सीधी। सीधी बस हादसे में 51 लोगों की जिंदगी चली गई. अभी भी तीन से चार लोग लापता हैं. इन्हीं में से एक 22 साल के अरविंद विश्वकर्मा हैं, जो अपनी बहन रागिनी को लेकर सतना नर्सिंग की परीक्षा दिलाने जा रहे थे. लेकिन 3 दिन गुजर जाने के बाद भी अरविंद व उसका शव अभी तक नहीं मिला है. जिससे पीड़ित परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.
बेटे के लौटने की आस लगाए बैठी मां
अरविंद विश्वकर्मा बहन रागनी को लेकर मंगलवार की सुबह 4 बजे अपने घर से निकले. लेकिन फिर लौट कर वापस नहीं आए. बहन रागिनी की लाश तो मिल गई लेकिन अरविंद की मां अभी अरविंद के घर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं. अरविंद के ना लौटने से मां का रो-रो कर बुरा हाल है. वहीं इस घटना से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. अरविंद की मां का कहना है कि बहन को परीक्षा दिलाने सुबह अरविंद निकला थो, जो फिर लौटकर वापस नहीं आया.
हादसे ने छीनी कईं जिंदगियां
बहरहाल सीधी बस हादसे में कितनों ने अपनों की जान गवां दी है. किसी का भाई किसी की बहन किसी के पिता और किसी की मां इस दुनिया से चल बसे हैं. शासन प्रशासन की घोर लापरवाही की वजह से यह जिंदगियां अब लौटकर वापस तो नहीं आएगी.
पूरी हुई साथ जीने-मरने की कसमें, पति-पत्नी का एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार
हादसा कैसे हुआ ?
नहर में गिरी बस जबलनाथ ट्रेवेल्स की थी, जोकि हर दिन छुहिया घाटी के रास्ते सतना जाती थी. हादसे का सबसे बड़ा कारण रास्ते का संकरा होना माना जा रहा है. बस अपने तय रुट नेशनल हाई-वे नंबर 39 से सीधी से सतना जा रही थी, लेकिन घाटी के रास्ते में खराब सड़क और गढ्ढे की वजह से जाम लगा था. ड्राइवर जाम की वजह से बस को संकरे रास्ते से ले गया, जो नहर से लगकर निकलती है. ड्राइवर ने संतुलन खोया और हादसा हो गया.
कहा जा रहा है कि बस की क्षमता 32 सवारियों की थी. इसमें अवैध तरीके से 58 यात्रियों को ले जाया जा रहा था. रूट बदलने और संकरे रास्ते के चलते ये दुर्घटना हुई. मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. रेलवे, एनटीपीसी और एएनएम के विभिन्न पदों के लिए एग्जाम के चलते बस में सवारियों की संख्या ज्यादा थी.