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सीप नदी के संरक्षण के लिए आगे आया पंचायत एंव ग्रामीण विकास, नदी को पुर्नजीवित करने पर होगी चर्चा

श्योपुर में सीप नदी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है. हालत इतने गंभीर हो गए है कि नदी के संरक्षण के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो सीप नदी का अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.

श्योपुर
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Published : Jun 23, 2019, 2:54 PM IST

श्योपुर। जिले की जीवनदायिनी सीप नदी आज संरक्षक के अभाव में सिकुड़कर रह गए है. जिससे आसपास के किसानों को खेती के लिए मिलने वाला पानी सीमित हो गया है साथ ही बड़ी आबादी की प्यास बुझाने वाली सीप नदी के ऊपर अपने अस्तित्व को बनाए रखना मुश्किल हो गया है.

श्योपुर में सिमटी सीप नदी

श्योपुर कलेक्टर बसंत कुर्रे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पंचायत एवम ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सीप नदी को पुर्नजीवित करने के लिए एक कार्यक्रम की रुपरेखा तैयारी की गई है.
सीप नदी को पुर्नजीवित करने के लिए एक योजना बनाई गई है. जिसके तहत नदी के संरक्षण के लिए विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी.ताकि एक ठोस परिणाम तक पहुंचा जा सके.

श्योपुर। जिले की जीवनदायिनी सीप नदी आज संरक्षक के अभाव में सिकुड़कर रह गए है. जिससे आसपास के किसानों को खेती के लिए मिलने वाला पानी सीमित हो गया है साथ ही बड़ी आबादी की प्यास बुझाने वाली सीप नदी के ऊपर अपने अस्तित्व को बनाए रखना मुश्किल हो गया है.

श्योपुर में सिमटी सीप नदी

श्योपुर कलेक्टर बसंत कुर्रे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पंचायत एवम ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सीप नदी को पुर्नजीवित करने के लिए एक कार्यक्रम की रुपरेखा तैयारी की गई है.
सीप नदी को पुर्नजीवित करने के लिए एक योजना बनाई गई है. जिसके तहत नदी के संरक्षण के लिए विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी.ताकि एक ठोस परिणाम तक पहुंचा जा सके.

Intro:एंकर

श्योपुर-शहर सहित जिले के 85 किलोमीटर के एरिए को पेयजल और फसलों की सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराने बाली जिले की सीप नदी के रखरखाव के इंतजाम न होने की वजह से नदी के अस्तित्व पर खतरों के बादल मंडराने लगे है। अगर हालात जल्द नही सुधारे गए तो नदी नाले में तब्दील हो जाएगी। फिर पेयजल संकट के अलावा श्योपुर जिले के 85 किलोमीटर एरिए के खेतों में होने बाली खेती भी सिंचाई के अभाव में नही हो सकेगी और जिले को सूखे के हालातों से जूझना पड़ सकता है.....


Body:वीओ-1

सीप नदी शहर को पेयजल के अलावा सौंदर्यता प्रदान करने बाली इकलौती नदी है। फिर भी नदी के अस्तित्व को बचाने की बजाए नदी में कचरा और शहर की गंदगी नालो के द्वारा नदी में डाली जा रही है। इस वजह से नदी का स्वरूप नाले में तब्दील होता जा रहा है। जिसे आप भी इन तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते है कि किस तरह से नदी में पॉलीथिन, गन्दगी डाले जाने से नदी नाले का आकार लेती जा रही है। लेकिन नपा या पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारी नदी के सौंदर्य को बापास लौटाने की दिशा में कोई पहल नही कर रहे है।


Conclusion:वीओ-2

नदी के बिगड़ते स्वरूप से श्योपुर शहर सहित आसपास के इलाके में बीमारियां भी बढ़ सकती है। जिसे लेकर ईटीवी भारत ने जब जिले के कलेक्टर बसन्त कुर्रे से बात की तो उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सीप नदी पर काम कराए जाने की बात कही लेकिन यह काम गर्मियों के दिनों में किए जाने थे जो अभी तक नही किए गए इस वजह से जब बारिश ही शुरु हो जाएगी तो फिर नदी पर काम कैसे शुरू हो सकेगा।

बाईट
बसंत कुर्रे
कलेक्टर श्योपुर
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