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लापरवाही: नालियों में मिल रही है उपयोग की गई पीपीई किट, स्वास्थ्य अमला बेखबर - negligence

सीधी जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमण को लेकर बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. यहां फीवर क्लीनिक के सामने ही उपयोग की गई पीपीई किट को नाली में फेंका जा रहा है. जिससे संक्रमण का खतरा पैदा हो रहा है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इस बात की खबर ही नहीं है.

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लापरवाही: नालियों में मिल रही है उपयोग की गई पीपीई किट, स्वास्थ्य अमला बेखबर
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Published : Apr 25, 2021, 10:45 PM IST

सीधी। कोरोना संक्रमण काल में लापरवाही की यह तस्वीर जिला अस्पताल मे बने फीवर क्लीनिक के सामने की है. कोविड 19 के खिलाफ जंग में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों अस्पताल स्टाफ को सुरक्षित बनाने में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट की बड़ी भूमिका है. इसका सावधानी के साथ इस्तेमाल करना है और डिस्पोजऑफ भी सावधानी से करना है. लेकिन पीपीई किट के डिस्पोजल को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है. सीधी में कोरोना मरीज के इलाज में इस्तेमाल की गई कई किट फीवर क्लीनिक के सामने ही खुले में पड़ी हुई हैं.

PPE kit thrown in the open like this
इस तरह खुले में फेंक दी गई पीपीई किट

मेडिकल वेस्ट बढ़ा सकता है संक्रमण

दरअसल कोविड-19 अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में लापरवाही कोरोना संक्रमण को और बढ़ा सकती है. ऐसे में सरकार की ओर से कोविड अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले पीपीई किट और मरीजों के इलाज में उपयोगी अन्य चीजों के निस्तारण के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं. लेकिन कोविड मरीजों की ड्यूटी में लगे डॉक्टर और नसों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है बल्कि उसे खुले में फेंक कर संक्रमण फैलाने को खुला न्यौता दिया जा रहा है.

यह है डिस्पोजऑफ का नियम

कोविड- 19 अस्पतालों और क्वारंटीन सेंटरों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को एक विशेष बैग में कलेक्ट किया जाता है. बैग को सबसे पहले अस्पताल के मेडिकल वेस्ट वाले एरिया में डिस्पोजऑफ किया जाता है. जिसके बाद डस्ट को एक और दूसरे बैग में डाला जाता है. बैग पर हाइपोक्लोराइड के छिड़काव के बाद दो चैंबर्स में 850 से 1050 डिग्री तापमान पर डिस्पोज किया जाता है.

जबलपुर एयरपोर्ट पर खुली में फेंकी जा रही उपयोग की हुई PPE किट

  • 2 दिन तक पीपीई किट में एक्टिव रहते हैं वायरस

इस किट में सिर को ढ़कने के लिए कैप, गॉगल्स, फेस शील्ड, ट्रिपल लेयर मास्क, ग्लव्स, गाउन के साथ व एप्रेन के बिना दोनों तरह से और शूज कवर शामिल हैं. डॉक्टरों ने बताया कि पीपीई किट से कम से कम दो दिन तक संक्रमण का खतरा बना रहता है. इसलिए इसे इस्तेमाल के बाद इधर उधर न फैंके, ढक्कन बंद वाले डस्टबिन में ही डालें. इसके साथ ही अस्पताल को भी चाहिए कि बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त रखे, कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच इस देखने को मिलता है कि लोग किट को इधर-उधर खुले में फेंक दे रहे हैं जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

सीधी। कोरोना संक्रमण काल में लापरवाही की यह तस्वीर जिला अस्पताल मे बने फीवर क्लीनिक के सामने की है. कोविड 19 के खिलाफ जंग में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों अस्पताल स्टाफ को सुरक्षित बनाने में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट की बड़ी भूमिका है. इसका सावधानी के साथ इस्तेमाल करना है और डिस्पोजऑफ भी सावधानी से करना है. लेकिन पीपीई किट के डिस्पोजल को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है. सीधी में कोरोना मरीज के इलाज में इस्तेमाल की गई कई किट फीवर क्लीनिक के सामने ही खुले में पड़ी हुई हैं.

PPE kit thrown in the open like this
इस तरह खुले में फेंक दी गई पीपीई किट

मेडिकल वेस्ट बढ़ा सकता है संक्रमण

दरअसल कोविड-19 अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में लापरवाही कोरोना संक्रमण को और बढ़ा सकती है. ऐसे में सरकार की ओर से कोविड अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले पीपीई किट और मरीजों के इलाज में उपयोगी अन्य चीजों के निस्तारण के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं. लेकिन कोविड मरीजों की ड्यूटी में लगे डॉक्टर और नसों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है बल्कि उसे खुले में फेंक कर संक्रमण फैलाने को खुला न्यौता दिया जा रहा है.

यह है डिस्पोजऑफ का नियम

कोविड- 19 अस्पतालों और क्वारंटीन सेंटरों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को एक विशेष बैग में कलेक्ट किया जाता है. बैग को सबसे पहले अस्पताल के मेडिकल वेस्ट वाले एरिया में डिस्पोजऑफ किया जाता है. जिसके बाद डस्ट को एक और दूसरे बैग में डाला जाता है. बैग पर हाइपोक्लोराइड के छिड़काव के बाद दो चैंबर्स में 850 से 1050 डिग्री तापमान पर डिस्पोज किया जाता है.

जबलपुर एयरपोर्ट पर खुली में फेंकी जा रही उपयोग की हुई PPE किट

  • 2 दिन तक पीपीई किट में एक्टिव रहते हैं वायरस

इस किट में सिर को ढ़कने के लिए कैप, गॉगल्स, फेस शील्ड, ट्रिपल लेयर मास्क, ग्लव्स, गाउन के साथ व एप्रेन के बिना दोनों तरह से और शूज कवर शामिल हैं. डॉक्टरों ने बताया कि पीपीई किट से कम से कम दो दिन तक संक्रमण का खतरा बना रहता है. इसलिए इसे इस्तेमाल के बाद इधर उधर न फैंके, ढक्कन बंद वाले डस्टबिन में ही डालें. इसके साथ ही अस्पताल को भी चाहिए कि बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त रखे, कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच इस देखने को मिलता है कि लोग किट को इधर-उधर खुले में फेंक दे रहे हैं जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

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