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'ऑक्सीजन की आपूर्ति मरीजों की आवश्यकता के अनुसार पहले से सुनिश्चित करें'

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Published : May 12, 2021, 10:59 AM IST

डिप्टी कलेक्टर मनोज गरवाल, मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एएल शर्मा ने जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के उपचार की व्यवस्थाएं जानने के लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक की. इसके साथ ही उन्होंने जरुरी निर्देश दिए.

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शिवपुरी। निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों के उपचार की व्यवस्थाएं जानने के लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ डिप्टी कलेक्टर मनोज गरवाल, मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एएल शर्मा ने बैठक की. बैठक में अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या, इलाज, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन उपलब्धता पर चर्चा की गई.

स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एएल शर्मा ने बताया कि गंभीर कोविड मरीजों का इलाज शासकीय मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय सहित स्वीकृति प्राप्त प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा है. उन अस्पतालों में भर्ती मरीजों की निगरानी के लिए प्रतिदिन रिपोर्टिंग के माध्यम से भर्ती मरीज की संख्या, ऑक्सीजन की उपलब्धता जैसे विषयों पर निगरानी रखी जा रही है.

इंदौर में वेलनेस सेंटर के साथ ही सेवा कुंज अस्पताल शुरू

बैठक में निजी अस्पताल प्रबंधकों से रेमडेसिविर इंजेक्शन पर चर्चा करते हुए डॉ. एएल शर्मा ने बताया कि कुछ अस्पताल इंजेक्शन स्वीकृत करने के लिए तय फॉर्मेट में बार-बार परिवर्तन करते हैं, जिससे मरीजों को पहले इंजेक्शन लगे. ऑक्सीजन की आपूर्ति मरीजों की गंभीरता और आवश्यकता के अनुसार पहले से सुनिश्चित की जाए. बैठक में निजी अस्पताल प्रबंधकों ने भी अपनी समस्याओं पर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान आकर्षित किया और सिलेंडर के स्थान पर ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर लगाने पर सहमति मांगी.

'मरीजों को पूरा उपचार दें निजी अस्पताल'

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने निजी अस्पतालों को निर्देश जारी कर कहा कि निजी अस्पताल में मरीजों का पूरा इलाज किया जाना चाहिए. निजी अस्पताल तीन-चार दिन मरीज का इलाज करने के बाद उसे जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज में रेफर कर देते हैं. तब तक मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है और अगले 12 घंटे में उसकी मौत हो जाती है. इससे जिले की मृत्यु दर भी बढ़ रही है.

शिवपुरी। निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों के उपचार की व्यवस्थाएं जानने के लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ डिप्टी कलेक्टर मनोज गरवाल, मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एएल शर्मा ने बैठक की. बैठक में अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या, इलाज, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन उपलब्धता पर चर्चा की गई.

स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एएल शर्मा ने बताया कि गंभीर कोविड मरीजों का इलाज शासकीय मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय सहित स्वीकृति प्राप्त प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा है. उन अस्पतालों में भर्ती मरीजों की निगरानी के लिए प्रतिदिन रिपोर्टिंग के माध्यम से भर्ती मरीज की संख्या, ऑक्सीजन की उपलब्धता जैसे विषयों पर निगरानी रखी जा रही है.

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बैठक में निजी अस्पताल प्रबंधकों से रेमडेसिविर इंजेक्शन पर चर्चा करते हुए डॉ. एएल शर्मा ने बताया कि कुछ अस्पताल इंजेक्शन स्वीकृत करने के लिए तय फॉर्मेट में बार-बार परिवर्तन करते हैं, जिससे मरीजों को पहले इंजेक्शन लगे. ऑक्सीजन की आपूर्ति मरीजों की गंभीरता और आवश्यकता के अनुसार पहले से सुनिश्चित की जाए. बैठक में निजी अस्पताल प्रबंधकों ने भी अपनी समस्याओं पर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान आकर्षित किया और सिलेंडर के स्थान पर ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर लगाने पर सहमति मांगी.

'मरीजों को पूरा उपचार दें निजी अस्पताल'

कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने निजी अस्पतालों को निर्देश जारी कर कहा कि निजी अस्पताल में मरीजों का पूरा इलाज किया जाना चाहिए. निजी अस्पताल तीन-चार दिन मरीज का इलाज करने के बाद उसे जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज में रेफर कर देते हैं. तब तक मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है और अगले 12 घंटे में उसकी मौत हो जाती है. इससे जिले की मृत्यु दर भी बढ़ रही है.

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