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टीकमगढ़ : कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा ये बुंदेलखंडी साहित्यकार - Corona virus in Tikamgarh

कोरोना को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है. इस परिस्थिति में वरिष्ठ बुंदेलखंडी साहित्यकार डॉ दुर्गेश दीक्षित अपनी बुंदेली कविताओं के माध्यम से लोगों को कोरोना वायरस से बचाव संबंधी संदेश देकर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं. इस दौरान वे भगवान को आजाद करने की बात भी कहते हैं.

Senior Bundelkhandi litterateur making people aware of Corona
कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे वरिष्ठ बुंदेलखंडी साहित्यकार
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Published : May 15, 2020, 10:36 PM IST

Updated : May 24, 2020, 3:02 PM IST

टीकमगढ़। कोरोना महामारी को लेकर जहां एक ओर पूरा देश परेशान है तो वहीं बुन्देलखण्ड के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दुर्गेश दीक्षित अपनी बुंदेली रचनाओं के माध्यम से लोगों को कोरोना वायरस से बचाव संबंधी संदेश देकर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं.

कविताओं के माध्यम से लोगों को कर रहे जागरूक

82 वर्षीय ये कवि अभी तक एक हजार कोरोना पर बनाई गई रचनाओं को रच कर लोगों के बीच जाकर जागरूक करने में जुटे हुए हैं. इनकी रचनाएं शुद्ध बुन्देलखण्डी भाषा मे बनाई गई हैं, जिसे लोग आसानी से समझ जाते हैं. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में इनकी कविताएं लोगों को कोरोना से बचाने के लिए बेहतर साबित हो रही हैं.

कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे वरिष्ठ बुंदेलखंडी साहित्यकार

ये अपनी कविताएं समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाते हैं, जिससे लोग काफी जागरूक हो रहे हैं. इनकी कुछ रचनाएं कोरोना को लेकर इस प्रकार है- 1. कोरोना ने देश का किया बहुत नुकसान, रक्षा करने देश की शहीद हुए जवान, 2. कोरोना के कहर से देश हुआ लाचार, 3. भावी भारतवर्ष की मेट सके भगवान, ताले भीतर बन्द कर उन्हें अछूता मान, 4. कोरोना से लोग हुए हैरान, बचा न कोई कोना. इस तरह तमाम प्रकार की कविताओं की रचना कर ये लोगों को कोरोना वायरस से बचाव को लेकर जागरूक करने में जुटे हुए हैं.

भगवान को किया जाए आजाद: डॉ दीक्षित

उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से कहा कि जहां देश में इस वायरस की कोई दवा नहीं है. ऐसी परिस्थिति में भगवान ही इस विपदा को हर सकते हैं. लेकिन भगवान को मन्दिर के अंदर तालाबंदी कर बन्द कर दिया. भगवान को कैद करने की नहीं, आजाद करने की जरूरत है. तभी तो वे इस महामारी का अंत कर पाएंगे.

टीकमगढ़। कोरोना महामारी को लेकर जहां एक ओर पूरा देश परेशान है तो वहीं बुन्देलखण्ड के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दुर्गेश दीक्षित अपनी बुंदेली रचनाओं के माध्यम से लोगों को कोरोना वायरस से बचाव संबंधी संदेश देकर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं.

कविताओं के माध्यम से लोगों को कर रहे जागरूक

82 वर्षीय ये कवि अभी तक एक हजार कोरोना पर बनाई गई रचनाओं को रच कर लोगों के बीच जाकर जागरूक करने में जुटे हुए हैं. इनकी रचनाएं शुद्ध बुन्देलखण्डी भाषा मे बनाई गई हैं, जिसे लोग आसानी से समझ जाते हैं. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में इनकी कविताएं लोगों को कोरोना से बचाने के लिए बेहतर साबित हो रही हैं.

कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे वरिष्ठ बुंदेलखंडी साहित्यकार

ये अपनी कविताएं समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाते हैं, जिससे लोग काफी जागरूक हो रहे हैं. इनकी कुछ रचनाएं कोरोना को लेकर इस प्रकार है- 1. कोरोना ने देश का किया बहुत नुकसान, रक्षा करने देश की शहीद हुए जवान, 2. कोरोना के कहर से देश हुआ लाचार, 3. भावी भारतवर्ष की मेट सके भगवान, ताले भीतर बन्द कर उन्हें अछूता मान, 4. कोरोना से लोग हुए हैरान, बचा न कोई कोना. इस तरह तमाम प्रकार की कविताओं की रचना कर ये लोगों को कोरोना वायरस से बचाव को लेकर जागरूक करने में जुटे हुए हैं.

भगवान को किया जाए आजाद: डॉ दीक्षित

उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से कहा कि जहां देश में इस वायरस की कोई दवा नहीं है. ऐसी परिस्थिति में भगवान ही इस विपदा को हर सकते हैं. लेकिन भगवान को मन्दिर के अंदर तालाबंदी कर बन्द कर दिया. भगवान को कैद करने की नहीं, आजाद करने की जरूरत है. तभी तो वे इस महामारी का अंत कर पाएंगे.

Last Updated : May 24, 2020, 3:02 PM IST
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