टीकमगढ़। बुंदेलखंड के ओरछा में 16वीं और 17वीं शताब्दी में बुंदेला राजाओं का शासन काल रहा और करीब 200 साल तक ओरछा में राज किया. इस दौरान उन्होंने ओरछा को आकर्षक बनाने के लिए कलात्मक किले और मन्दिरों का निर्माण करवाया था. जिसमें प्रमुख रूप से राजा का किला, शीशमहल, जहांगीर महल, राय प्रवीण महल और ऐतिहासिक छतरियों का निर्माण करवाया. जिसे देखने भारी संख्या में पर्यटक आते हैं. जिसमें सबसे ज्यादा विदेशी लोग ओरछा की कला, मंदिरों और किलों को देखने आते हैं.
ओरछा में राजा का महल भी काफी कलात्मक तरीके से बनाया गया था, पत्थरों पर कुशल कारीगरों द्वारा उकेरा गया है, वहीं जहांगीर महल में हिंदू और मुस्लिम एकता को मिलाकर बनाया गया है, जो दोनों धर्मों को जोड़ने का काम करता है. वहीं शीशमहल में यूरोपियन और मराठा शैली का मिश्रण देखने को मिलता है. इस महल के ऊपर जो गुंबद है, वो आज भी धूप में सीसे की तरह चमकते हैं. जिस कारण इसको शीश महल कहते हैं. ओरछा को सबसे पहले रुद्रप्रताप सिंह ने अपनी राजधानी बनाई थी और यहां पर मन्दिर और किले बनवाए. यहां चीन, जापान, इंग्लैंड, इंडोनेसिया, अमेरिका, अफ्रीका, कनाडा, यूरोप, इटली सहित तमाम देशों से पर्यटक आते हैं.
ओरछा में राम को आज भी राजा के रूप में पूजा जाता है और ओरछा के राजा भगवान राम हैं. ओरछा में बुंदेला राजाओं ने 16वीं और 17वीं शताब्दी में छतरियों का भी निर्माण करवाया था, बेतवा नदी के किनारे ये छतरियां राजाओं की समाधि स्थल पर बनवाई गई हैं, जो काफी कलात्मक और ऐतिहासिक हैं. जिसमें ये समाधियां राजा मधुकर शाह, वीर सिंह जूदेव, जसवंत सिंह, उद्देत सिंह, पहाड़ सिंह सहित तमाम राजाओं की छतरियां बनवाई गई है. जिसमें इनके शिखर मन्दिर जैसे हैं, जो दूर से काफी कलात्मक दिखाई देती है. ये सभी 15 छतरियां पंचतत्व आकर में बनाई गई हैं. इन छतरियों और किलों में कई फिल्मों और सीरिय की शूटिंग भी हो चुकी है. ओरछा की सभी इमारतें आज पुरात्तव विभाग के अधीन हैं.