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सीधीः राष्ट्रवाद-जातिवाद ही नहीं इस बार यहां पानी-रोजगार है बड़ा मुद्दा

सीधी-सिंगरौली लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है. सीधी-सिंगरौली क्षेत्र की जनता स्थानीय सांसद रीती पाठक से नाराज है. लोगों का कहना है कि रीति पाठक के ज्यादातर वादे अधूरे हैं. इसलिए इस बार का सांसद ऐसा होना चाहिए जो इन समस्यायों को सुलझाने का काम करे.

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Published : Apr 23, 2019, 5:17 PM IST

सीधी/सिंगरौली की जनता की राय

सीधी/सिंगरौली। विंध्य अंचल की सीधी लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को मतदान के साथ ही सभी प्रत्याशियों का सियासी भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा. जहां बीजेपी की वर्तमान सांसद रीति पाठक का मुकाबला कांग्रेस के अजय सिंह से है. यहां इस बार विकास के साथ-साथ राष्ट्रवाद और जातिवाद का मुद्दा भी हावी नजर आ रहा है.

सीधी-सिंगरौली क्षेत्र की जनता स्थानीय सांसद रीती पाठक से नाराज है. लोगों का कहना है कि रीति पाठक के ज्यादातर वादे अधूरे हैं. देवसर विधानसभा क्षेत्र की जनता का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. ग्रामीण अंचल से घिरे सीधी संसदीय क्षेत्र की जनता का कहना है कि पानी और रोजगार यहां की बड़ी समस्यायों में से एक है. इसलिए इस बार का सांसद ऐसा होना चाहिए जो इन समस्यायों को सुलझाने का काम करे.

लोकसभा चुनाव पर सीधी सिंगरौली की जनता की राय

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि इस बार का चुनाव तो विकास के मुद्दों से इतर राष्ट्रवाद के मुद्दो पर लड़ा जा रहा है. जिसका असर सीधी सीट पर भी देखने को मिल रहा है. सीधी-सिंगरौली में एक तरफ जहां क्षेत्र की जनता समस्यायों से परेशान है, वहीं मतदान के प्रति उनकी उत्सुकता से प्रत्याशियों की धड़कने तेज हो रही हैं क्योंकि इस बार सीधी सिंगरौली की जनता केवल विकास के मुद्दों पर ही वोट डालने का मन बना रही है.

सीधी/सिंगरौली। विंध्य अंचल की सीधी लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को मतदान के साथ ही सभी प्रत्याशियों का सियासी भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा. जहां बीजेपी की वर्तमान सांसद रीति पाठक का मुकाबला कांग्रेस के अजय सिंह से है. यहां इस बार विकास के साथ-साथ राष्ट्रवाद और जातिवाद का मुद्दा भी हावी नजर आ रहा है.

सीधी-सिंगरौली क्षेत्र की जनता स्थानीय सांसद रीती पाठक से नाराज है. लोगों का कहना है कि रीति पाठक के ज्यादातर वादे अधूरे हैं. देवसर विधानसभा क्षेत्र की जनता का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. ग्रामीण अंचल से घिरे सीधी संसदीय क्षेत्र की जनता का कहना है कि पानी और रोजगार यहां की बड़ी समस्यायों में से एक है. इसलिए इस बार का सांसद ऐसा होना चाहिए जो इन समस्यायों को सुलझाने का काम करे.

लोकसभा चुनाव पर सीधी सिंगरौली की जनता की राय

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि इस बार का चुनाव तो विकास के मुद्दों से इतर राष्ट्रवाद के मुद्दो पर लड़ा जा रहा है. जिसका असर सीधी सीट पर भी देखने को मिल रहा है. सीधी-सिंगरौली में एक तरफ जहां क्षेत्र की जनता समस्यायों से परेशान है, वहीं मतदान के प्रति उनकी उत्सुकता से प्रत्याशियों की धड़कने तेज हो रही हैं क्योंकि इस बार सीधी सिंगरौली की जनता केवल विकास के मुद्दों पर ही वोट डालने का मन बना रही है.

Intro:सिंगरौली मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव 5 साल बाद एक बार फिर शुरू होने वाला है लेकिन यहां के पूर्व सांसद रीती पाठक 5 सालों को भी ऐसा कर रखी है कि जिससे जनता खुश हो जनता का कहना कि इस बार वोट विकास के मुद्दे पर नहीं बल्कि राष्ट्रवाद को वोट दिया जाएगा क्योंकि चुनाव में विकास का मुद्दा दूर-दूर तक नजर आ नहीं रहा है क्योंकि 15 सालों तक मध्य प्रदेश में राज्य की बीजेपी सरकार में विकास की बात कर रही है वर्तमान कांग्रेश सरकार भी


Body:दरअसल सिंगरौली जिले की जनता पूर्व सांसद और वर्तमान बीजेपी सांसद रीती पाठक से जनता बेहद नाराज है उसका कहना है कि 5 सालों में रीति पाठक जनता के बीच कभी आई नहीं और कोई गया भी तो उसे ना ही सही तरीके से मुलाकात की और ना ही बातचीत की साथी इलाके के लोगों का कहना है कि इस बार चुनाव में तो विकास काम होता है कि नहीं क्योंकि 15 सालों में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार रही 5 सालों से रीति पाठक सांसद रही लेकिन कोई भी ऐसा काम नहीं किए हैं जिससे जनता की गरीबी या शहर का विकास हुआ



देवसर विधानसभा की जनता का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में ना ही स्वास्थ्य केंद्र है कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो 15 से 20 किलोमीटर दूर इलाज के लिए जाना पड़ता है सरकार के तमाम योजनाएं हैं जिसका लाभ मिलता नहीं 5 साल पहले रीति पाठक विस्थापित को उचित मुआवजा कंपनी में नौकरी बेरोजगारी दूर करने शिक्षा स्वास्थ्य सड़क बिजली पानी की सुविधा सहित ग्रामीण इलाकों में पार्क सहित तमाम वादे किए थे लेकिन आज तक कोई भी वादे पूरे नहीं हुए इतना ही नहीं इलाकों में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है कहीं बने जरूर हैं लेकिन वहां पर किसी भी प्रकार के डॉक्टर नर्स की तैनाती नहीं है


Conclusion:वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इस बार चुनाव विकास पहुंचाने पर नहीं बल्कि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव हो रहा है और इसी के आधार पर केंद्र की सरकार मोदी सरकार एक बार फिर से जिताएंगे

लेकिन यह जरूर है कि कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है अब देखना होगा कि 23 मई को परिणाम किसके पक्ष में आता है और किसकी होती है सरकार
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