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आस्था पर भारी पड़ा कोरोना का प्रभाव, कुंडेश्वर धाम में नहीं पहुंच रहे भक्त

लॉकडाउन के चलते सभी वर्ग प्रभावित हुए हैं. कोरोना महामारी का असर मंदिरों पर भी पड़ रहता है. 8 जून के भले ही मंदिर खोल दिए गए हैं. लेकिन कोरोना के डर से भक्त अपने भगवान से मिलने भी नहीं पहुंच पा रहे हैं. बुंदेलखण्ड के टीकमगढ़ स्थित आस्था का केंद्र माने जाने वाले शिव धाम कुंडेश्वर मंदिर में इक्का-दुक्का ही भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं.

Kundeshwar temple of tikamgarh
टीकमगढ़ का कुंडेश्वर मंदिर
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Published : Jun 14, 2020, 11:01 AM IST

टीकमगढ़। बुंदेलखण्ड की आस्था का केंद्र माने जाने वाले शिव धाम कुंडेश्वर मंदिर में इक्का-दुक्का ही भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं. लॉकडाउन से पहले जहां मंदिर श्रद्धालुओं केीभीड़ से खचा-खच भरा रहता था, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद मंदिर की रौनक पहले जैसी नहीं रही है. मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन के लिए भक्त लॉकडाउन के दौरान भगवान के दर्शन के लिए तरस गए थे, लेकिन मंदिर के पट खुलने के बाद सीमित श्रद्धालु ही मंदिर पहुंच रहे हैं.

टीकमगढ़ का कुंडेश्वर मंदिर

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान इस कुंडेश्वर मंदिर को 23 मार्च से बंद कर दिया था और 75 दिन के बाद यानी 8 जून को मंदिर को खोला गया था, लेकिन मंदिर खुलने के बाद भी भक्त कम ही पहुंच रहे हैं.

Devotees in temple
मंदिर में भक्त

मंदिर में हो रहा है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

शिव धाम के कुंडेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए सीमित संख्या में पहुंत रहे हैं, जो भक्त में मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. वे सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं. मंदिर के पुजारी पं. जमुना महाराज ने बताया कि जैसे ही मंदिर खोला गया वैसे ही मंदिर कमेटी ने भक्त और भगवान की बीच दूरियों को ध्यान में रखा है. भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है, लेकिन गर्भगृह में भक्तों के आने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा किसी को भी पूजा-पाठ और शिवलिंग पर जल, बेल्वपत्र, फूल मालाएं नहीं चढ़ाने दी जाएंगी. इसके साथ ही भक्तों को शिवलिंग को छूने से मना किया गया है.

भक्तों का मानना है कि मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं, लेकिन जब उनको मंदिर में पूजा पाठ नहीं करने दिया जा रहा है. शिवलिंग को जल नहीं चढ़ा पा रहे हैं. भोलेनाथ को स्पर्श करना वर्जित है.

टीकमगढ़। बुंदेलखण्ड की आस्था का केंद्र माने जाने वाले शिव धाम कुंडेश्वर मंदिर में इक्का-दुक्का ही भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं. लॉकडाउन से पहले जहां मंदिर श्रद्धालुओं केीभीड़ से खचा-खच भरा रहता था, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद मंदिर की रौनक पहले जैसी नहीं रही है. मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन के लिए भक्त लॉकडाउन के दौरान भगवान के दर्शन के लिए तरस गए थे, लेकिन मंदिर के पट खुलने के बाद सीमित श्रद्धालु ही मंदिर पहुंच रहे हैं.

टीकमगढ़ का कुंडेश्वर मंदिर

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान इस कुंडेश्वर मंदिर को 23 मार्च से बंद कर दिया था और 75 दिन के बाद यानी 8 जून को मंदिर को खोला गया था, लेकिन मंदिर खुलने के बाद भी भक्त कम ही पहुंच रहे हैं.

Devotees in temple
मंदिर में भक्त

मंदिर में हो रहा है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

शिव धाम के कुंडेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए सीमित संख्या में पहुंत रहे हैं, जो भक्त में मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. वे सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं. मंदिर के पुजारी पं. जमुना महाराज ने बताया कि जैसे ही मंदिर खोला गया वैसे ही मंदिर कमेटी ने भक्त और भगवान की बीच दूरियों को ध्यान में रखा है. भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है, लेकिन गर्भगृह में भक्तों के आने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा किसी को भी पूजा-पाठ और शिवलिंग पर जल, बेल्वपत्र, फूल मालाएं नहीं चढ़ाने दी जाएंगी. इसके साथ ही भक्तों को शिवलिंग को छूने से मना किया गया है.

भक्तों का मानना है कि मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं, लेकिन जब उनको मंदिर में पूजा पाठ नहीं करने दिया जा रहा है. शिवलिंग को जल नहीं चढ़ा पा रहे हैं. भोलेनाथ को स्पर्श करना वर्जित है.

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