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अज्ञातवास के दौरान यहां अर्जुन ने की थी भगवान शिव की आराधना, जानिए मंदिर की खासियत - शाजापुर में पांडूखो मंदिर

पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शाजापुर से 5 किलोमीटर दूर पांडूखो में अज्ञातवास के कुछ वक्त बिताए थे. पौराणिक कथाओं के मुताबिक पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने भगवान शिव की तपस्या की थी.

पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने की थी तपस्या
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Published : Aug 13, 2019, 9:54 AM IST

शाजापुर। महाभारत के युद्ध से पहले जब पांडव जुए में हार गए थे, तो उन्हें 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था. अपने अज्ञातवास के दौरान उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शहर से पांच किलोमीटर दूर पांडूखो नाम की जगह पर अज्ञातवास के कुछ वक्त बिताए थे. मान्यता के अनुसार यहां पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने भगवान शिव की तपस्या की थी.

पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने की थी तपस्या

पांडूखो मंदिर का अपना इतिहास है. यह मंदिर एकदम शांत जगह पर एक छोटी सी नदी के पास है. यहां पर जाने के लिए संकरे रास्ते का सहारा लेना पड़ता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर पांडवकाल के दौरान का है. उन्होंने बताया कि यहां अर्जुन ने शिव की तपस्या के दौरान कई निशानियां छोड़ीं, जो आज भी यहां मौजूद हैं.यहां के लोगों ने बताया कि वे जब इस मंदिर में आते हैं, तो उन्हें बेहद शांति मिली है और यहां एक अलग अनोखा अनुभव होता है.

शाजापुर। महाभारत के युद्ध से पहले जब पांडव जुए में हार गए थे, तो उन्हें 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था. अपने अज्ञातवास के दौरान उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शहर से पांच किलोमीटर दूर पांडूखो नाम की जगह पर अज्ञातवास के कुछ वक्त बिताए थे. मान्यता के अनुसार यहां पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने भगवान शिव की तपस्या की थी.

पांडूखो मंदिर में अर्जुन ने की थी तपस्या

पांडूखो मंदिर का अपना इतिहास है. यह मंदिर एकदम शांत जगह पर एक छोटी सी नदी के पास है. यहां पर जाने के लिए संकरे रास्ते का सहारा लेना पड़ता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर पांडवकाल के दौरान का है. उन्होंने बताया कि यहां अर्जुन ने शिव की तपस्या के दौरान कई निशानियां छोड़ीं, जो आज भी यहां मौजूद हैं.यहां के लोगों ने बताया कि वे जब इस मंदिर में आते हैं, तो उन्हें बेहद शांति मिली है और यहां एक अलग अनोखा अनुभव होता है.

Intro:शाजापुर। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शहर से 5 किलोमीटर दूर पांडुखो जगह पर अपने अज्ञातवास के दिन बताएं और ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार अर्जुन ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां पर तपस्या भी की.


Body:








शहर से 5 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे से दायिनी और पांडू को एक जगह है .जहां पर ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने अपना अज्ञात वास बिताया था .यहा भूमि से काफी नीचे भगवान शिव का मंदिर बना हुआ है. जो काफी गहराई पर है .यहां पर जाने के लिए सकरी रास्ते का सहारा लेना पड़ता है. यह मंदिर एकदम शांत जगह पर एक छोटी सी नदी किनारे है .इस मंदिर के बारे में जो वहां के पुजारी से बातचीत की गई तो ,उन्होंने कुछ दस्तावेज दिखाते हुए इस मंदिर की ऐतिहासिक मान्यताओं के बारे में बताया. उनका कहना था कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां पर अपना अज्ञातवास कांटा और अर्जुन ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए यहां पर तपस्या की .इसीलिए सावन सोमवार के आखिरी दिन इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है.


Conclusion:


पांडवों का अज्ञातवास पांडु खो नामक जगह पर भी व्यतीत हुआ था
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