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पान की खेती को कृषि उत्पाद में शामिल करने की लोकसभा में उठी मांग

टीकमगढ़ से बीजेपी सांसद वीरेंद्र खटीक ने लोकसभा में पान की खेती को कृषि उत्पाद में शामिल करने की मांग की है. मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर पान की खेती होती है, लेकिन कृषि उत्पाद में शामिल नहीं होने की वजह से किसानों को उचित मदद नहीं मिल पाती.

virendra khatik
डॉ. वीरेंद्र खटीक, बीजेपी सांसद
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Published : Feb 4, 2020, 2:03 PM IST

भोपाल। बीजेपी सांसद डॉ. वीरेंद्र खटीक ने लोकसभा में पान की खेती को कृषि उत्पाद में शामिल न किए जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों के साथ पान का उत्पादन मध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर होता है. लेकिन कृषि क्षेत्र में शामिल न होने से आपदा के समय पान की खेती करने वाले किसानों को सरकारी सहायता नहीं मिलती.

डॉ. वीरेंद्र खटीक, बीजेपी सांसद

पढ़ें: पहचान खो रहा है रतलाम का प्रसिद्ध चौरानी पान, किसान छोड़ रहे खेती

खटीक ने कहा कि, पान की खेती को कृषि उत्पाद क्षेत्र में शामिल न किए जाने का नुकसान हर साल पान की खेती करने वाले किसान उठाते हैं. क्योंकि पान की खेती में, अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा मेहनत लगती है. लेकिन नुकसान के समय किसानों को किसी भी प्रकार से शासन की तरफ से कोई लाभ नहीं मिलता.

पढ़ें:पान की मिठास से किसानों का मोह भंग, पान की खेती से कर रहे तौबा

वीरेंद्र खटीक ने कहा कि, उनके संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ में पान की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसके अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पान का उत्पादन किया जाता है. पान की खेती करने वाले किसान, लंबे समय से इसे कृषि उत्पाद क्षेत्र में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. इसलिए वो सदन के माध्यम से यह अपील करते हैं की पान की खेती को कृषि उत्पाद क्षेत्र में शामिल किया जाए. ताकि किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिल सके.

पढ़ें: कड़ाके की ठंड से पान की फसल बर्बाद, किसानों ने सरकार से लगाई मुआवजे की गुहार

भोपाल। बीजेपी सांसद डॉ. वीरेंद्र खटीक ने लोकसभा में पान की खेती को कृषि उत्पाद में शामिल न किए जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों के साथ पान का उत्पादन मध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर होता है. लेकिन कृषि क्षेत्र में शामिल न होने से आपदा के समय पान की खेती करने वाले किसानों को सरकारी सहायता नहीं मिलती.

डॉ. वीरेंद्र खटीक, बीजेपी सांसद

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खटीक ने कहा कि, पान की खेती को कृषि उत्पाद क्षेत्र में शामिल न किए जाने का नुकसान हर साल पान की खेती करने वाले किसान उठाते हैं. क्योंकि पान की खेती में, अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा मेहनत लगती है. लेकिन नुकसान के समय किसानों को किसी भी प्रकार से शासन की तरफ से कोई लाभ नहीं मिलता.

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वीरेंद्र खटीक ने कहा कि, उनके संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ में पान की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसके अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पान का उत्पादन किया जाता है. पान की खेती करने वाले किसान, लंबे समय से इसे कृषि उत्पाद क्षेत्र में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. इसलिए वो सदन के माध्यम से यह अपील करते हैं की पान की खेती को कृषि उत्पाद क्षेत्र में शामिल किया जाए. ताकि किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिल सके.

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