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महिला दिव्यांग की सुनो सरकार, 2 साल से ट्राई-साइकिल के लिए काट रहीं चक्कर - ट्राई साईकिल के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाती दिव्यांग

प्रदेश में दिव्यांगों को लेकर राज्य सरकार एक तरफ दिव्यांगों की हमदर्द बनने का दावा करती है तो वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उनको नहीं मिल रहा है.

Disabled reached Public Hearing  for Tricycle
ट्राई-साइकिल के लिए जनसुनवाई में पहुंची दिव्यांग
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Published : Dec 4, 2019, 10:11 AM IST

Updated : Dec 4, 2019, 11:45 AM IST

सिंगरौली। राज्य सरकार की दिव्यांगों को लेकर चलाई जा रही योजनाओं का रंग अब फीका पड़ता नजर रहा है. जिसके तहत दिव्यांगजनों को सरकार से किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है. इसकी एक झलक जनसुनवाई में पहुंची दिव्यांग सुशीला के साथ देखने को मिली. सुशीला पिछले 2 साल से जनसुनवाई के चक्कर लगा रही हैं. लेकिन अभी तक उन्हें प्रशासन की ओर से ट्राई साईकिल उपलब्ध नहीं कराई गई है.

ट्राई-साइकिल के लिए जनसुनवाई में पहुंची दिव्यांग

जिले के बरका गांव में रहने वाली सुशीला पोलियो से पीड़ित हैं और ट्राई साईकिल के लिए अधिकारियों-नेताओं के कई बार चक्कर काट चुकी हैं, लेकिन सुशीला को अभी तक ट्राई साईकिल नहीं मिल पाई है.

विकलांगता के बाद ससुरालियों ने छोड़ा साथ
सुशीला बताती हैं कि वो 80 फीसदी दिव्यांग हैं. घर में माता-पिता के साथ एक भाई है जो मानसिक रूप से बीमार हैं. उन्होंने बताया कि विकलांगता के बाद पति और सास-ससुर ने भी साथ छोड़ दिया.

अब ऐसे में नि:शक्त दिव्यांग को जीवन यापन के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वे कई बार एक ट्राई साइकिल के लिए विभागीय अधिकारियों से मिलकर गुहार लगा चुकी हैं लेकिन उनकी समस्या का समाधान होता दिख नहीं रहा है.

सिंगरौली। राज्य सरकार की दिव्यांगों को लेकर चलाई जा रही योजनाओं का रंग अब फीका पड़ता नजर रहा है. जिसके तहत दिव्यांगजनों को सरकार से किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है. इसकी एक झलक जनसुनवाई में पहुंची दिव्यांग सुशीला के साथ देखने को मिली. सुशीला पिछले 2 साल से जनसुनवाई के चक्कर लगा रही हैं. लेकिन अभी तक उन्हें प्रशासन की ओर से ट्राई साईकिल उपलब्ध नहीं कराई गई है.

ट्राई-साइकिल के लिए जनसुनवाई में पहुंची दिव्यांग

जिले के बरका गांव में रहने वाली सुशीला पोलियो से पीड़ित हैं और ट्राई साईकिल के लिए अधिकारियों-नेताओं के कई बार चक्कर काट चुकी हैं, लेकिन सुशीला को अभी तक ट्राई साईकिल नहीं मिल पाई है.

विकलांगता के बाद ससुरालियों ने छोड़ा साथ
सुशीला बताती हैं कि वो 80 फीसदी दिव्यांग हैं. घर में माता-पिता के साथ एक भाई है जो मानसिक रूप से बीमार हैं. उन्होंने बताया कि विकलांगता के बाद पति और सास-ससुर ने भी साथ छोड़ दिया.

अब ऐसे में नि:शक्त दिव्यांग को जीवन यापन के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वे कई बार एक ट्राई साइकिल के लिए विभागीय अधिकारियों से मिलकर गुहार लगा चुकी हैं लेकिन उनकी समस्या का समाधान होता दिख नहीं रहा है.

Intro:सिंगरौली जिले में दिव्यांगों को लेकर मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ लाख दावा करती है पर यह तस्वीर सरकार के दावों की पोल खोल रही है जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है दिव्यांगों के लिए अनेक योजनाएं चलाई गई है पर दिव्यांगों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिल पा रही है

निःशक्तता का दर्द क्या होता है यह निःशक्तत होने वाला ही समझ सकता है कुछ ऐसा ही मामला सिंगरौली जिले में कलेक्टर जनसुनवाई के दौरान देखने को मिली जहां 35 वर्षीय सुसीला 100 किलो मीटर दूर बरका गांव से जन सुनवाई में ट्राईसाईकिल लेने के लिए पहुंची, महिला ने आरोप लगाया है कि 2 साल के दरमियान तीन बार जनसुनवाई में आ चुकी हूं लेकिन अभी तक उसे ट्राईसाईकिल नहीं मिल पाई है Body:दरअसल बरका निवासी 35 वर्षीय सुसीला 2 साल से पोलियो से पीड़ित है और तिपहिया साइकिल के लिए जिला के अधिकारियों व नेताओं के कई बार चक्कर काट चुकी है, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है। विकलांग 80 प्रतिशत विकलांग है, साथ ही माता पिता के साथ भाई जी मानसिक रूप से विक्षिप्त है और विकलांगताा के बाद पति व सास-ससुर ने भी साथ छोड़ दिया ऐसे में निशक्तत महिला को जीवन यापन के लिए समस्या होने लगी है। आने-जाने के लिए की खिसक खिसक कर चलना पड़ता है।विकलांग महिला ने विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द उनकी समस्या को हल किया जाए।
आपको बता दें कि सिंगरौली जिले में एक हफ्ते बाद कलेक्ट्रेट में उसको 2 महीने से राशन नहीं मिल रहा है उसको लेकर आया हुआ था जिसे खाद्यान्न विभाग व जिला प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई

बाइट दिव्यांग महिला सुशीला
बाइट दिव्यांग शैलेश मिश्रा
बाइट जिला कलेक्टर केवीएस चौधरी
Conclusion:
Last Updated : Dec 4, 2019, 11:45 AM IST
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