श्योपुर। एक तरफ जहां प्रदेश सरकार गायों की देखरेख के लिए गौ-कैबिनेट का गठन करने का काम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग के अफसर सड़कों पर घूम रही बेसहारा गायों की सुध नहीं ले रहे हैं. इससे सैकड़ों निराश्रित गाय कभी भूख प्यास से, तो कभी हादसे का शिकार हो जा रहे है. अब विपक्ष के नेता सरकार की कथनी और करनी पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
गौरतलब है कि, जिले में तीन लाख से ज्यादा गाय हैं, जिसमें से एक लाख की करीबन निराश्रित है, जो जिला मुख्यालय से लेकर बीरपुर, श्यामपुर, कराहल, गोरखपुर, विजयपुर इलाके में बड़ी संख्या में घूमती रहती हैं. आए दिन हादसे का शिकार भी हो जाती हैं. गर्मियों के सीजन में इन गायों की परेशानी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि ज्यादातर नदी-नाले सूख जाते है. साथ ही फसलें भी मूरझा जाती है. इसके बाद गायों के लिए चारा-पानी मिल पाना और भी मुश्किल हो जाता है. प्रदेश सरकार भले ही गायों की इस समस्या को लेकर बेहद गंभीर हों, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी पहले की तरह लापरवाह बने हुए हैं.
दावे अनेक! मौत बनकर सड़कों पर घूम रहीं बेसहारा गाय - कांग्रेस विधायक बाबू चंदेल
प्रदेश सरकार गायों की देखरेख के लिए गौ-कैबिनेट का गठन करने का काम कर रही है, लेकिन श्योपुर जिले में पशुपालन विभाग के अफसर सड़कों पर घूम रही बेसहारा गायों की सुध लेने की बजाय लापरवाही बरत रहे है. पढ़िए पूरी खबर..
श्योपुर। एक तरफ जहां प्रदेश सरकार गायों की देखरेख के लिए गौ-कैबिनेट का गठन करने का काम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग के अफसर सड़कों पर घूम रही बेसहारा गायों की सुध नहीं ले रहे हैं. इससे सैकड़ों निराश्रित गाय कभी भूख प्यास से, तो कभी हादसे का शिकार हो जा रहे है. अब विपक्ष के नेता सरकार की कथनी और करनी पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
गौरतलब है कि, जिले में तीन लाख से ज्यादा गाय हैं, जिसमें से एक लाख की करीबन निराश्रित है, जो जिला मुख्यालय से लेकर बीरपुर, श्यामपुर, कराहल, गोरखपुर, विजयपुर इलाके में बड़ी संख्या में घूमती रहती हैं. आए दिन हादसे का शिकार भी हो जाती हैं. गर्मियों के सीजन में इन गायों की परेशानी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि ज्यादातर नदी-नाले सूख जाते है. साथ ही फसलें भी मूरझा जाती है. इसके बाद गायों के लिए चारा-पानी मिल पाना और भी मुश्किल हो जाता है. प्रदेश सरकार भले ही गायों की इस समस्या को लेकर बेहद गंभीर हों, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी पहले की तरह लापरवाह बने हुए हैं.