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सिंगरौली: अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे रिलायंस पावर प्लांट के विस्थापित

रिलायंस पावर प्लांट के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए है. उनका कहना है कि कंपनी 10 साल बाद भी अपने अनुबंध का पालन नहीं कर पाई है. जिसके चलते उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है.

विस्थापित अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे
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Published : Oct 5, 2019, 10:16 PM IST

सिंगरौली। रिलायंस पावर प्लांट के सैकड़ों विस्थापित लगातार दो दिन से 12 मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए है. उनका कहना है कि कंपनी 10 साल बाद भी अपने अनुबंध का पालन नहीं कर पाई है.

विस्थापित अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे

विस्थापितों का कहना है कि, जिला प्रशासन और कंपनी प्रबंधन के बीच जो अनुबंध हुआ था, उसका आज तक पालन नहीं हो पाया है. जिसके चलते विस्थापितों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. हालात ऐसे बन गए है कि, विस्थापितों को बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है. विस्थापितों का कहना है कि आज तक किसी को स्थायी नौकरी तक नहीं मिल पाई है.

विस्थापितों को भत्ता भी नहीं मिला है और जो भत्ता मिला है वो पर्याप्त नहीं है, क्योंकि सात हजार रुपये में जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है जबकि विस्थापितों को स्थाई नौकरी देने का लालच दिया गया था. उनका कहना है कि अब न तो कंपनी साथ दे रही है और न ही प्रसाशन ध्यान दे रहा है. जनप्रतिनिधियों से भी इस मामले में उदासीनता ही मिल रही है. यही कारण है कि बीते 10 सालों से विस्थापितों की समस्याएं कम होने की बजाय बढ़ती चली जा रही हैं.

इस मामले पर कलेक्टर केवीएस चौधरी का कहना है कि जिन विस्थापितों को रोजगार या भत्ता अभी तक नहीं मिल पाया है, उनका निराकरण करने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए समय-समय पर कैम्प भी लगाया जा रहा है.

सिंगरौली। रिलायंस पावर प्लांट के सैकड़ों विस्थापित लगातार दो दिन से 12 मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए है. उनका कहना है कि कंपनी 10 साल बाद भी अपने अनुबंध का पालन नहीं कर पाई है.

विस्थापित अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे

विस्थापितों का कहना है कि, जिला प्रशासन और कंपनी प्रबंधन के बीच जो अनुबंध हुआ था, उसका आज तक पालन नहीं हो पाया है. जिसके चलते विस्थापितों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. हालात ऐसे बन गए है कि, विस्थापितों को बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है. विस्थापितों का कहना है कि आज तक किसी को स्थायी नौकरी तक नहीं मिल पाई है.

विस्थापितों को भत्ता भी नहीं मिला है और जो भत्ता मिला है वो पर्याप्त नहीं है, क्योंकि सात हजार रुपये में जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है जबकि विस्थापितों को स्थाई नौकरी देने का लालच दिया गया था. उनका कहना है कि अब न तो कंपनी साथ दे रही है और न ही प्रसाशन ध्यान दे रहा है. जनप्रतिनिधियों से भी इस मामले में उदासीनता ही मिल रही है. यही कारण है कि बीते 10 सालों से विस्थापितों की समस्याएं कम होने की बजाय बढ़ती चली जा रही हैं.

इस मामले पर कलेक्टर केवीएस चौधरी का कहना है कि जिन विस्थापितों को रोजगार या भत्ता अभी तक नहीं मिल पाया है, उनका निराकरण करने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए समय-समय पर कैम्प भी लगाया जा रहा है.

Intro:सिंगरौली रिलायन्स पॉवर प्लांट के सैकड़ो विस्थापित लगातार 2 दिन से 12 मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए है उनका कहना है कि कंपनी 10 साल बाद भी अपने अनुबंध का पालन नही कर पाई रिलायंस कंपनीBody:दरअसल सिंगरौली जिले के विस्थापितों का कहना है कि जिला प्रसाशन और कंपनी प्रबंधन के बीच जो अनुबंध हुआ था उसका आज दिन तक पालन नही हो पाया जिसके कारण उन्हें दर दर भटकना पड़ रहा है हालात ऐसे निर्मित हो गए है कि विस्थापितो को बुनियादी सुविधाएं से वंचित होना पड़ रहा है। न तो आजतक किसी को स्थायी नौकरी मिल पाई और न ही समय से विस्थापितो को भत्ता मिल पाता..और जिन्हें भत्ता भी दिया जा रहा है वो पर्याप्त नही है ..क्योंकि 7 हजार रुपये में जीवन यापन करना मुश्किल हो गया ..जबकि विस्थापितो से स्थाई नौकरी देने का लालच दिया गया था।अब न तो कंपनी साथ दे रही है और न ही प्रसाशन उधर जनप्रतिनिधि भी इस मामले में उदासीन है....यही कारण है कि बीते 10 सालों से विस्थापितो की समस्याएं कम होने की बजाय बढ़ती चली जा रही है.....


वही इस पूरे मामले में जिला कलेक्टर केवीएस चौधरी का कहना है कि जिन विस्थापितो को रोजगार या भत्ता अभी तक नही मिल पाया है उनका निराकरण करने का प्रयास कर रहे हैं, इसके लिए समय समय पर कैम्प भी लगाया जा रहा है.... लेकिन सवाल यही है कि एक दशक बीत जाने के बाद भी विस्थापितो को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई ...

बाइट - 01 संदीप साह , विस्थापित , रिलायंस पॉवर प्लांट

बाइट जिला कलेक्टर केवीएस चौधरीConclusion:
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