श्योपुर। यूं तो सियासी दल राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की बात करते नहीं थकते, लेकिन जमीनी राजनीति में उनका उतना दखल नहीं दिखता. श्योपुर लोकसभा सीट इस बात की ताकीद करती है. आजादी के बाद से अब तक जितने भी चुनाव हुये उनमें श्योपुर लोकसभा सीट पर किसी भी राजनीतिक दल ने किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया.
ऐसा नहीं हैं कि जिले की महिलाएं राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. यहां कई महिलाएं सरपंच से जिला पंचायत अध्यक्ष तक रह चुकी हैं. अब भी ऐसी दर्जनों महिलाएं हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं. इसके बावजूद राजनीतिक दल उन पर भरोसा करने से कतराते हैं. यही वजह है कि महिलाएं अपने आप को ठगा महसूस करती हैं.
इस बारे में जब कांग्रेस महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुमन शर्मा से बात की तो उनका दर्द झलक गया. कविता मीणा का कहना है कि महिलाओं को राजनीति में पीछे ढकेल दिया जाता है. महिलाओं को न तो विधानसभा चुनाव में तवज्जो दी जाती है और न ही लोकसभा चुनाव में, जबकि 50 प्रतिशत महिला मतदाता हैं, जो क्षेत्र का सांसद चुनने में अहम भूमिका निभाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो वह सीट निकालेंगी.
जिला पंचायत अध्यक्ष कविता मीणा कहती हैं कि श्योपुर की राजनीति पुरुष प्रधान है. महिलाओं को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता है, जबकि महिलाएं हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. खुद की दावेदारी करते हुये उन्होंने कहा कि अगर उन्हें टिकट मिलता है तो वह जरूर जीतेंगी.