शाजापुर। जिला अस्पताल में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन नहीं मिला है. इसके पीछे कारण यह है कि सैलेरी बिल पर सिविल सर्जन हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं. पिछले दिनों डॉ. जायसवाल को सिविल सर्जन का प्रभार दिया गया, लेकिन उन्होंने वित्त संबंधी जवाबदारी लेने से इंकार कर दिया. ऐसे में सैलेरी बिल पर हस्ताक्षर नहीं होने से स्वास्थ्यकर्मियों का फरवरी माह का वेतन अटक गया है.
स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन कब मिलेगा ?
कोरोना काल में अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों का इलाज करने वाले जिला अस्पताल के कर्मचारियों का इस बार वेतन रुक जाएगा.. क्योंकि जिला अस्पताल के डॉ. जायसवाल सिविल सर्जन पद की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है. पिछले दिनों पूर्व सिविल सर्जन पर आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद कलेक्टर ने अस्पताल के सिविल सर्जन की जिम्मेदारी डॉ. एसडी जायसवाल को सौंपी थी. लेकिन उन्होंने फाइनेंस संबंधी जवाबदारी लेने से मना कर दिया. इसके चलते अस्पताल के 175 कर्मचारियों और डॉक्टरों के वेतन बिल पर हस्ताक्षर ही नहीं हुए हैं. दो दिन के अवकाश के बाद अब सोमवार को किसी अन्य को जिम्मेदारी मिलने के बाद ही तय होगा कि इस बार का वेतन कब मिलेगा.
सिविल सर्जन की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
सिर्फ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी लेने वाले डॉ. जायसवाल ने कहा कि पूर्व में भी मैंने इस जिम्मेदारी से इस्तीफा दिया था. इस बार सिर्फ व्यवस्थाओं को लेकर काम कर रहे हैं, पर फाइनेंस संबंधित जिम्मेदारी नहीं ली है. कर्मचारियों के वेतन नहीं निकलने के सवाल पर उन्होंने अपना तर्क दिया कि सोमवार को तय हो जाएगा कि सिविल सर्जन की जिम्मेदारी किसे मिलेगी. वैसे भी मार्च माह में कर्मचारियों के टीडीएस की प्रक्रिया होती है. इसके चलते हर साल फरवरी का वेतन 5-7 तारीख तक ही निकल पाता है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि यदि समय रहते जिम्मेदारी तय हो जाती, तो हमें वेतन के लिए परेशान नहीं होना पड़ता. अब 2 तारीख तक यदि किसी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हुए, तो वेतन मिलने में 10 दिन का समय निकल जाएगा.
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तीन साल में 6 सिविल सर्जन बदले
जिला अस्पताल की जिम्मेदारी निभाने के मामले में स्थानीय अधिकारियों ने हमेशा अपने हाथ पीछे खींचे हैं. बीते तीन सालों में सिविल सर्जन के रूप में 6 अधिकारी बदल गए. इसमें डॉ. सुनील सोनी, डॉ. अनुसुईया गवली, डॉ. एचएस सिसौदिया, डॉ. एसडी जायसवाल, डॉ. शुभम गुप्ता ने समय-समय पर सिविल सर्जन का पदभार ग्रहण किया. इनमें दो ने इस्तीफा दिया और एक तो सस्पैंड ही हो गए. ज्ञात रहे डॉ. अनुसुईया गवली के कार्यकाल में भी कई गड़बडिय़ों के चलते उनका स्थानातंरण हो गया था.
रोगी कल्याण समिति के बिल भी अटके
अस्पताल प्रबंधन का कोई जिम्मेदार नहीं होने पर जब लेखापाल जेपी पाटीदार से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि अस्पताल के कई काम प्रभावित हो रहे हैं. मुख्य रूप से रोगी कल्याण समिति, एनआरएचएम के बिल भी अटके हैं.