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शाजापुर: प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों से भैरव डूंगरी पहुंच रहे भक्त

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Published : Jul 5, 2020, 9:28 PM IST

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन द्वारा इस बार गुरू पूर्णिमा पर लगने वाले मेले को निरस्त कर दिया गया है. भैरव डूंगरी तक पहुंचने वाले रास्ते पर बेरिकेड्स लगा दिए गए थे, ताकि कोई भी भक्त यहां पर ना जा सकें, लेकिन प्रशासन के इंतजाम के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग डूंगरी पहुंच रहे हैं.

Devotees reaching Bhairav ​​Dungri after ban
भैरव डूंगरी पहुंच रहे भक्त

शाजापुर। जिलेवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इस बार प्रशासन द्वारा गुरू पूर्णिमा पर लगने वाला मेला निरस्त कर दिया गया है. भैरव डूंगरी तक पहुंचने वाले रास्ते पर बेरिकेड्स लगा दिए थे, ताकि कोई भी भक्त डूंगरी ना जा सकें, लेकिन प्रशासन के तमाम इंतजाम के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों से कई लोग यहां पहुंच रहे हैं. जब प्रशासन ने इन्हें डूंगरी पर नहीं चढ़ने दिया तो लोग डूंगरी के नीचे ही भैरव महाराज बैठाकर उनकी पूजा-अर्चना करने लगे.

बायपास स्थित भैरव डूंगरी पर हर साल गुरू पूर्णिमा के दिन एक दिवसीय धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें जिले भर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्तजन भैरव टेकरी पहुंचकर भैरव बाबा के दर्शन करते हैं. अल सुबह भैरव डूंगरी पर विराजमान कोतवाल नगर भैरव महाराज का अभिषेक कर उनका श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद उन्हें मदिरा सहित अन्य वस्तुओं का भोग लगाया जाता है. यहां सुबह से देर शाम तक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं.

इस बार प्रशासनिक अधिकारियों ने हिंदू उत्सव समिति और अन्य हिंदू संगठनों के साथ बैठक कर गुरू पूर्णिमा पर होने वाले मेले को स्थगित करने का निर्णय लिया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भैरव डूंगरी पर हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं और यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना संभव नहीं होगा. इसी को देखते हुए गुरू पूर्णिमा पर होने वाले आयोजन को निरस्त किया गया है.

इस आदेश के बाद भैरव डूंगरी पर जाने वाले सभी रास्तों पर पुलिस द्वारा बेरिकेड्स लगाकर बंद कर दिए थे, ताकि कोई भी भक्त भैरव टेकरी पर नहीं पहुंच सकें, लेकिन 5 जुलाई यानि रविवार को पुजारी द्वारा बाबा का श्रृंगार कर उनकी आरती उतारी गई. हालांकि शहरवासियों ने तो प्रशासन के आदेश का पालन करते हुए डूंगरी का रूख नहीं किया, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से भैरव बाबा को पूजने के लिए बड़ी संख्या में लेाग डूंगरी तक पहुंच गए. हालांकि प्रशासन द्वारा इन्हें ऊपर जाने की अनुमति नहीं दी गई. ऐसे में भक्तों ने डूंगरी के नीचे ही भैरव बाबा की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना की.

शाजापुर। जिलेवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इस बार प्रशासन द्वारा गुरू पूर्णिमा पर लगने वाला मेला निरस्त कर दिया गया है. भैरव डूंगरी तक पहुंचने वाले रास्ते पर बेरिकेड्स लगा दिए थे, ताकि कोई भी भक्त डूंगरी ना जा सकें, लेकिन प्रशासन के तमाम इंतजाम के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों से कई लोग यहां पहुंच रहे हैं. जब प्रशासन ने इन्हें डूंगरी पर नहीं चढ़ने दिया तो लोग डूंगरी के नीचे ही भैरव महाराज बैठाकर उनकी पूजा-अर्चना करने लगे.

बायपास स्थित भैरव डूंगरी पर हर साल गुरू पूर्णिमा के दिन एक दिवसीय धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें जिले भर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्तजन भैरव टेकरी पहुंचकर भैरव बाबा के दर्शन करते हैं. अल सुबह भैरव डूंगरी पर विराजमान कोतवाल नगर भैरव महाराज का अभिषेक कर उनका श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद उन्हें मदिरा सहित अन्य वस्तुओं का भोग लगाया जाता है. यहां सुबह से देर शाम तक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं.

इस बार प्रशासनिक अधिकारियों ने हिंदू उत्सव समिति और अन्य हिंदू संगठनों के साथ बैठक कर गुरू पूर्णिमा पर होने वाले मेले को स्थगित करने का निर्णय लिया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भैरव डूंगरी पर हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं और यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना संभव नहीं होगा. इसी को देखते हुए गुरू पूर्णिमा पर होने वाले आयोजन को निरस्त किया गया है.

इस आदेश के बाद भैरव डूंगरी पर जाने वाले सभी रास्तों पर पुलिस द्वारा बेरिकेड्स लगाकर बंद कर दिए थे, ताकि कोई भी भक्त भैरव टेकरी पर नहीं पहुंच सकें, लेकिन 5 जुलाई यानि रविवार को पुजारी द्वारा बाबा का श्रृंगार कर उनकी आरती उतारी गई. हालांकि शहरवासियों ने तो प्रशासन के आदेश का पालन करते हुए डूंगरी का रूख नहीं किया, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से भैरव बाबा को पूजने के लिए बड़ी संख्या में लेाग डूंगरी तक पहुंच गए. हालांकि प्रशासन द्वारा इन्हें ऊपर जाने की अनुमति नहीं दी गई. ऐसे में भक्तों ने डूंगरी के नीचे ही भैरव बाबा की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना की.

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