ETV Bharat / state

शिक्षक के जुनून ने पिछड़े सरकारी स्कूल को बनाया टॉपर, सूबे के पांचवें पायदान पर पहुंचा

एक शिक्षक के जुनून ने सबसे पिछड़े स्कूल को प्रदेश की पहली पंक्ति में खड़ा कर दिया है, कुछ समय पहले तक अपनी बदहाली पर आंसू बहाने वाला स्कूल आज अपनी खूबसूरती पर इतरा रहा है क्योंकि शिक्षा के इस मंदिर को मंदिर बनाने में गुरूजी के जुनून का अहम योगदान है.

मॉडल स्कूल
author img

By

Published : Jul 21, 2019, 12:33 PM IST

सिंगरौली। अपनी खूबसूरती पर इतराती ये इमारत बाहर से जितनी सुंदर दिख रही है, अपने अंदर उससे भी सुनहरा भविष्य समेटे हुए है क्योंकि ये कोई मामूली इमारत नहीं है, बल्कि ये वो इमारत है जिसमें देश का भविष्य गढ़ा जाता है. बदहाली की कगार पर खड़ी शिक्षा व्यवस्था के सामने ये तस्वीर एक नजीर पेश कर रही है कि बेहतर भविष्य गढ़ना है तो इरादों को मजबूत करना ही पड़ेगा. इस बदलाव के पीछे सिर्फ एक ही इंसान की मेहनत है, जिसने गुरू के अर्थ को भी सार्थक कर दिखाया है.

मॉडल स्कूल

देवसर तहसील के सबसे पिछड़े इलाके के गिनहा गांव में स्थित ये स्कूल लंबे समय से उपेक्षित था, जिसे सह अध्यापक जितेंद्र वैश्य ने नई पहचान दिलाई. अब ये स्कूल अपनी रंगत पर इतराता है, जितेंद्र ने शिक्षा का महत्व समझते हुए अपने खर्च से स्कूल का कायाकल्प किया और छात्रों को स्कूल तक पहुंचाने से लेकर अंग्रेजी, गणित व संगीत तक में पारंगत करने की जिम्मेदारी भी खुद ही उठा रहे हैं.

म्यूजिक से पोस्ट ग्रेजुएट जितेंद्र ने अपने जुनूनी प्रयास से वह कर दिखाया, जो आम शिक्षकों की कल्पना से बाहर है, उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन का ही नतीजा है कि जिले के सबसे पिछड़े इलाके का स्कूल अगड़ों की जमात में सबसे आगे खड़ा है. आगे उनका इरादा इस स्कूल को प्रदेश के लिए टॉप मॉडल के तौर पर पेश करना है.

बच्चों की परेशानी देख जितेंद्र ने खुद एक ट्रॉली बनवाई और उसे अपनी बाइक में जोड़कर बच्चों को अपने साथ स्कूल ले जाने लगे, उनकी इस लगन से दूर-दराज क्षेत्र के बच्चे भी स्कूल आने लगे. इसके अलावा बच्चों की रुचि के लिए उन्हें संगीत भी सिखाने लगे. सिर्फ एक शिक्षक के जुनून से ये स्कूल प्रदेश के टॉप टेन में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है, यदि सभी शिक्षक जितेंद्र की तरह जुनूनी हो जाएंगे तो सोचिए देश का भविष्य कितना सुनहरा होगा.

सिंगरौली। अपनी खूबसूरती पर इतराती ये इमारत बाहर से जितनी सुंदर दिख रही है, अपने अंदर उससे भी सुनहरा भविष्य समेटे हुए है क्योंकि ये कोई मामूली इमारत नहीं है, बल्कि ये वो इमारत है जिसमें देश का भविष्य गढ़ा जाता है. बदहाली की कगार पर खड़ी शिक्षा व्यवस्था के सामने ये तस्वीर एक नजीर पेश कर रही है कि बेहतर भविष्य गढ़ना है तो इरादों को मजबूत करना ही पड़ेगा. इस बदलाव के पीछे सिर्फ एक ही इंसान की मेहनत है, जिसने गुरू के अर्थ को भी सार्थक कर दिखाया है.

मॉडल स्कूल

देवसर तहसील के सबसे पिछड़े इलाके के गिनहा गांव में स्थित ये स्कूल लंबे समय से उपेक्षित था, जिसे सह अध्यापक जितेंद्र वैश्य ने नई पहचान दिलाई. अब ये स्कूल अपनी रंगत पर इतराता है, जितेंद्र ने शिक्षा का महत्व समझते हुए अपने खर्च से स्कूल का कायाकल्प किया और छात्रों को स्कूल तक पहुंचाने से लेकर अंग्रेजी, गणित व संगीत तक में पारंगत करने की जिम्मेदारी भी खुद ही उठा रहे हैं.

म्यूजिक से पोस्ट ग्रेजुएट जितेंद्र ने अपने जुनूनी प्रयास से वह कर दिखाया, जो आम शिक्षकों की कल्पना से बाहर है, उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन का ही नतीजा है कि जिले के सबसे पिछड़े इलाके का स्कूल अगड़ों की जमात में सबसे आगे खड़ा है. आगे उनका इरादा इस स्कूल को प्रदेश के लिए टॉप मॉडल के तौर पर पेश करना है.

बच्चों की परेशानी देख जितेंद्र ने खुद एक ट्रॉली बनवाई और उसे अपनी बाइक में जोड़कर बच्चों को अपने साथ स्कूल ले जाने लगे, उनकी इस लगन से दूर-दराज क्षेत्र के बच्चे भी स्कूल आने लगे. इसके अलावा बच्चों की रुचि के लिए उन्हें संगीत भी सिखाने लगे. सिर्फ एक शिक्षक के जुनून से ये स्कूल प्रदेश के टॉप टेन में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है, यदि सभी शिक्षक जितेंद्र की तरह जुनूनी हो जाएंगे तो सोचिए देश का भविष्य कितना सुनहरा होगा.

Intro:सिंगरौली जिले के देवसर तहसील के सबसे पिछड़े इलाके में स्थित एक स्कूल के वह अध्यापक के ऊपर जो पहले नाम के अनुसार ही मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ा हुआ था लेकिन मात्र एक शिक्षक ने शिक्षा का महत्व को समझते हुए अपने खर्च से स्कूल का कायाकल्प पलट दिया साथ ही अपने शिष्यों को भी इंग्लिश मैथ वह म्यूजिक में दक्ष बना दिया है


Body:दरअसल सिंगरौली जिले के देवसर ब्लाक के पिछड़े इलाकों में स्थित गिनहा गांव के प्राथमिक स्कूल के सहायक शिक्षक जितेंद्र बेस ने यह कर दिखाया है की उसके पदस्थापना से पहले नाम के अनुसार स्कूल की स्थिति चरितार्थ हो रही थी साथ ही क्षेत्रीय लोगो को बच्चों को पढ़ाई से भी कोई कोर कसर नहीं था लेकिन म्यूजिक से पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री धारी जितेंद्र बेस ने अपने जुनूनी प्रयास से वह कर दिखाया है जो आम शासकीय शिक्षकों की कल्पना से बाहर है वैश्य की दृष्टि इच्छाशक्ति व लगन का ही कमाल है कि जिले के सबसे पिछड़े इलाके में स्थित गिनहा गांव की प्राथमिक स्कूल होने के बावजूद भी जिले में पहली स्कूल है



जितेंद्र बैस ने बताया कि जब स्कूल मैं पद आस्थापना हुई तो यहां की स्थिति देखकर बहुत दुख हुआ उसी समय से हमने मन में यह ठान लिया कि कुछ ऐसा कर दिखाना है कि जिस से दबे कुचले बच्चों को पढ़ा कर योग्य बनाना है और बच्चों का घर स्कूल से तीन-चार किलोमीटर दूर होने के कारण अपने वेतन के पैसे से मोटरसाइकिल के पीछे जोड़ने के लिए एक ट्राली बनवाया जिसमें बैठकर गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए ले आना और पहुंचाना शुरू किया जिससे बच्चों को आने-जाने में काफी सुविधा होने लगी जिसके कारण इस स्कूल में पर्याप्त उपस्थिति होने लगी इतना ही नहीं अपने स्कूल के बच्चों को म्यूजिक भी शिखा करता हूं वहीं उन्होंने यह भी बताया कि हमारी प्राथमिक स्कूल पिछड़े इलाके में स्थित होने के बावजूद भी प्रदेश के टॉप टेन मॉडल स्कूल में पांचवा स्थान प्राप्त किया है


बाइट सहायक शिक्षक जितेंद्र वैश्य


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.