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श्योपुर लोकसभा सीट: जुमलों तक सिमटा है महिला सशक्तिकरण, टिकट नहीं मिलने पर छलका महिलाओं का दर्द - दावेदारी,

श्योपुर लोकसभा सीट पर जब से चुनाव हुये तब से महिलाओं को लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया, किसी भी राजनीतिक पार्टी ने महिलाओं पर भरोसा नहीं जताया.

टिकट नहीं मिलने पर झलका महिलाओं का दर्द
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Published : Apr 3, 2019, 1:48 PM IST

श्योपुर। यूं तो सियासी दल राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की बात करते नहीं थकते, लेकिन जमीनी राजनीति में उनका उतना दखल नहीं दिखता. श्योपुर लोकसभा सीट इस बात की ताकीद करती है. आजादी के बाद से अब तक जितने भी चुनाव हुये उनमें श्योपुर लोकसभा सीट पर किसी भी राजनीतिक दल ने किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया.

टिकट नहीं मिलने पर झलका महिलाओं का दर्द

ऐसा नहीं हैं कि जिले की महिलाएं राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. यहां कई महिलाएं सरपंच से जिला पंचायत अध्यक्ष तक रह चुकी हैं. अब भी ऐसी दर्जनों महिलाएं हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं. इसके बावजूद राजनीतिक दल उन पर भरोसा करने से कतराते हैं. यही वजह है कि महिलाएं अपने आप को ठगा महसूस करती हैं.

इस बारे में जब कांग्रेस महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुमन शर्मा से बात की तो उनका दर्द झलक गया. कविता मीणा का कहना है कि महिलाओं को राजनीति में पीछे ढकेल दिया जाता है. महिलाओं को न तो विधानसभा चुनाव में तवज्जो दी जाती है और न ही लोकसभा चुनाव में, जबकि 50 प्रतिशत महिला मतदाता हैं, जो क्षेत्र का सांसद चुनने में अहम भूमिका निभाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो वह सीट निकालेंगी.

जिला पंचायत अध्यक्ष कविता मीणा कहती हैं कि श्योपुर की राजनीति पुरुष प्रधान है. महिलाओं को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता है, जबकि महिलाएं हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. खुद की दावेदारी करते हुये उन्होंने कहा कि अगर उन्हें टिकट मिलता है तो वह जरूर जीतेंगी.

श्योपुर। यूं तो सियासी दल राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की बात करते नहीं थकते, लेकिन जमीनी राजनीति में उनका उतना दखल नहीं दिखता. श्योपुर लोकसभा सीट इस बात की ताकीद करती है. आजादी के बाद से अब तक जितने भी चुनाव हुये उनमें श्योपुर लोकसभा सीट पर किसी भी राजनीतिक दल ने किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया.

टिकट नहीं मिलने पर झलका महिलाओं का दर्द

ऐसा नहीं हैं कि जिले की महिलाएं राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. यहां कई महिलाएं सरपंच से जिला पंचायत अध्यक्ष तक रह चुकी हैं. अब भी ऐसी दर्जनों महिलाएं हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं. इसके बावजूद राजनीतिक दल उन पर भरोसा करने से कतराते हैं. यही वजह है कि महिलाएं अपने आप को ठगा महसूस करती हैं.

इस बारे में जब कांग्रेस महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुमन शर्मा से बात की तो उनका दर्द झलक गया. कविता मीणा का कहना है कि महिलाओं को राजनीति में पीछे ढकेल दिया जाता है. महिलाओं को न तो विधानसभा चुनाव में तवज्जो दी जाती है और न ही लोकसभा चुनाव में, जबकि 50 प्रतिशत महिला मतदाता हैं, जो क्षेत्र का सांसद चुनने में अहम भूमिका निभाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो वह सीट निकालेंगी.

जिला पंचायत अध्यक्ष कविता मीणा कहती हैं कि श्योपुर की राजनीति पुरुष प्रधान है. महिलाओं को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता है, जबकि महिलाएं हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. खुद की दावेदारी करते हुये उन्होंने कहा कि अगर उन्हें टिकट मिलता है तो वह जरूर जीतेंगी.

Intro:एंकर

श्योपुर-भलेही देश की राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को आगे बढाने के लिए राजनीतिक क्षेत्र में समान अवसर देने की बड़ी बड़ी बातें करती है लेकिन हकीकत यह है कि महिलाओं को पुरुषो की तुलना में बहुत कम ही अवसर मिल पाते है जिसकी वानगी श्योपुर जिले में देखी जा सकती है जहां देश की आजादी के बाद से अभी तक कभी किसी महिला को विधानसभा या लोकसभा चुनावों में टिकिट नही दिया गया है देखिये ये खास रिपोर्ट....


Body:वीओ-1
श्योपुर जिले के राजनीतिक इतिहास में कभी किसी महिला को लोकसभा या विधानसभा का टिकिट नही दिया गया है।इस वजह से हमेशा पुरुष जनप्रतिनिधि ही विधायक या सांसद चुने जाते रहे है ।जिस वजह से जिले की लगभग 50 प्रतिशत महिला मतदाता अपनी समस्याओं को अपने नेताओं को खुलकर नही बता पाती है यही वजह है कि कभी जिले की महिलाओं की समस्याएं या उनसे जुड़े हुए मुद्दे कभी लोकसभा या विधानसभा मे नही पहुंच पाते है।ऐसा भी नही है कि जिले में कोई महिला राजनीति से ना जुड़ी हो या ऐसी कोई महिला ना हो जो विधायक या सांसद ना बन सके क्योकि देश की सबसे बड़ी दो राजनीतिक पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस में जिले की कई महिलाएं लम्बे समय से मैदानी स्तर पर सक्रियता से राजनीति कर रही है तभी तो सरपंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक की रिज़र्व सीटे ज्यादातर महिलाओ के कब्जे में रही है।लेकिन जिले के पुरुष जनप्रतिनिधि क्षेत्र में कार्य करने बाली महिला नेत्रियों को कभी आगे नही बढ़ने देते है ऐसे में महिला नेत्री मायूस होकर खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगी है...



Conclusion:वीओ-2
राजनीति से जुड़ी महिलाओं को अवसर ना दिए जाने के बारे में जब बीजेपी की नहिला जिला पंचायत अध्यक्ष कविता मीणा से जब ईटीवी भारत ने जब इस बारे में बात की तो उनका दर्द छलक उठा और वह राजनीतिक पार्टियों ,विधायक और सांसद पर महिला नेत्रियों को ऊपर ना उठने देने का आरोप लगाती हुई बोली कि महिलाओं को अवसर मिलना चाहिए लेकिन कभी अवसर नही दिया जाता जिस वजह से वह चाहकर भी कुछ नही कर पाती है।उन्होंने खुद के समाज के जातिगत बोटो को गिनाते हुए बोली कि अवसर मिलता तो जीत कर ही दिखाती...
बाईट
कविता मीणा जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी श्योपुर

वही इस बारे में अविवाहित रहकर खुद के जीवन को राजनीति और समाज की सेवा के लिए न्योछावर कर देने बाली कांग्रेस महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुमन शर्मा से जब बात की तो वह भी जिले की राजनीति को पुरुष प्रधान बताती हुई बोली कि यहां के पुरुष जनप्रतिनिधि नही चाहते कि कोई महिला राजनीति में आगे बढ़े इस वजह से दिन रात पार्टी के लिए काम करने बाली महिला नेत्रियों को कभी टिकिट नही दिया जाता उन्होंने लोकसभा के लिए खुद की दाबेदारी करते हुए कहा कि अगर टिकिट मिलेगा तो ब्राह्मण समाज के ढाई से पौने तीन लाख बोट बैंक के अलावा 50 प्रतिशत महिलाओ और पार्टी के बोट लेकर वह जीत हांसिल करेंगी...

बाईट
सुमन शर्मा जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा श्योपुर
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