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पूर्वजों की परंपरा निभा रहा ये गांव, हरियाली अमावस्या पर होती है विशेष पूजा

हरियाली अमावस्या के अवसर पर शाजापुर के पास बमोरी गांव में विशेष पूजा की जाती है, गांव वालों का मानना है कि इस पूजा से पालतु पशु बीमार नहीं होते.

शाजापुर के पास बमोरी गांव में विशेष पूजा का आयोजन
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Published : Aug 2, 2019, 11:52 AM IST

शाजापुर। हरियाली अमावस्या के अवसर पर जिले में आने वाले एक बमोरी गांव में हर साल विशेष पूजा की जाती. गांव वालों का मानना है कि जब तक ये पूजा पूरी नहीं होती तब तक गांव में किसी तरह के धारदार औजारों का उपयोग नहीं किया जाता. यहां की मान्यता है कि इस पूजा से गांव के पालतु पशु को बीमारियों से भी बचाया जाता है.
ये पूजा गांव की पारंपरिक पूजा है, ग्रामीणों का मानना है कि इस दौरान परंपरा के मुताबिक एक डाला (विशेष प्रकार की पूजा की वस्तु) बांधा जाता है, जिसके नीचे से जानवरों को निकाला जाता है. ऐसा करने से पशुधन बीमारियों से दूर रहता है.

हरियाली अमावस्या पर शाजापुर में होती है विशेष पूजा


गांव की परंपरा है कि जब तक ये पूजा पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती तब तक किसा भी चीज को कांटने के लिए धारदार वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता.

शाजापुर। हरियाली अमावस्या के अवसर पर जिले में आने वाले एक बमोरी गांव में हर साल विशेष पूजा की जाती. गांव वालों का मानना है कि जब तक ये पूजा पूरी नहीं होती तब तक गांव में किसी तरह के धारदार औजारों का उपयोग नहीं किया जाता. यहां की मान्यता है कि इस पूजा से गांव के पालतु पशु को बीमारियों से भी बचाया जाता है.
ये पूजा गांव की पारंपरिक पूजा है, ग्रामीणों का मानना है कि इस दौरान परंपरा के मुताबिक एक डाला (विशेष प्रकार की पूजा की वस्तु) बांधा जाता है, जिसके नीचे से जानवरों को निकाला जाता है. ऐसा करने से पशुधन बीमारियों से दूर रहता है.

हरियाली अमावस्या पर शाजापुर में होती है विशेष पूजा


गांव की परंपरा है कि जब तक ये पूजा पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती तब तक किसा भी चीज को कांटने के लिए धारदार वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता.

Intro:शाजापुर । गांव भमोरी में प्रतिवर्ष हरियाली अमावस को ग्रामीण देवी-देवताओं की पूजन कर पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के टोटके किए जाते हैं.Body:


शहर के गांव बमोरी में प्रतिवर्ष हरियाली अमावस को गांव के देवी देवताओं का पूजन कर गांव के आसपास शराब की धार दी जाती हैं .उसके बाद गांव में विशेष प्रकार का एक टोटका किया जाता है. एक विशेष प्रकार की वस्तु बांधी जाती है. उसके नीचे से गांव के सभी जानवरों को निकाला जाता है . जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती तब तक कोई भी व्यक्ति गांव में किसी भी वस्तु किसी भी चीज को काटने के लिए धारदार वस्तु का उपयोग नहीं कर सकता. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही को भी व्यक्ति धारदार वस्तु का प्रयोग कर सकता है .गांव में यह एक विशेष प्रकार की मान्यता है.Conclusion:

भारतवर्ष में भिन्न-भिन्न प्रकार की मान्यताएं
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