हजार कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों का पालन कर रहे हैं.

कड़कनाथ ने बदली किस्मत

क्या खास है कड़कनाथ में
कड़कनाथ झाबुआ जिले में पाई जाने वाली खास प्रजाति है, जिसे जंगली मुर्गा भी कहा जाता है, कई लोग इसे कालामांसी कहते हैं, कड़कनाथ देशी मुर्गे से कई गुना लाभकारी होता है.
पशु चिकित्सक आरके जैन की माने तो कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा झाबुआ और अलीराजपुर जिले में पाया जाता है. इस काले रंग के मुर्गे का मांस और खून भी काला होता है. कड़कनाथ में देशी मुर्गों की अपेक्षा 25 फीसदी ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. इसके मांस का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. प्रोटीन के अलावा इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, हीमोग्लोबीन और विटामिन पाए जाते हैं. कड़कनाथ मुर्गा लगभग 80 प्रकार की बीमारियों के लिए लाभदायक होता है.

पालन करना नहीं आसान
आम तौर पर मुर्गे 40 दिन में तैयार हो जाते हैं, लेकिन कड़कनाथ के चूजे से मुर्गा तैयार होने में 6 माह लगते हैं, इस मुर्गे का वजन 2 किलो से ज्यादा नहीं होता. यही वजह है कि आम तौर पर इसका पालन करना कठिन माना जाता है. ज्यादा स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर इस मुर्गे की कीमत 800 से एक हजार रुपये प्रति किलो तक होती है. इस मुर्गे की डिमांड राजधानी भोपाल, इंदौर और दिल्ली में सबसे ज्यादा होती है.

Intro:एंकर इंट्रो / कड़कनाथ मुर्गा केंसर ओर डायबिटीज के मरीजो के लिए रामबाण की तरह करता है फायदा जिसको टीकमगढ़ शहर में एक सोफ्टवेयर इंजियर द्वारा बड़े स्तर पर किया जा रहा है पालन पोल्ट्री फार्म खोलकर जो पश्चिमी मध्यप्रदेश की प्रजाति है जिसे ब्लेक चिकिन भी कहा जाता है


Body:वाइट् /01 नरेंद्र कुमार यादव सॉफ्टवेयर इंजीनियर पोल्ट्री मालिक टीकमगढ़

वाइट् /02 डॉक्टर आर के जैन पशुपालन बिभाग टीकमगढ़

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में आजकल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कों कड़कनाथ मुर्गा पालन करने का शोक हुआ है यह कड़कनाथ मुर्गों को लेकर दिल्ली से प्रायवेट नोकरी छोड़कर टीकमगढ़ शहर के बसस्टेंड के सामने देवकीनन्दन कोलोनी में अपने खेत पर तकरिवन 5000 कड़क नाथ मुर्गों का पालन कर रहे है यह ओर उनकी पत्नी दोनों मिलकर यह कड़कनाथ मुर्गों के पोल्ट्री फॉर्म को चलाते है !बेसे यह पश्मि मध्यप्रदेश झाबुआ ओर अलीराजपुर की प्रजाति है !जो मुर्गा पूरा काला होता है !और इसका मीट ओर खून भी पूरी तरह से काला होता है !कडकनाथ मुर्गा में देशी मुर्गों की अपेक्षा 30 प्रतिसत प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है !,ओर कड़कनाथ मुर्गा 80 प्रकार की बीमारियों के लिए लाभदायक होता है !इस मुर्गे में कैल्शियम , प्रोटीन,फास्फोरस, हीमोग्लोबिन,ओर सभी प्रकार के विटामिन पाए जाते है !इसलिए यह मुर्गा बेहद लाभदायक होता है !इस मुर्गे की ज्यादा डिमांड भोपाल, इंदौर, दिल्ली, में ज्यादा होती है !यह मुर्गा 2 किलो से अधिक बजन का नही होता है !जो पूरी तरह से 6 माह में तैयार होता है !जबकि देशी मुर्गे 40 दिन में तैयार होजाते है और उनकी कीमत 500 रुपया होती है !लेकिन कडकनाथ मुर्गा 800 रुपया से लेकर 1000 रुपया तक बिकता है !पोस्टिक होने की बजह से इसमे फेट बिल्कुल नही होता जिससे यह बेहद लाभदायक होता है !नरेंद्र को अभी कड़नाथ मुर्गों का पोल्ट्री फार्म खोले 4 माह ही हुए है !जिसमे इनकी लागत 3 लाख रुपया लगी है !और यह 90 रुपया प्रति बच्चा के हिसाब से खजुराहो से यह 500 बच्चे लाये थे जिन्हें पोल्ट्री फॉर्म में पाल रहे है !


Conclusion:टीकमगढ़ कडकनाथ मुर्गों का पालन करने बाले नरेंद्र का कहना रहा कि अभी कड़कनाथ का यहां पर मार्केट कम है क्योंकि यह मुर्गा महंगा है जिसका कारण है !कि यह तमाम प्रकार की बीमारियों में काम आता है !वही पशुपालन बिभाग के डॉक्टर आर के जैन का कहना रहा कि कडकनाथ मुर्गा केंशर ओर डाइबिटीज की बीमारी में काफी लाभ देता है जिस कारण कैंसर ओर डाइबिटीज ओर हार्ट के मरीजो को इसका उपयोग करना चाहिए उनको यह लाभदायक होता है !इस मुर्गे में सभी प्रकार के विटामिन्स ओर प्रोटीन और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है !और इस मुर्गे में फैट न होने से भी यह मुर्गा लोगो को नुकसान नही करता है !जो एक अच्छी बेरायटी है !जो झाबुआ ओर पश्मि मध्यप्रदेश की प्रजाति है जिसे जंगली मुर्गा भी कहते है !कड़नाथ मुर्गा देशी मुर्गा से लाख गुना लाभकारी होता है !
Last Updated : Sep 25, 2019, 7:17 PM IST
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