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MP Sheopur Malnutrition : कुपोषण के मामले में बदनाम श्योपुर में 1000 से ज्यादा कुपोषित बच्चे, फिर भी NRC केंद्रों में बेड खाली

कुपोषण के लिए देश में बदनाम श्योपुर जिले (MP Sheopur Malnutrition) में सैकड़ों की संख्या में कुपोषित और गंभीर कुपोषित बच्चे हैं. फिर भी महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा बच्चों को एनआरसी केंद्रों में भर्ती नहीं कराया जा रहा है. इन हालातों में जिलेभर के एनआरसी केंद्र लगभग खाली पड़े हैं. सवाल यह है कि जब कुपोषित बच्चे एनआरसी केंद्र में भर्ती नहीं कराए जाएंगे तो कुपोषण कैसे मिटेगा. (MP Sheopur Malnutrition rise) (Kuposhan cases increased) (1000 malnourished children) (Beds in NRC centers)

MP More than one thousand malnourished children in Sheopur district
कुपोषण के मामले में बदनाम श्योपुर जिले में एक हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे
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Published : Oct 13, 2022, 12:00 PM IST

श्योपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार श्योपुर जिले में 823 बच्चे कुपोषित और 243 गंभीर कुपोषित हैं. इन कुपोषित बच्चों को समय पर पोषण आहर दिए जाने के अलावा, आयरन, कैल्शियम और जरूरी उपचार दिया जाना बेहद जरूरी है. गंभीर कुपोषितों को तो देरी किए बिना एनआरसी केंद्रों में भर्ती किया जाना चाहिए. इसके लिए जिला मुख्यालय से लेकर विजयपुर और कराहल मिलाकर कुल 3 एनआरसी केंद्र शासन स्तर से संचालित किए जा रहे हैं.

कुपोषण के मामले में बदनाम श्योपुर जिले में एक हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे

इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे बच्चे : बच्चों को एनआरसी केंद्रों में भर्ती कराए जाने की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग की है लेकिन विभाग के अधिकारी द्वारा गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्रों में भर्ती कराए जाने में घोर लापरवाही बरती जा रही है. इन परिस्थितियों में गंभीर कुपोषित बच्चे काल के गाल में समाते जा रहे हैं. बीते महीने ही जिला मुख्यालय से सटे हुए रामपुरा डॉग गांव निवासी गंभीर कुपोषित गुड़िया ने जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ा था. इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी घोर लापरवाही बने हुए हैं.

जिले में एक हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित : महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले भर में 1066 बच्चे कुपोषित और गंभीर कुपोषित हैं. लेकिन, जिले की तीनों एनआरसी केंद्रों में महज 25 से 30 ही बच्चे भर्ती हैं. जिनमें से 20 बच्चों को तो चार दिनों के भीतर मीडिया द्वारा खबर दिखाए जाने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने भर्ती कराया. इनमें से तीन बच्चे तो ऐसे हैं, जिन्हें समय पर उपचार और जरूरी पोषण नहीं मिलने की वजह से गंभीर हालत में जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती कराया गया है. इन तीन बच्चों में से धनाचया गांव निवासी गंभीर कुपोषित बालक अनिकेत बेहद गंभीर हैं.

दोनों बच्चों की हालत गंभीर : सूत्रों के अनुसार एक बच्चे के शरीर में महज 2 पॉइंट ब्लड है. इसलिए इसे ऑक्सीजन बेड पर भर्ती किया गया है. बच्चे की ऐसी हालत के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के वह अधिकारी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने बच्चे को समय रहते एनआरसी केंद्र में भर्ती नहीं कराया. विजयपुर इलाके के पैरा गांव से जिला अस्पताल लाए गए बच्चे की भी हालत बेहद नाजुक है. ये दोनों ही बच्चे जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश दरकिनार : कुपोषण यानी भूख से एक भी बच्चे की मौत होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कलेक्टर और महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी को जिम्मेदार बताया था. दोनों अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बीते सालों में तय की गई थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की सख्त निर्देश के बाद भी श्योपुर जिले में कुपोषित बच्चों की मौतें नहीं थम सकी हैं. पिछले महीने ही रामपुरा डांग गांव निवासी गुड़िया की मौत हुई थी, 15 दिन पहले विजयपुर के पैरा गांव में भी एक बच्चे की मौत हुई थी. लेकिन, जिम्मेदार अधिकारी इन मौतों को दवा देते हैं या दूसरी बीमारियों से होना बताकर अपना बचाव कर लेते हैं.

Sheopur Malnutrition : सवालों में महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े, जिले में कुपोषण का ग्राफ तेजी से बढ़ा

जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला : विजयपुर एनआरसी केंद्र के प्रभारी डॉ.जीआर पवार का कहना है कि उनके यहां 20 बेड की एनआरसी है. जरूरत पड़ने पर बेड की संख्या और भी बढ़ा दी जाती है. फिलहाल एनआरसी में 8 बच्चे भर्ती हैं, जिन्हें 3 दिन के भीतर भर्ती कराया गया है. कलेक्टर शिवम वर्मा से बात करने की कोशिश की लेकिन, उन्होंने कुपोषण के मामले में कुछ भी बात करने से इनकार कर दिया. महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ ओपी पांडेय से जब कैमरा ऑन करके बात की गई तो वह कुर्सी से खड़े होकर चलने लगे. खुद को बाइट देने के लिए अधिकृत न होने का बहाना बनाकर कहने लगे कि चीटिंग मत करो. (MP Sheopur Malnutrition rise) (Kuposhan cases increased) (1000 malnourished children) (Beds in NRC centers)

श्योपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार श्योपुर जिले में 823 बच्चे कुपोषित और 243 गंभीर कुपोषित हैं. इन कुपोषित बच्चों को समय पर पोषण आहर दिए जाने के अलावा, आयरन, कैल्शियम और जरूरी उपचार दिया जाना बेहद जरूरी है. गंभीर कुपोषितों को तो देरी किए बिना एनआरसी केंद्रों में भर्ती किया जाना चाहिए. इसके लिए जिला मुख्यालय से लेकर विजयपुर और कराहल मिलाकर कुल 3 एनआरसी केंद्र शासन स्तर से संचालित किए जा रहे हैं.

कुपोषण के मामले में बदनाम श्योपुर जिले में एक हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे

इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे बच्चे : बच्चों को एनआरसी केंद्रों में भर्ती कराए जाने की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग की है लेकिन विभाग के अधिकारी द्वारा गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्रों में भर्ती कराए जाने में घोर लापरवाही बरती जा रही है. इन परिस्थितियों में गंभीर कुपोषित बच्चे काल के गाल में समाते जा रहे हैं. बीते महीने ही जिला मुख्यालय से सटे हुए रामपुरा डॉग गांव निवासी गंभीर कुपोषित गुड़िया ने जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ा था. इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी घोर लापरवाही बने हुए हैं.

जिले में एक हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित : महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले भर में 1066 बच्चे कुपोषित और गंभीर कुपोषित हैं. लेकिन, जिले की तीनों एनआरसी केंद्रों में महज 25 से 30 ही बच्चे भर्ती हैं. जिनमें से 20 बच्चों को तो चार दिनों के भीतर मीडिया द्वारा खबर दिखाए जाने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने भर्ती कराया. इनमें से तीन बच्चे तो ऐसे हैं, जिन्हें समय पर उपचार और जरूरी पोषण नहीं मिलने की वजह से गंभीर हालत में जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती कराया गया है. इन तीन बच्चों में से धनाचया गांव निवासी गंभीर कुपोषित बालक अनिकेत बेहद गंभीर हैं.

दोनों बच्चों की हालत गंभीर : सूत्रों के अनुसार एक बच्चे के शरीर में महज 2 पॉइंट ब्लड है. इसलिए इसे ऑक्सीजन बेड पर भर्ती किया गया है. बच्चे की ऐसी हालत के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के वह अधिकारी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने बच्चे को समय रहते एनआरसी केंद्र में भर्ती नहीं कराया. विजयपुर इलाके के पैरा गांव से जिला अस्पताल लाए गए बच्चे की भी हालत बेहद नाजुक है. ये दोनों ही बच्चे जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश दरकिनार : कुपोषण यानी भूख से एक भी बच्चे की मौत होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कलेक्टर और महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी को जिम्मेदार बताया था. दोनों अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बीते सालों में तय की गई थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की सख्त निर्देश के बाद भी श्योपुर जिले में कुपोषित बच्चों की मौतें नहीं थम सकी हैं. पिछले महीने ही रामपुरा डांग गांव निवासी गुड़िया की मौत हुई थी, 15 दिन पहले विजयपुर के पैरा गांव में भी एक बच्चे की मौत हुई थी. लेकिन, जिम्मेदार अधिकारी इन मौतों को दवा देते हैं या दूसरी बीमारियों से होना बताकर अपना बचाव कर लेते हैं.

Sheopur Malnutrition : सवालों में महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े, जिले में कुपोषण का ग्राफ तेजी से बढ़ा

जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला : विजयपुर एनआरसी केंद्र के प्रभारी डॉ.जीआर पवार का कहना है कि उनके यहां 20 बेड की एनआरसी है. जरूरत पड़ने पर बेड की संख्या और भी बढ़ा दी जाती है. फिलहाल एनआरसी में 8 बच्चे भर्ती हैं, जिन्हें 3 दिन के भीतर भर्ती कराया गया है. कलेक्टर शिवम वर्मा से बात करने की कोशिश की लेकिन, उन्होंने कुपोषण के मामले में कुछ भी बात करने से इनकार कर दिया. महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ ओपी पांडेय से जब कैमरा ऑन करके बात की गई तो वह कुर्सी से खड़े होकर चलने लगे. खुद को बाइट देने के लिए अधिकृत न होने का बहाना बनाकर कहने लगे कि चीटिंग मत करो. (MP Sheopur Malnutrition rise) (Kuposhan cases increased) (1000 malnourished children) (Beds in NRC centers)

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