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सीधीः बेटी के शव को घर ले जाने घंटों भटकता रहा पिता, 5 घंटे के बाद मिला शव वाहन

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Published : Jun 14, 2019, 12:03 AM IST

सीधी जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में भटकता रहा.

पीड़ित पिता जय किशन

सीधी। जिला अस्पताल की व्यवस्थायें अपनी दुर्दशा पर खुद आंसू बहाने को मजबूर है, आलम यह है कि डॉक्टर की कमी होने की वजह से मरीज घंटों तड़पते रहते हैं. वहीं एक पिता गुरुवार को अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में भटकता रहा.

सीधी जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में भटकता रहा

यह है मामला-

  • जिला अस्पताल में एक व्यक्ति अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में 4 से 5 घंटे परिसर में भटकता रहा.
  • मृतिका को उल्टी दस्त होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उसी मौत हो गई.
  • बेटी की मौत से दुखी पिता उसके शव को घर ले जाना चाहता था लेकिन उसे शव वाहन नहीं मिल पाया.
  • पिता अपनी बेटी के शव को वार्ड में मरीजों के बीच रखकर वाहन ढूंडता रहा.
  • घंटों खोजने के बाद उसे मुश्किल से वाहन मिला, जिसके बाद पीड़ित जय किसन अपनी बेटी के शव को लेकर घर पहुंचा.
  • जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को भी शव वाहन के ड्राइवर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
  • अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता और लापरवाही के चलते बेटी की मौत से दुखी पिता घंटों परिसर में भटकता रहा.

सीधी। जिला अस्पताल की व्यवस्थायें अपनी दुर्दशा पर खुद आंसू बहाने को मजबूर है, आलम यह है कि डॉक्टर की कमी होने की वजह से मरीज घंटों तड़पते रहते हैं. वहीं एक पिता गुरुवार को अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में भटकता रहा.

सीधी जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में भटकता रहा

यह है मामला-

  • जिला अस्पताल में एक व्यक्ति अपनी बेटी के शव को घर ले जाने के लिये शव वाहन की तलाश में 4 से 5 घंटे परिसर में भटकता रहा.
  • मृतिका को उल्टी दस्त होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उसी मौत हो गई.
  • बेटी की मौत से दुखी पिता उसके शव को घर ले जाना चाहता था लेकिन उसे शव वाहन नहीं मिल पाया.
  • पिता अपनी बेटी के शव को वार्ड में मरीजों के बीच रखकर वाहन ढूंडता रहा.
  • घंटों खोजने के बाद उसे मुश्किल से वाहन मिला, जिसके बाद पीड़ित जय किसन अपनी बेटी के शव को लेकर घर पहुंचा.
  • जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को भी शव वाहन के ड्राइवर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
  • अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता और लापरवाही के चलते बेटी की मौत से दुखी पिता घंटों परिसर में भटकता रहा.
Intro:एंकर--- सीधी में जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं अपनी दुर्दशा पर खुद आंसू बहाने को मजबूर हैं, आलम यह है कि डॉक्टर की कमी होने की वजह से घंटो घंटो मरीज तड़पते रहते हैं वहीं एक पिता आज शव वाहन के लिए पिछले चार-पांच घंटे से भटक रहा है उसकी बेटी किसी बीमारी के चलते अस्पताल में इलाज के दौरान आज मौत हो गई। यहां करीब पीड़ित पिता मरीजों के बीच वार्ड में ही सावरकर वाहन की तलाश करता रहा लेकिन उसे शव वाहन नसीब नहीं हुआ सवाल उठता है कि यदि समय पर आज युवती का शव उसके घर पहुंच जाता तो आज शाम के पहले ही उसका अंतिम संस्कार हो जाता लेकिन ऐसा नहीं हो सका लिहाजा रात करीब 7:30 बजे शव वाहन दिया गया तब कहीं जाकर एक पिता अपनी बेटी का शव लेकर घर पहुंचा, पीड़ित पिता का कहना है कि वह पिछले 3000 घंटे से सौ बार तलाश कर रहा है डॉक्टर ने भी 100 वाहन ले जाने की स्वीकृति दे दी है लेकिन चालक कहीं लापता हो गया है जिसकी वजह से उसे परेशानी उठानी पड़ रही है।
बाइट(1)पीड़ित पिता जय किशन
वाइस ओवर(2) वहीं जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि ड्राइवर कहीं टूर पर दूसरा शव लेकर गया हुआ था जिसकी वजह से लेट हो गया है लेकिन आया तो काफी समय से है मैं भी उसे खोजने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन वह मेरा फोन रिसीव नहीं कर रहा है की बात है एक सिविल सर्जन का शव वाहन चालक फोन रिसीव नही कर रहा है।
बाइट(2)एस बी खरे (सिविल सर्जन सीधी जिला अस्पताल)


Body: वाइस ओवर(1)एक पिता भदौरा गांव से अपनी बेटी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करता है,उसे एक दो उल्टी हुई थी,लेकिन उसकी इलाज के दौरान ही मौत हो गयी,पीड़ित पिता अस्पताल में मरीजों के बीच वार्ड में ही शव रख कर वाहन की तलाश करता रहा लेकिन उसे शव वाहन नसीब नहीं हुआ सवाल उठता है कि यदि समय पर आज युवती का शव उसके घर पहुंच जाता तो आज शाम के पहले ही उसका अंतिम संस्कार हो जाता लेकिन ऐसा नहीं हो सका लिहाजा रात करीब 7:30 बजे शव वाहन दिया गया तब कहीं जाकर एक पिता अपनी बेटी का शव लेकर घर पहुंचा, पीड़ित पिता का कहना है कि वह पिछले 3000 घंटे से सौ बार तलाश कर रहा है डॉक्टर ने भी 100 वाहन ले जाने की स्वीकृति दे दी है लेकिन चालक कहीं लापता हो गया है जिसकी वजह से उसे परेशानी उठानी पड़ रही है।
बाइट(1)पीड़ित पिता जय किशन
वाइस ओवर(2) वहीं जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि ड्राइवर कहीं टूर पर दूसरा शव लेकर गया हुआ था जिसकी वजह से लेट हो गया है लेकिन आया तो काफी समय से है मैं भी उसे खोजने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन वह मेरा फोन रिसीव नहीं कर रहा है की बात है एक सिविल सर्जन का शव वाहन चालक फोन रिसीव नही कर रहा है।
बाइट(2)एस बी खरे (सिविल सर्जन सीधी जिला अस्पताल)


Conclusion:बहरहाल सीधी जिला अस्पताल की इतना संवेदनहीन हो चुका है कि उसे किसी की दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं जिला अस्पताल में ऐसे हर रोज मामले सामने आती रहती हैं जहां कोई शव वाहन के लिए भटक रहा है तो कोई बॉटल निकलवाने के लिए डॉक्टरों की खोज कर रहा है तो कोई नर्सों की फटकार सुन रहा है पसरी गंदगी से मरीज और ही मरीज हो रहा है
पवन तिवारी etv भारत सीधी
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