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न कार है, न AC, दो कमरे के घर में रहने को मजबूर है आदिवासी नेता

श्योपुर जिले में एक ऐसी महिला नेता हैं जो 5 साल तक जिला पंचायत की अध्यक्ष रही, तब सरकार से मिले आलीशान बंगले में रही, पीली बत्ती लगी सरकारी गाड़ी में घूमी और जिला पंचायत अध्यक्ष का पद जाते ही राजनीति की चमक दमक छोड़ अपने आदिवासी समाज के साथ साधारण जीवन जी रही हैं.

गुड्डीबाई, आदिवासी नेता
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Published : Apr 14, 2019, 9:39 PM IST

श्योपुर । राजनीति में किसी भी साधारण नेता को अगर एक बार बड़े पद पर रहने का मौका मिल जाता है तो उसके बारे-न्यारे हो जाते हैं, उसका रहन सहन बदल जाता है. लेकिन श्योपुर जिले में एक ऐसी महिला नेता भी हैं, जो 5 साल तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं, तब सरकार से मिले आलीशान बंगले में रहीं, सरकारी गाड़ी में घूमी और पद जाते ही सियासत की दुनिया को छोड़ छोटे से घर में रहकर अपना जीवन बिता रही हैं.

कहने को बीजेपी नेता गुड्डी बाई आदिवासी कराहल जनपद पंचायत की सदस्य हैं और जिला पंचायत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. लेकिन इस तरह घरेलू काम कर रहीं इस गुड्डी बाई को देखकर कोई भी इन्हें साधारण महिला ही समझेगा. गुड्डी चाहतीं तो वे भी राजनीति में रहते आलिशान मकान बनाकर और बड़ी गाड़ी खरीदकर अपने जीवन को अन्य नेताओं की तरह आरामदायक बना सकती थीं लेकिन शायद गुड्डी की ईमानदारी ने उन्हें रोके रखा है.

गुड्डी बाई अपने परिवार को पालने के लिये एक छोटी सी दुकान चलाती हैं और खेती बाड़ी से जो भी कमाई होती है, उससे अपना जीवन यापन करती हैं, वे अब जनपद सदस्य हैं और उन्हें 1500 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है जो घर चलाने के लिये काफी नहीं है. वहीं अपने इन हालातों का कारण पार्टी की अपेक्षा को भी बताती है.

आदिवासी नेता गुड्डी बाई की कहानी
गुड्डी बाई विजयपुर विधानसभा की नेता हैं, यहां 60 से 65 हजार आदिवासी मतदाता हैं जो चुनाव में अहम भूमिका रखते हैं इसके बावजूद भी आदिवासी महिला होने पर गुड्डी बाई की बीजेपी अपेक्षा कर रही है, इसके बावजूद भी गुड्डी का कहना है कि वे बीजेपी की थी और हमेशा रहेंगी.

श्योपुर । राजनीति में किसी भी साधारण नेता को अगर एक बार बड़े पद पर रहने का मौका मिल जाता है तो उसके बारे-न्यारे हो जाते हैं, उसका रहन सहन बदल जाता है. लेकिन श्योपुर जिले में एक ऐसी महिला नेता भी हैं, जो 5 साल तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं, तब सरकार से मिले आलीशान बंगले में रहीं, सरकारी गाड़ी में घूमी और पद जाते ही सियासत की दुनिया को छोड़ छोटे से घर में रहकर अपना जीवन बिता रही हैं.

कहने को बीजेपी नेता गुड्डी बाई आदिवासी कराहल जनपद पंचायत की सदस्य हैं और जिला पंचायत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. लेकिन इस तरह घरेलू काम कर रहीं इस गुड्डी बाई को देखकर कोई भी इन्हें साधारण महिला ही समझेगा. गुड्डी चाहतीं तो वे भी राजनीति में रहते आलिशान मकान बनाकर और बड़ी गाड़ी खरीदकर अपने जीवन को अन्य नेताओं की तरह आरामदायक बना सकती थीं लेकिन शायद गुड्डी की ईमानदारी ने उन्हें रोके रखा है.

गुड्डी बाई अपने परिवार को पालने के लिये एक छोटी सी दुकान चलाती हैं और खेती बाड़ी से जो भी कमाई होती है, उससे अपना जीवन यापन करती हैं, वे अब जनपद सदस्य हैं और उन्हें 1500 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है जो घर चलाने के लिये काफी नहीं है. वहीं अपने इन हालातों का कारण पार्टी की अपेक्षा को भी बताती है.

आदिवासी नेता गुड्डी बाई की कहानी
गुड्डी बाई विजयपुर विधानसभा की नेता हैं, यहां 60 से 65 हजार आदिवासी मतदाता हैं जो चुनाव में अहम भूमिका रखते हैं इसके बावजूद भी आदिवासी महिला होने पर गुड्डी बाई की बीजेपी अपेक्षा कर रही है, इसके बावजूद भी गुड्डी का कहना है कि वे बीजेपी की थी और हमेशा रहेंगी.
Intro:एंकर

श्योपुर-कहा जाता है कि राजनीति में किसी भी व्यक्ति को अगर एक वार भी बड़े पद पर रहने का मौका मिल जाता है तो उसके बारे न्यारे होजाते है,वह इतनी दौलत कमा लेता है कि वह ही नही बल्कि आने बाली पीढी भी ऐशो आराम की जिंदगी जीती है , लेकिन श्योपुर जिले में एक ऐसी महिला नेत्री है जो पांच साल तक जिला पंचायत की अध्यक्ष रही, तब सरकार से मिले आलीशान बंगले में रही, पीली बत्ती लगी सरकारी गाड़ी में घूमी,और जिला पंचायत अध्यक्ष का पद जाते ही राजनीति की चमक दमक छोड़ अपने समाज के आदिवासी परिवारों के साथ रहकर गुमठी में गोली-बिस्किट की दुकान लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सादा जिंदगी जी रही है।हम बात कर रहे है बीजेपी की नेत्री एवं जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष गुड्डी बाई आदिवासी की जो बर्तमान में भी कराहल जनपद पंचायत की सदस्य है,लेकिन गुड्डी बाई ईमानदार महिला होने के साथ साथ सादा जीवन जीना पसंद करती है यही वजह है कि बीजेपी की सत्ता के समय पांच साल तक जिला पंचायत की अध्यक्ष रहने के बाद भी उन्होंने इतना भी पैसा नही कमाया कि खुद के लिए चार पहिया गाड़ी खरीदना तो दूर एक पक्का मकान भी बना लिया हो,इसी वजह से गुड्डी बाई आदिवासी आज भी सेसईपुरा आदिवासी बस्ती में एक छोटी सी कच्ची पाटोर में रह रही है। और घर गृहस्थी चलाने के लिए गुड्डी बाई ने एक छोटी सी गुमठी में गोली,बिस्किट,व अन्य सामग्री की दुकान लगा रखी है जिसे गुड्डीबाई खुद चलाती है।


Body:वीओ-1
गुड़ी बाई घर गृहस्थी के काम करने के अलावा,खेती बाड़ी और एक गुमठी में दुकान लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करती है।जिसे आप भी इन तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते है कि किस तरह से बीजेपी की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डी बाई आदिवासी एक गुमटी में दुकान लगाकर गोली,बिस्किट बेच रही है और खेती बाड़ी का अनाज साफ कर रही है।तब कही अपने परिवार का गुजारा कर पा रही है।


Conclusion:वीओ-2

गुड़ी बाई समझदार और ईमानदार नेत्री है।वहआदिवासी समाज से ताल्लुक रखती है ,और वह विजयपुर विधानसभा की मूलनिवासी है जहां 60 से 65 हजार आदिवासी समाज के ही मतदाता है।जो विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पसर्टियो की हार जीत तय करने में निर्णायक भूमिका अदा करते है।फिर भी बीजेपी द्वारा गुड्डी बाई की उनकी उपेक्षा की जारही है।ईटीवी भारत ने जब गुड्डी बाई आदिवासी से बात की तो वह खुद की स्थिति वयां करती हुई बोली कि वह अव जनपद सदस्य है उन्हें 1500 रुपये महीना मानदेय मिलता है उससे घर का खर्चा नही चलता इस लिए दुकान और खेती बाड़ी करके खर्चा चलाती है उन्होंने कहा कि वह कल बी बीजेपी की थी और आज भी है लेकिन अपने दर्द को वयां करती हुई
बोली कि वह आदिवासी महिला है इस वजह से पार्टी द्वारा उनकी अनदेखी की जारही है...

बाईट
गुड्डी बाई आदिवासी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी श्योपुर
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