शाजापुर। महाभारत के युद्ध से पहले जब पांडव जुए में हार गए थे, तो उन्हें 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था. अपने अज्ञातवास के दौरान उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शहर से पांच किलोमीटर दूर पांडूखो नाम की जगह पर अज्ञातवास के कुछ वक्त बिताए थे. मान्यता के अनुसार यहां पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने भगवान शिव की तपस्या की थी.
पांडूखो मंदिर का अपना इतिहास है. यह मंदिर एकदम शांत जगह पर एक छोटी सी नदी के पास है. यहां पर जाने के लिए संकरे रास्ते का सहारा लेना पड़ता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर पांडवकाल के दौरान का है. उन्होंने बताया कि यहां अर्जुन ने शिव की तपस्या के दौरान कई निशानियां छोड़ीं, जो आज भी यहां मौजूद हैं.यहां के लोगों ने बताया कि वे जब इस मंदिर में आते हैं, तो उन्हें बेहद शांति मिली है और यहां एक अलग अनोखा अनुभव होता है.