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सिंगरौली: स्कूल में शिक्षक बनाते हैं मिड-डे मील, बच्चों को नहीं मिली यूनिफॉर्म - शिक्षिका

सिंगरौली में एक स्कूल ऐसा है जहां शिक्षक ही छात्रों के लिए मिड-डे मील बनाते है. मामले को लेकर जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

यहां शिक्षक बनाते हैं मिड-डे मील
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Published : Mar 5, 2019, 11:44 PM IST

सिंगरौली। प्रदेश सरकार भले ही स्कूलों में मिड-डे मील देकर छात्र-छात्राओं को स्कूल तक लाने-रिझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यही मिड-डे मील मुसीबत का सबब बना हुआ है. जिले के चितरंगी तहसील में एक स्कूल ऐसा है, जहां टीचर पढ़ाई के साथ-साथ मिड-डे मील भी बनाते हैं.

दरअसल जिले की चितरंगी तहसील की शासकीय माध्यमिक पाठशाला दादर, प्रदेश सरकार के अंतर्गत आती है. यहां शिक्षक ही बच्चों को मध्याह्न भोजन बनाकर खिलाते हैं. जहां एक तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था और देश का भविष्य बनाने का दावा करती है, वहीं जमीनी हकीकत कुछ ओर ही नजर आती है.

इस स्कूल में सौ से भी कम बच्चों का दाखिला हुआ है. शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में बच्चों को गांव से बुलाना पड़ता है. स्कूल की शिक्षा भी गुणवत्ता विहीन है. यही वजह है कि जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं.

यहां शिक्षक बनाते हैं मिड-डे मील

वहीं, स्कूल की शिक्षिका का कहना है कि चितरंगी ब्लॉक के किसी भी स्कूल में यूनिफॉर्म वितरण नहीं हुआ है. यह एनजीओ के माध्यम से वितरित किया जाता है. इस मामले की जानकारी कई बार अधिकारियों को दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

सिंगरौली। प्रदेश सरकार भले ही स्कूलों में मिड-डे मील देकर छात्र-छात्राओं को स्कूल तक लाने-रिझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यही मिड-डे मील मुसीबत का सबब बना हुआ है. जिले के चितरंगी तहसील में एक स्कूल ऐसा है, जहां टीचर पढ़ाई के साथ-साथ मिड-डे मील भी बनाते हैं.

दरअसल जिले की चितरंगी तहसील की शासकीय माध्यमिक पाठशाला दादर, प्रदेश सरकार के अंतर्गत आती है. यहां शिक्षक ही बच्चों को मध्याह्न भोजन बनाकर खिलाते हैं. जहां एक तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था और देश का भविष्य बनाने का दावा करती है, वहीं जमीनी हकीकत कुछ ओर ही नजर आती है.

इस स्कूल में सौ से भी कम बच्चों का दाखिला हुआ है. शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में बच्चों को गांव से बुलाना पड़ता है. स्कूल की शिक्षा भी गुणवत्ता विहीन है. यही वजह है कि जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं.

यहां शिक्षक बनाते हैं मिड-डे मील

वहीं, स्कूल की शिक्षिका का कहना है कि चितरंगी ब्लॉक के किसी भी स्कूल में यूनिफॉर्म वितरण नहीं हुआ है. यह एनजीओ के माध्यम से वितरित किया जाता है. इस मामले की जानकारी कई बार अधिकारियों को दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

Intro:सिंगरौली मध्य प्रदेश सरकार भले ही स्कूलों में मध्यान्ह भोजन देकर छात्र-छात्राओं के स्कूल तक लाने रिझाने की कोशिश कर रही है लेकिन यही मध्यान्ह भोजन मुसीबत का सबब बना हुआ है सिंगरौली जिले के चितरंगी तहसील में एक स्कूल ऐसा है जहां टीचर पढ़ाई पढ़ाई के लिए समय ही नहीं है क्योंकि टीचर स्कूल में ज्यादा वक्त उनका खाना बनाने में ही जाता है और बच्चों को खिलाने में क्योंकि यहां पर टीचर पढ़ाने के साथ साथ मध्यान्ह भोजन भी बनाते हैं वहीं चितरंगी तहसील के कई विद्यालयों में अभी तक बच्चों को नहीं मिला है गणवेश


Body:दरअसल सिंगरौली जिले के चितरंगी तहसील शासकीय माध्यमिक पाठशाला दादर है जो प्रदेश सरकार के अंतर्गत आती है इसी स्कूल में सरकार की शिक्षा व्यवस्था और देश का भविष्य बनाने कि प्रदेश सरकार दावा करती है लेकिन यहां की जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है जहां पर शिक्षक बच्चों को मध्यान भोजन बनाकर खिलाते हैं इन स्कूलों के बच्चे और स्कूल को देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश का भविष्य कितना अंधकार में है वहीं कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां बच्चों को अभी तक गणवेश भी नहीं मिले हैं





इस स्कूल के बच्चे बहुत कम आते हैं 100 से भी कम स्कूल में बच्चों का दाखिला हुआ है और यहां शिक्षक बताते हैं कि स्कूल में बच्चों को गांव से बुलाना पड़ता है दरअसल स्कूल की शिक्षा भी गुणवत्ता विहीन है यही वजह है कि यहां पर जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं


Conclusion:वहीं स्कूल की शिक्षिका का कहना है कि गणवेश हमारे चितरंगी ब्लाक के किसी भी स्कूल में नहीं वितरण हुआ है यह एनजीओ के माध्यम से वितरित किया जाता है इसके बारे में हम कई सभाओं में अवगत कराया लेकिन आज तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई
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