ETV Bharat / state

आयुर्वेद दवाओं के भी हो सकते हैं साइड इफेक्ट, पद्म भूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने चेताया - DEVENDRA TRIGUNA AYURVEDIC MEDICINE

कहते हैं होम्योपेथिक दवाएं देर से लेकिन अच्छा असर दिखाई हैं.पद्म भूषण और पद्मश्री वैद्य ने बताया आयुर्वेद दवाओं से भी साइड इफेक्ट होता है.

DEVENDRA TRIGUNA AYURVEDIC MEDICINE
पद्म भूषण और पद्मश्री वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा का बयान (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 4:47 PM IST

Updated : Jan 21, 2025, 5:01 PM IST

भोपाल: देश के जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित वैद्य देवेन्द्र से सम्मानित वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा ने कहा है कि "मध्य प्रदेश सहित देश में सिर्फ रजिस्टर्ड आयुर्वेद विशेषज्ञ को ही प्रैक्टिस का अधिकार दिया जाना चाहिए. उनके मुताबिक एलोपैथी के तरह आयुर्वेद दवाओं का भी साइड इफेक्ट हो सकता है, लेकिन इससे तभी बचा जा सकता है, जब आयुर्वेद पढ़कर निकलने वाले डॉक्टर की सलाह पर दवाएं ली जाएं." भोपाल में चल रहे आयुर्वेद पर्व में शामिल हुए देवेन्द्र त्रिगुणा ने मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में आयुष इंडस्टी तैयार करने और सरकारी स्तर पर दवाओं के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया में लोएस्ट 1 की सीमा को हटाने का सुझाव दिया है.

आयुर्वेद में अच्छी दवाएं मिलना चुनौती

पद्म भूषण और पद्मश्री नाड़ी निदान विशेषज्ञ देवेन्द्र त्रिगुणा देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मानद चिकित्सक रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कई राष्ट्रध्यक्षों का भी आयुर्वेद से इलाज किया है. भोपाल के शासकीय खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज में चल रहे आयुर्वेद पर्व में शामिल हुए देवेन्द्र त्रिगुणा ने कहा कि "आयुर्वेद की जीएमपी एप्रूव कंपनियों को ही दवाएं बनाने का अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब आयुष इंडस्ट्री बनाई जानी चाहिए, क्योंकि पहले वैद्य अपने घर में ही दवाएं बनाते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं है.

पद्म भूषण और पद्मश्री वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने चेताया (ETV Bharat)

इसके लिए इस तरह की आयुष इंडस्ट्री विकसित हो, ताकि आयुर्वेद विशेषज्ञों को अच्छी क्वालिटी की दवाएं मिल सकें. उसमें अच्छी क्वालिटी का रॉ मटेरियल और हर्ब्स का उपयोग हो और उसकी कीमतें भी अच्छी हों. उन्होंने कहा कि हींग 600 रुपए किलो मिलती है, लेकिन यह ओरिजनल नहीं होती है, इसमें मिलावट होती है, जबकि असली हींग अफगानिस्तान से 10 हजार रुपए किलो तक मिलती है."

लगातार की जा रही रिसर्च

उधर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में आयुर्वेद सलाहकार वैद्य मनोज नेसरी ने बताया कि "देश में अच्छी आयुर्वेद दवाएं तैयार हो सकें, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के साथ रिचर्स किया जा रहा है. इसमें कैसे वन औषधी को तैयार कराया जाए, उनका रखरखाव कैसे और उनका स्टोरेज किस तरह से किया जाए, ताकि उनके औषधीय गुण को बरकरार और प्रभावी रखा जा सके. इसके साथ आईआईटी जोधपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर एमओयू साइन किए गए हैं.

आयुर्वेद और इससे टेक्नोलॉजी जैसे नेनो टेक्नोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी को जोड़कर प्रोग्राम शुरू किए गए हैं. इसमें देश के आयुर्वेद चिकित्सकों और आयुर्वेद से पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग दिलाई जा रही है."

भोपाल: देश के जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित वैद्य देवेन्द्र से सम्मानित वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा ने कहा है कि "मध्य प्रदेश सहित देश में सिर्फ रजिस्टर्ड आयुर्वेद विशेषज्ञ को ही प्रैक्टिस का अधिकार दिया जाना चाहिए. उनके मुताबिक एलोपैथी के तरह आयुर्वेद दवाओं का भी साइड इफेक्ट हो सकता है, लेकिन इससे तभी बचा जा सकता है, जब आयुर्वेद पढ़कर निकलने वाले डॉक्टर की सलाह पर दवाएं ली जाएं." भोपाल में चल रहे आयुर्वेद पर्व में शामिल हुए देवेन्द्र त्रिगुणा ने मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में आयुष इंडस्टी तैयार करने और सरकारी स्तर पर दवाओं के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया में लोएस्ट 1 की सीमा को हटाने का सुझाव दिया है.

आयुर्वेद में अच्छी दवाएं मिलना चुनौती

पद्म भूषण और पद्मश्री नाड़ी निदान विशेषज्ञ देवेन्द्र त्रिगुणा देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मानद चिकित्सक रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कई राष्ट्रध्यक्षों का भी आयुर्वेद से इलाज किया है. भोपाल के शासकीय खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज में चल रहे आयुर्वेद पर्व में शामिल हुए देवेन्द्र त्रिगुणा ने कहा कि "आयुर्वेद की जीएमपी एप्रूव कंपनियों को ही दवाएं बनाने का अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब आयुष इंडस्ट्री बनाई जानी चाहिए, क्योंकि पहले वैद्य अपने घर में ही दवाएं बनाते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं है.

पद्म भूषण और पद्मश्री वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने चेताया (ETV Bharat)

इसके लिए इस तरह की आयुष इंडस्ट्री विकसित हो, ताकि आयुर्वेद विशेषज्ञों को अच्छी क्वालिटी की दवाएं मिल सकें. उसमें अच्छी क्वालिटी का रॉ मटेरियल और हर्ब्स का उपयोग हो और उसकी कीमतें भी अच्छी हों. उन्होंने कहा कि हींग 600 रुपए किलो मिलती है, लेकिन यह ओरिजनल नहीं होती है, इसमें मिलावट होती है, जबकि असली हींग अफगानिस्तान से 10 हजार रुपए किलो तक मिलती है."

लगातार की जा रही रिसर्च

उधर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में आयुर्वेद सलाहकार वैद्य मनोज नेसरी ने बताया कि "देश में अच्छी आयुर्वेद दवाएं तैयार हो सकें, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के साथ रिचर्स किया जा रहा है. इसमें कैसे वन औषधी को तैयार कराया जाए, उनका रखरखाव कैसे और उनका स्टोरेज किस तरह से किया जाए, ताकि उनके औषधीय गुण को बरकरार और प्रभावी रखा जा सके. इसके साथ आईआईटी जोधपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर एमओयू साइन किए गए हैं.

आयुर्वेद और इससे टेक्नोलॉजी जैसे नेनो टेक्नोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी को जोड़कर प्रोग्राम शुरू किए गए हैं. इसमें देश के आयुर्वेद चिकित्सकों और आयुर्वेद से पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग दिलाई जा रही है."

Last Updated : Jan 21, 2025, 5:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.