ETV Bharat / state

जात के जाल में करैरा: दलबदल की आग में झुलसेगा कमल या पंजे की जद में होगी सियासत की गर्दन

शिवपुरी की करैरा सीट पर अब 3 नवंबर को मतदान होना है. हालांकि इस सीट से किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन वापस नहीं लिया है. इसके साथ ही तीनों प्रमुख दलों ने एक ही जाति के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है.

Bend in the net
जात के जाल में करैरा
author img

By

Published : Nov 1, 2020, 12:12 AM IST

शिवपुरी। करैरा विधानसभा सीट को लेकर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पंडितों की भावी प्रत्याशी को लेकर जिज्ञासा बढ़ती जा रही है, कि आखिर इस सीट पर कौन विजय फताका फहराऐगा. हालांकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के दिन किसी भी उम्मीदवार ने अपना नाम वापस नहीं लिया है. इस तरह 3 नवंबर को होने वाले उप चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.

जात के जाल में करैरा

भाजपा प्रत्याशी जसमंत जाटव को लोगों के बीच भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र की जनता फिलहाल इस बात से नाराज है कि न तो उनके क्षेत्र से सोन चिरैया अभ्यारण्य हटाने को लेकर कोई कदम उठाया है और न ही सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर कोई काम किया है. क्षेत्र की जनता का आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर नहीं हैं यहीं वजह है कि करैरा की जनता भाजपा प्रत्याशी से नाराज है. इसके साथ ही राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी जब जनता के बीच में पहुंच रहे हैं तो बिकाऊ वाला मुद्दा जोर पकड़ रहा है. जिस वजह से भाजपा प्रत्याशी को लोगों को समझाने बुझाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

प्रत्याशियों का सामान जाति कार्ड

भाजपा, कांग्रेस और बसपा जैसे राष्ट्रीय दलों ने एक ही जाति के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस ने जहां प्रागीलाल जाटव को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने राजेन्द्र जाटव और भाजपा ने पूर्व विधायक जसमंत जाटव को करैरा विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है. हालांकि दो निर्दलीय प्रत्याशी भी जाटव समाज से मैदान में हैं. इस तरह अभी यह कहना मुश्किल होगा कि जातिगत समीकरणों का रूझान किस प्रत्याशी के पक्ष में जाएगा, क्योंकि तीनों ही एक ही जाति से हैं.

2013 में 9, 2018 में 15 और 2020 में 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में

उप चुनाव में करैरा सीट पर 13 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में हैं. जिनमें से 5 प्रत्याशी एक ही समाज से हैं, जबकि अन्य प्रत्याशियों में राष्ट्रीय शोषित पार्टी से राजकुमारी प्रजापति भी चुनाव में अपना भाग्य आजमा रही हैं जो कि अकेली महिला उम्मीदवार हैं. साल 2013 में करैरा विधानसभा में सबसे कम 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. वहीं 2018 में 15 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे जबकि इस बार के उप चुनाव में 13 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. करैरा में अगर जातिगत आंकड़ा देखा जाए तो जाटव समाज से ही 5 प्रत्याशी मैदान में होने से यह कहना फिलहाल मुश्किल है कि चुनावी गणित में ऊंट किस करवट बैठेगा, वहीं भाजपा प्रत्याशी जसमंत जाटव की राह इस बार आसान दिखाई नहीं दे रही है.

करैरा का जातिगत आंकड़ा

अनुसूचित जाति: जाटव और खटीक समुदाय के 50 हजार वोटर्स

ओबीसी: यादव, कुशवाह, लोधी, पाल, गुर्जर और रावत 30 हजार वोटर्स

सामान्य : ब्राह्मण 10 हजार वोेटर्स, ठाकुर 10 हजार वोेटर्स

शिवपुरी। करैरा विधानसभा सीट को लेकर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पंडितों की भावी प्रत्याशी को लेकर जिज्ञासा बढ़ती जा रही है, कि आखिर इस सीट पर कौन विजय फताका फहराऐगा. हालांकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के दिन किसी भी उम्मीदवार ने अपना नाम वापस नहीं लिया है. इस तरह 3 नवंबर को होने वाले उप चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.

जात के जाल में करैरा

भाजपा प्रत्याशी जसमंत जाटव को लोगों के बीच भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र की जनता फिलहाल इस बात से नाराज है कि न तो उनके क्षेत्र से सोन चिरैया अभ्यारण्य हटाने को लेकर कोई कदम उठाया है और न ही सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर कोई काम किया है. क्षेत्र की जनता का आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर नहीं हैं यहीं वजह है कि करैरा की जनता भाजपा प्रत्याशी से नाराज है. इसके साथ ही राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी जब जनता के बीच में पहुंच रहे हैं तो बिकाऊ वाला मुद्दा जोर पकड़ रहा है. जिस वजह से भाजपा प्रत्याशी को लोगों को समझाने बुझाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

प्रत्याशियों का सामान जाति कार्ड

भाजपा, कांग्रेस और बसपा जैसे राष्ट्रीय दलों ने एक ही जाति के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस ने जहां प्रागीलाल जाटव को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने राजेन्द्र जाटव और भाजपा ने पूर्व विधायक जसमंत जाटव को करैरा विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है. हालांकि दो निर्दलीय प्रत्याशी भी जाटव समाज से मैदान में हैं. इस तरह अभी यह कहना मुश्किल होगा कि जातिगत समीकरणों का रूझान किस प्रत्याशी के पक्ष में जाएगा, क्योंकि तीनों ही एक ही जाति से हैं.

2013 में 9, 2018 में 15 और 2020 में 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में

उप चुनाव में करैरा सीट पर 13 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में हैं. जिनमें से 5 प्रत्याशी एक ही समाज से हैं, जबकि अन्य प्रत्याशियों में राष्ट्रीय शोषित पार्टी से राजकुमारी प्रजापति भी चुनाव में अपना भाग्य आजमा रही हैं जो कि अकेली महिला उम्मीदवार हैं. साल 2013 में करैरा विधानसभा में सबसे कम 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. वहीं 2018 में 15 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे जबकि इस बार के उप चुनाव में 13 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. करैरा में अगर जातिगत आंकड़ा देखा जाए तो जाटव समाज से ही 5 प्रत्याशी मैदान में होने से यह कहना फिलहाल मुश्किल है कि चुनावी गणित में ऊंट किस करवट बैठेगा, वहीं भाजपा प्रत्याशी जसमंत जाटव की राह इस बार आसान दिखाई नहीं दे रही है.

करैरा का जातिगत आंकड़ा

अनुसूचित जाति: जाटव और खटीक समुदाय के 50 हजार वोटर्स

ओबीसी: यादव, कुशवाह, लोधी, पाल, गुर्जर और रावत 30 हजार वोटर्स

सामान्य : ब्राह्मण 10 हजार वोेटर्स, ठाकुर 10 हजार वोेटर्स

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.