श्योपुर। बागी-बीहड़ के लिए बदनाम चंबल की माटी एक वक्त तक कुख्यात डकैतों की शरणस्थली मानी जाती थी, लेकिन बदलते दौर में इस माटी ने भी अपनी पहचान बदल दी है. यही वजह है कि प्रदेश के बाकी जिलों की तुलना में चंबल संभाग के जिलों के सबसे ज्यादा युवा सेना और पुलिस में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं, देशभक्ति का जज्बा चंबल की बेटियां में भी कम नहीं है. यहां बेटियां भी बॉर्डर पर जाने के लिए दिन रात पसीना बहा रही हैं.
देश सेवा के लिए सेना और पुलिस की नौकरी हासिल करने के लिए चंबल संभाग के श्योपुर जिले की बेटियां दिन-रात मेहनत कर रही हैं. उनमें फोर्स में नौकरी पाने का ऐसा जुनून है कि वे सुबह 5:00 बजे फिजिकल फिटनेस के लिए कॉलेज के ग्राउंड पर पहुंच जाती हैं. जहां दौड़, लांग जंप, हाई जंप सहित वे सभी प्रैक्टिस करतीं हैं, जो सेना में शामिल होने के लिए जरुरी है. इसके अलावा जूड़ो-कराटे भी सीख रही हैं.
इन बेटियों को फिजिकल की तैयारी और सेल्फ डिफेंस सिखाने के लिए श्योपुर के पीजी कॉलेज की छात्रा कराटे चैंपियन रंजना राजोरिया खूब मेहनत कर रही हैं. वह खेल अधिकारी अरुण सिंह चौहान की मदद लेकर खुद तो सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रही हैं, साथ ही शहर के आसपास की युवतियों को फिजिकल और सेल्फ डिफेंस के गुर सिखा रही हैं. जिनके पीछे रंजना की सोच है कि उनकी तरह अन्य युवतियां भी अपनी सुरक्षा करना सीखें और सेना और फोर्स में भर्ती होकर बेटियां भी बेटों की तरह देश का गौरव बढ़ाएं.
नहीं मिल रही मदद
देशभक्ति का जज्बा रखने वाली चंबल संभाग के श्योपुर जिले की इन बेटियों को फिजिकल फिटनेस की तैयारी के लिए पीजी कॉलेज प्रबंधक ने किसी भी तरह की मदद या सामग्री उपलब्ध नहीं कराया है. ग्राउंड में लाइट तक नहीं है, ऐसे हालात में भी वह अपने मोबाइल के टॉर्च के सहारे तैयारी कर रही हैं. उनके हौसले इतने बुलंद हैं कि विपरीत परिस्थिति है, फिर भी इन बेटियों की भीतर देशभक्ति का इतना जज्बा है कि वह अपने खर्चे पर सेना और फोर्स की नौकरी पाने के लिए जमकर मेहनत कर रही हैं. इन बेटियों ने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें फिजिकल तैयारी के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं.