सीधी। प्रदेश में बढ़ रहे नशे के अवैध कारोबार से न सिर्फ युवा और कामकाजी पुरुष नशे में तबाह हो रहे हैं बल्कि बचपन भी अब नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है. ऐसे में अगर इस विषय को गंभीरता से लेते हुए सुधार नहीं किया गया तो आने वाले समय मे युवा पीढ़ी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. ऐसा ही मामला सीधी में तब सामने आया जब मंगलवार को शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने SP पंकज कुमावत सड़क पर उतरे.
SP के दौरे के दौरान उनकी नजर एक नाबालिग बच्चे पर पड़ी जो सॉल्यूशन को रूमाल में रख कर सूंघ रहा था. SP ने बच्चे को बुलाकर जब उसकी तलाशी ली तो सॉल्यूशन और रूमाल निकला. इसके बाद SP ने दुकानदारों को समझाइश दी कि नाबालिग बच्चों को नशे का कोई भी समान न दिया जाए.
जिले में लगातार नशे के अवैध कारोबार पर पुलिस द्वारा लगाम लगाए जाने के बाद भी नशे के सौदागरों के बीच कानून का खौफ कम नहीं हो रहा है. पूरे प्रदेश के साथ सीधी में भी बचपन नशे की गिरफ्त में आ चुका है. यहां 8 से 15 साल के गरीब बच्चे कचरा, पन्नी बीनते हैं. कहीं मैकेनिक का काम सीखते हैं, जो बच्चे स्कूल से कोसों दूर हैं, ऐसे बच्चे मेडिकल नशे की गिरफ्त में हैं.
बता दें, वाहनों के टायरों के पंचर बनाने में उपयोग आने वाली सॉल्यूशन को रूमाल और कपड़े में रखकर बच्चे सूंघते हैं, जिससे वे नशे में आ जाते हैं, इसी नशे की धुन में बच्चे दिन भर घूम-घूम कर शाम को कबाड़ी के यहां बेचकर मिले पैसों से नशा खरीद लेते हैं.
SP पंकज कुमावत का कहना है कि नशे के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई की गई है, आगे भी नशे को कम करने के लिए अभियान चलाया जाएगा.
ये भी पढ़ें- दमोह कांग्रेस विधायक हुए कोरोना पॉजिटिव, करीबियों से जांच कराने की अपील
फिलहाल सरकार-प्रशासन दावा जरूर करती है कि शिक्षा पर सभी का समान अधिकार है लेकिन आज भी हमारे समाज मे कुछ ऐसे वर्ग हैं, जो बचपन से ही बच्चे को पैसा कमाने की मशीन समझ लेते हैं और शिक्षा को महत्त्व नहीं देते. बचपन नशे की गिरफ्त में आने के बाद अपराधों को बढ़ावा मिलता है.