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पाताल बना जन्नत, 12 गांवों में 5 घंटे का होता है दिन, सरकार नहीं जंगल में इनका है राज - CHHINDWARA PATALKOT VILLAGE

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक ऐसी जगह है जिसे पातालकोट कहा जाता है. यहां जमीन से करीब 3000 फीट नीचे 12 गांव हैं. देखें महेंद्र राय की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.

CHHINDWARA PATALKOT ADVENTURE FEST
पातालकोट के पास 28 दिसंबर से एडवेंचर फेस्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 23, 2024, 12:59 PM IST

Updated : Dec 23, 2024, 2:33 PM IST

छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): जमीन से करीब 3000 फीट नीचे जड़मादल, हर्रा कछार, सेहरा पचगोल, सुखा भंडारमऊ जैसे कुल 12 गांव हैं, जहां पर दिन में भी शाम जैसा नजारा होता है. कारण यह है कि ये गांव जमीन में काफी नीचे की ओर हैं और चारों ओर पहाड़ों से घिरे हैं. इस वजह से सूरज की रोशनी पहाड़ों से टकराती है और इन गांव तक नहीं पहुंचती. करीब 10 बजे से 11:00 के बीच यहां पर कुछ गांव में रोशनी पहुंचती है और शाम 3 बजे मानो रात होने लगती है. कुल मिलाकर यहां 5 घंटे ही धूप मिल पाती है. फिर भी ये जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है.

patalkot day hours
यहां 3 बजे हो जाती है रात (Etv Bharat)

3200 की आबादी, तीन गांवों में रहता है अंधेरा

भारिया जनजाति के लोगों को भी सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके इसलिए अब 9 गांवों तक पक्की सड़क बन चुकी है लेकिन तीन गांव अभी भी ऐसे हैं जहां पर आसानी से पहुंचना संभव नहीं है. इन गांव में तो सूरज की किरण भी नहीं पहुंच पाती, जिस वजह से हमेशा अंधेरा सा छाया रहता है. पातालकोट में करीब 3200 लोग निवास करते हैं.

Patalkot village history facts
पातालकोट की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक (Etv Bharat)

पातालकोट की भारिया जनजाति पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर डॉक्टर विकास शर्मा बताते हैं, '' शुद्ध प्राकृतिक वातावरण में यहां के लोग रहते हैं, जिन्हें बाहरी दुनिया से ज्यादा सरोकार नहीं होता. हालांकि, पहाड़ों से घिरा होने की वजह से इन तक सूरज की रोशनी देर से पहुंचती है और जल्द चली जाती है लेकिन उनकी जीवन शैली इतनी संयमित है कि कोविड काल में पूरे 12 गांव में कोरोना का नामोनिशान तक नहीं था.''

Patalkot travel destination chhindwara
ऊंची-ऊंची पहाड़ियों की तलहटी में बसा है ये अनोखा गांव (Etv Bharat)

जंगल ही जीवन का सहारा, जड़ी बूटियां दुनियाभर में मशहूर

पातालकोट में रहने वाली जनजातियों के जीवन का सहारा सिर्फ जंगल ही है. जंगल से निकलने वाले उत्पाद मधुमक्खियां का शहद और मोटा अनाज इनके जीवन का प्रमुख सहारा है. एक या दो गांव में अब कोदो कुटकी और बालर की खेती होती है लेकिन उसके अलावा बाकी सभी गांव के लोग जंगल के सहारे ही जीवन जीते हैं. यहां की जड़ी बूटी पूरी दुनिया में विख्यात हैं.

सरकार ने दिया है हैबिटेट राइट्स का दर्जा

पातालकोट में बेशकीमती जड़ी बूटियां होने की वजह से इसे सरकार ने बायोडायवर्सिटी एरिया भी घोषित किया है. पातालकोट को विकसित करने के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है. भारिया जनजाति के उत्थान के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने हैबिटेट राइट्स के तहत भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक भी बना दिया था. अब उनकी मर्जी के बगैर जल जंगल और जमीन पर कोई भी यहां अधिकार नहीं जता सकता. छिंदवाड़ा देश का ऐसा पहला जिला भी बन गया था, जहां प्रशासन ने जनजाति वर्ग के हैबिटेट्स के तहत पातालकोट को भारिया जनजाति के नाम ही कर दिया है.

Chhindwara Patalkot Village
पातालकोट के दर्शनीय स्थल (Etv Bharat)

28 दिसंबर से होगा एडवेंचर फेस्टिवल

पातालकोट में पर्यटन को बढ़ावा दिलाने के लिए जिला प्रशासन भी लगातार प्रयास कर रहा है. इसके चलते 28 दिसंबर से 2 जनवरी तक पातालकोट के पास एडवेंचर फेस्टिवल कराया जा रहा है, जिसमें हॉट एयर बैलून, पैराग्लाइडिंग और कई रोमांचक खेल होंगे. कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा, '' ज्यादा से ज्यादा लोग यहां पहुंचें इसके लिए प्रयास किया जा रहे हैं जिससे पातालकोट की खूबसूरती से दुनिया के लोग रूबरू हो सकें.''

यह भी देखें-

छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): जमीन से करीब 3000 फीट नीचे जड़मादल, हर्रा कछार, सेहरा पचगोल, सुखा भंडारमऊ जैसे कुल 12 गांव हैं, जहां पर दिन में भी शाम जैसा नजारा होता है. कारण यह है कि ये गांव जमीन में काफी नीचे की ओर हैं और चारों ओर पहाड़ों से घिरे हैं. इस वजह से सूरज की रोशनी पहाड़ों से टकराती है और इन गांव तक नहीं पहुंचती. करीब 10 बजे से 11:00 के बीच यहां पर कुछ गांव में रोशनी पहुंचती है और शाम 3 बजे मानो रात होने लगती है. कुल मिलाकर यहां 5 घंटे ही धूप मिल पाती है. फिर भी ये जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है.

patalkot day hours
यहां 3 बजे हो जाती है रात (Etv Bharat)

3200 की आबादी, तीन गांवों में रहता है अंधेरा

भारिया जनजाति के लोगों को भी सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके इसलिए अब 9 गांवों तक पक्की सड़क बन चुकी है लेकिन तीन गांव अभी भी ऐसे हैं जहां पर आसानी से पहुंचना संभव नहीं है. इन गांव में तो सूरज की किरण भी नहीं पहुंच पाती, जिस वजह से हमेशा अंधेरा सा छाया रहता है. पातालकोट में करीब 3200 लोग निवास करते हैं.

Patalkot village history facts
पातालकोट की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक (Etv Bharat)

पातालकोट की भारिया जनजाति पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर डॉक्टर विकास शर्मा बताते हैं, '' शुद्ध प्राकृतिक वातावरण में यहां के लोग रहते हैं, जिन्हें बाहरी दुनिया से ज्यादा सरोकार नहीं होता. हालांकि, पहाड़ों से घिरा होने की वजह से इन तक सूरज की रोशनी देर से पहुंचती है और जल्द चली जाती है लेकिन उनकी जीवन शैली इतनी संयमित है कि कोविड काल में पूरे 12 गांव में कोरोना का नामोनिशान तक नहीं था.''

Patalkot travel destination chhindwara
ऊंची-ऊंची पहाड़ियों की तलहटी में बसा है ये अनोखा गांव (Etv Bharat)

जंगल ही जीवन का सहारा, जड़ी बूटियां दुनियाभर में मशहूर

पातालकोट में रहने वाली जनजातियों के जीवन का सहारा सिर्फ जंगल ही है. जंगल से निकलने वाले उत्पाद मधुमक्खियां का शहद और मोटा अनाज इनके जीवन का प्रमुख सहारा है. एक या दो गांव में अब कोदो कुटकी और बालर की खेती होती है लेकिन उसके अलावा बाकी सभी गांव के लोग जंगल के सहारे ही जीवन जीते हैं. यहां की जड़ी बूटी पूरी दुनिया में विख्यात हैं.

सरकार ने दिया है हैबिटेट राइट्स का दर्जा

पातालकोट में बेशकीमती जड़ी बूटियां होने की वजह से इसे सरकार ने बायोडायवर्सिटी एरिया भी घोषित किया है. पातालकोट को विकसित करने के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है. भारिया जनजाति के उत्थान के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने हैबिटेट राइट्स के तहत भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक भी बना दिया था. अब उनकी मर्जी के बगैर जल जंगल और जमीन पर कोई भी यहां अधिकार नहीं जता सकता. छिंदवाड़ा देश का ऐसा पहला जिला भी बन गया था, जहां प्रशासन ने जनजाति वर्ग के हैबिटेट्स के तहत पातालकोट को भारिया जनजाति के नाम ही कर दिया है.

Chhindwara Patalkot Village
पातालकोट के दर्शनीय स्थल (Etv Bharat)

28 दिसंबर से होगा एडवेंचर फेस्टिवल

पातालकोट में पर्यटन को बढ़ावा दिलाने के लिए जिला प्रशासन भी लगातार प्रयास कर रहा है. इसके चलते 28 दिसंबर से 2 जनवरी तक पातालकोट के पास एडवेंचर फेस्टिवल कराया जा रहा है, जिसमें हॉट एयर बैलून, पैराग्लाइडिंग और कई रोमांचक खेल होंगे. कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा, '' ज्यादा से ज्यादा लोग यहां पहुंचें इसके लिए प्रयास किया जा रहे हैं जिससे पातालकोट की खूबसूरती से दुनिया के लोग रूबरू हो सकें.''

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Last Updated : Dec 23, 2024, 2:33 PM IST
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