शाजापुर। हरियाली अमावस्या के अवसर पर जिले में आने वाले एक बमोरी गांव में हर साल विशेष पूजा की जाती. गांव वालों का मानना है कि जब तक ये पूजा पूरी नहीं होती तब तक गांव में किसी तरह के धारदार औजारों का उपयोग नहीं किया जाता. यहां की मान्यता है कि इस पूजा से गांव के पालतु पशु को बीमारियों से भी बचाया जाता है.
ये पूजा गांव की पारंपरिक पूजा है, ग्रामीणों का मानना है कि इस दौरान परंपरा के मुताबिक एक डाला (विशेष प्रकार की पूजा की वस्तु) बांधा जाता है, जिसके नीचे से जानवरों को निकाला जाता है. ऐसा करने से पशुधन बीमारियों से दूर रहता है.
गांव की परंपरा है कि जब तक ये पूजा पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती तब तक किसा भी चीज को कांटने के लिए धारदार वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता.