सीधी। बीजेपी सांसद रीति पाठक को एसडीओ ने रिश्वत देने का प्रयास किया है. बीजेपी सांसद को रिश्वत देने के मामले में सीधी-सिंगरौली सांसद रीति पाठक का फर्जी लेटर पैड छपवाकर एक एसडीओ ने अपने ही विभाग के मुख्य वन सचिव को पत्र भेज दिया और खुद को लघु वनोपज संघ का अध्यक्ष बनाने की मांग कर डाली. वहीं पकड़े जाने पर एसडीओ ने सांसद को रिश्वत देने का प्रयास किया. हालांकि मामले में एसडीओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है.
पूरा मामला हैरान कर देने वाला
मामला मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का है. जहां लघु वनोपज संघ का अध्यक्ष बनने के लिए सीधी उप वन मंडल में पदस्थ एसडीओ एसपी सिंह गहरवार ने सीधी सिंगरौली सांसद रीति पाठक का नकली लेटर पैड छपवाया. इस एसडीओ ने सांसद का लेटर पैड उपयोग करके 10 मार्च को वन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा. जिसमें सांसद के हवाले से एसपी सिंह गहरवार को लघु वनोपज का अध्यक्ष बनाने की अनुशंसा की गई.
मामले का हुआ खुलासा
मामले का खुलासा तब हुआ जब प्रमुख सचिव कार्यालय से सांसद रीति पाठक के पास फोन आया. प्रमुख सचिव कार्यालय से कहा गया कि आपके द्वारा पत्र पर कार्रवाई की जा रही है, जिस पर सांसद ने असहमति जताई और कहा कि उनकी तरफ से कोई पत्र नहीं लिखा गया है. सांसद रीति पाठक द्वारा प्रमुख सचिव कार्यालय से पत्र के प्रति की भी मांग की गई. जिसके बाद फर्जीवाड़े की जानकारी सांसद को लगी. सांसद बीजेपी ने यह जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उपलब्ध करवाई.
आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज
फर्जीवाड़े के उजागर होने पर वन विभाग के एसडीओ एसपी सिंह गहरवार ने सांसद रीती पाठक को रिश्वत देने का प्रयास किया. सांसद के घर पहुंचकर एसडीओ एसपी सिंह गहरवार ने मिठाई का डब्बा और लिफाफे में कुछ नगदी देने की कोशिश की. जिसके बाद सांसद रीति पाठक ने अपने सचिव हीरालाल यादव से कोतवाली पुलिस को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है. जिस पर पुलिस ने 417, 419, 420, 465 और 459 के तहत मामला दर्ज किया है.
फर्जीवाड़े से जुड़ा है मामला- पुलिस
पुलिस ने इस मामले में बताया है कि वन विभाग के एसडीओ द्वारा लघु वनोपज संघ का अध्यक्ष बनने के लिए इस तरह का फर्जीवाड़ा किया है और सांसद की अनुशंसा के लिए उनका नकली लेटर पैड छपवाया, वन विभाग के एसडीओ एसपी सिंह गहरवार का विवादों से पुराना नाता है. उन पर डीएफओ वाईपी सिंह से मारपीट और अभद्रता के आरोप लग चुके हैं. उन्हें दो साल पहले मंत्रालय द्वारा निलंबित भी किया जा चुका है.