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मरीजों को बचाए भगवान !... स्वीपर और चपरासी के भरोसे चल रहा अस्पताल

सीधी जिले के कई गांवो में बनी आयुर्वेदिक अस्पताल पिछले 10 साल से चपरासी और स्वीपर के भरोसे चल रहा है. गांव में डॉक्टर ना आने की वजह से ग्रामीण गरीब जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है.

Hospital relied on sweeper and peon in Sidhi
मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़
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Published : May 1, 2020, 12:49 PM IST

सीधी। जिले के कई गांवों में बना आयुर्वेदिक अस्पताल पिछले 10 साल से चपरासी और स्वीपर के भरोसे चल रहा है. गांव में डॉक्टर ना आने की वजह से ग्रामीण गरीब जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है. छोटी बीमारी के इलाज के लिए भी ग्रामीणों को मोटी रकम खर्च कर शहरों की तरफ जाना पड़ता है. लेकिन शासन-प्रशासन ने आज तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

जिले में ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य के साथ कैसा खिलवाड़ होता है इसकी एक बानगी पड़खुरी गांव में देखने को मिली. यहां आयुर्वेद अस्पताल तो बना दिया गया है लेकिन 10 साल से चपरासी बुद्ध सेन और स्वीपर निरंजन केवट के भरोसे चल रहा है.इस अस्पताल में आज तक किसी ग्रामीण ने डॉक्टर को नहीं देखा. ऐसा नहीं है कि डॉक्टर की तैनाती गांव में नहीं है फिर भी डॉक्टर अपने घर पर बैठकर वेतन उठा रहे हैं और जनता को चपरासी और स्वीपर के भरोसे छोड़ दिया.

बहरहाल सीधी जिले में कई गांव में अस्पताल भवन लाखों खर्च कर बना तो दिए गए हैं. लेकिन डॉक्टरों की मनमानी की वजह से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिलता. ऐसे में देखना होगा कि जिम्मेदार अपने कर्तव्यों को किस तरह से निभाते हैं और ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर कब तक ध्यान देते हैं.

सीधी। जिले के कई गांवों में बना आयुर्वेदिक अस्पताल पिछले 10 साल से चपरासी और स्वीपर के भरोसे चल रहा है. गांव में डॉक्टर ना आने की वजह से ग्रामीण गरीब जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है. छोटी बीमारी के इलाज के लिए भी ग्रामीणों को मोटी रकम खर्च कर शहरों की तरफ जाना पड़ता है. लेकिन शासन-प्रशासन ने आज तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

जिले में ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य के साथ कैसा खिलवाड़ होता है इसकी एक बानगी पड़खुरी गांव में देखने को मिली. यहां आयुर्वेद अस्पताल तो बना दिया गया है लेकिन 10 साल से चपरासी बुद्ध सेन और स्वीपर निरंजन केवट के भरोसे चल रहा है.इस अस्पताल में आज तक किसी ग्रामीण ने डॉक्टर को नहीं देखा. ऐसा नहीं है कि डॉक्टर की तैनाती गांव में नहीं है फिर भी डॉक्टर अपने घर पर बैठकर वेतन उठा रहे हैं और जनता को चपरासी और स्वीपर के भरोसे छोड़ दिया.

बहरहाल सीधी जिले में कई गांव में अस्पताल भवन लाखों खर्च कर बना तो दिए गए हैं. लेकिन डॉक्टरों की मनमानी की वजह से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिलता. ऐसे में देखना होगा कि जिम्मेदार अपने कर्तव्यों को किस तरह से निभाते हैं और ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर कब तक ध्यान देते हैं.

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