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कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहे युवाओं को भविष्य की चिंता, कोरोना काल में प्रतियोगी छात्र हो रहे परेशान - प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी

कोरोना काल में कोचिंग बंद होने के शहडोल के युवाओं को अपने घर की ओर वापसी करना पड़ी है, ऐसे में युवाओं का समय को खराब हो रहा है, वह कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारियां भी नहीं कर पा रहे हैं. इस महामारी के दौर में सरकार कोई वैकेंसी नहीं निकाल रही है. जिसके बाद तो युवा और ज्यादा निराश हैं. युवाओं का कहना है जब वैकेंसी ही नहीं निकलेगी तो किस लक्ष्य के साथ वो अपनी तैयारियों को अंजाम तक पहुंचाएं.

Youth upset in Corona era
कोरोना काल में युवा परेशान
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Published : Sep 24, 2020, 11:37 AM IST

शहडोल। कोरोना वायरस ने हर वर्ग को प्रभावित किया है, जिससे ये युवा वर्ग भी अछूता नहीं है. आदिवासी अंचल शहडोल जिला से निकलकर कई सालों से बड़े शहरों में युवा कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोरोना काल में कोचिंग क्लास बंद होने से और कॉम्पिटिशन परीक्षाएं नहीं होने से युवा को भविष्य की चिंता सताने लगी है.

कोरोना काल में युवा परेशान

कोरोना काल में कोचिंग बंद होने के जिले के युवाओं को अपने घर की ओर वापसी करना पड़ी है, ऐसे में युवाओं का समय को खराब हो रहा है, वह कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारियां भी नहीं कर पा रहे हैं. इस महामारी के दौर में सरकार कोई वैकेंसी नहीं निकाल रही है, जिसके बाद तो युवा और ज्यादा निराश हैं. युवाओं का कहना है, जब वैकेंसी ही नहीं निकलेगी तो किस लक्ष्य के साथ वो अपनी तैयारियों को अंजाम तक पहुंचाएं.

युवाओं को सता रही भविष्य की चिंता

अश्विन श्रीवास्तव शहडोल जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं और पिछले कुछ साल से दिल्ली इंदौर जैसे शहरों में रहकर पीएससी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस कोरोना काल में उन्हें वापस गांव आना पड़ा है, लेकिन अश्विन का कहना है कि गांव आकर तैयारी करना बहुत मुश्किल का काम हो जाता है. यहां नेटवर्क ही नहीं रहता, वहीं नोट्स और कोचिंग के बिना तैयारी करना एक बहुत बड़ी चुनौती हो जाती है और ऊपर से जब भर्तियां निकलनी बंद हो जाएं तो फिर किस लक्ष्य के साथ तैयारी की जाए. ऐसे में अब उनको अपने भविष्य की चिंता सता रही है.

अश्विन श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी एमपी पीएससी के प्री एग्जाम में उनके और उनके कुछ दोस्तों का बहुत अच्छा पेपर गया और वह लोग सभी मेंस की तैयारी में जुट चुके थे, लेकिन इतने महीने हो गए. मेंस की परीक्षा के लिए अभी तक कोई डेट ही नहीं आई. इसके अलावा उनके कुछ जानने वाले तो अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में है. जिन्हें लग रहा था कि बस अभी अंतिम प्रयास है और इसमें सफल हो ही जाएंगे ऐसे लोगों के लिए तो इस कोरोना काल ने उनका पूरा भविष्य ही चौपट कर दिया.

कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी पर असर

कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे दिव्यांश द्विवेदी का कहना है कि वह पिछले कुछ साल से काफी कड़ी तैयारी कर रहे थे. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग भी जाते थे. अपने दोस्तों के साथ ग्रुप में पढ़ाई भी करते थे, लेकिन इस कोरोना काल ने सब कुछ बंद कर दिया, जिसकी वजह से अब उनकी तैयारियों पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है, अब न तो परीक्षाएं हो रही हैं, न तैयारी में मन लग रहा है. अब तैयारी करते करते थक चुके हैं, जब परीक्षाएं ही नहीं होंगी तो पढ़ाई में मन भी नहीं लगता है.

युवाओं का बड़ा नुकसान

शिक्षाविद बीके सिंह का कहना है कि कोरोना काल में पिछले 6 महीने से कंपटीशन एग्जाम नहीं हो पा रहे हैं. वहीं कुछ परीक्षाएं स्थगित भी हो गई है. ऐसे में छात्रों के अंदर भी अब निराशा का भाव आ रहा है, क्योंकि कई ऐसे युवा भी हैं जो परीक्षा की निर्धारित उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी हैं और एक बार उम्र निकल जाने के बाद उनके पास से भी एग्जाम देने का मौका निकल जाएगा. छात्र तो अब बहुत ज्यादा डीमोरलाइज भी हो रहे हैं. शिक्षाविद् की मानें तो जब छात्र एग्जाम की तैयारी करते हैं और जब परीक्षा की तिथि तय होती है तो उनके सामने एक लक्ष्य होता है कि इस तारीख को हमारी परीक्षा है और उस हिसाब से अपनी तैयारी करते हैं. उसके हिसाब से अपना सिलेबस तैयार करके सिलेबस के हिसाब से टाइम देकर वह अपनी तैयारी करते हैं, लेकिन जब सामने परीक्षा की कोई तिथि ही नहीं होती है तो कहीं ना कहीं जो तैयारी करने का लक्ष्य है, उससे छात्र भटक जाता है.

वह सोचते हैं की परीक्षा कब होगी, होगी या नहीं होगी और इसी तरह छात्र धीरे-धीरे अपने पढ़ाई से दूर होते जाते हैं और जिसके चलते जो पढ़ाई की कंटिन्यूटी बनी रहती है कहीं ना कहीं वो टूट जाती है और किसी भी बड़ी परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है. जब छात्र निरंतर पढ़ाई करते रहते हैं परीक्षाएं देते रहते हैं तो उनके सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और छात्र पूरे जोश के साथ तैयारी भी करते हैं, लेकिन इस कोरोना काल में ऐसे छात्रों की निरंतरता टूट चुकी है. ऐसे में छात्रों को अपने भविष्य कि चिंता सता रही है.

शहडोल। कोरोना वायरस ने हर वर्ग को प्रभावित किया है, जिससे ये युवा वर्ग भी अछूता नहीं है. आदिवासी अंचल शहडोल जिला से निकलकर कई सालों से बड़े शहरों में युवा कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोरोना काल में कोचिंग क्लास बंद होने से और कॉम्पिटिशन परीक्षाएं नहीं होने से युवा को भविष्य की चिंता सताने लगी है.

कोरोना काल में युवा परेशान

कोरोना काल में कोचिंग बंद होने के जिले के युवाओं को अपने घर की ओर वापसी करना पड़ी है, ऐसे में युवाओं का समय को खराब हो रहा है, वह कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारियां भी नहीं कर पा रहे हैं. इस महामारी के दौर में सरकार कोई वैकेंसी नहीं निकाल रही है, जिसके बाद तो युवा और ज्यादा निराश हैं. युवाओं का कहना है, जब वैकेंसी ही नहीं निकलेगी तो किस लक्ष्य के साथ वो अपनी तैयारियों को अंजाम तक पहुंचाएं.

युवाओं को सता रही भविष्य की चिंता

अश्विन श्रीवास्तव शहडोल जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं और पिछले कुछ साल से दिल्ली इंदौर जैसे शहरों में रहकर पीएससी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस कोरोना काल में उन्हें वापस गांव आना पड़ा है, लेकिन अश्विन का कहना है कि गांव आकर तैयारी करना बहुत मुश्किल का काम हो जाता है. यहां नेटवर्क ही नहीं रहता, वहीं नोट्स और कोचिंग के बिना तैयारी करना एक बहुत बड़ी चुनौती हो जाती है और ऊपर से जब भर्तियां निकलनी बंद हो जाएं तो फिर किस लक्ष्य के साथ तैयारी की जाए. ऐसे में अब उनको अपने भविष्य की चिंता सता रही है.

अश्विन श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी एमपी पीएससी के प्री एग्जाम में उनके और उनके कुछ दोस्तों का बहुत अच्छा पेपर गया और वह लोग सभी मेंस की तैयारी में जुट चुके थे, लेकिन इतने महीने हो गए. मेंस की परीक्षा के लिए अभी तक कोई डेट ही नहीं आई. इसके अलावा उनके कुछ जानने वाले तो अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में है. जिन्हें लग रहा था कि बस अभी अंतिम प्रयास है और इसमें सफल हो ही जाएंगे ऐसे लोगों के लिए तो इस कोरोना काल ने उनका पूरा भविष्य ही चौपट कर दिया.

कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी पर असर

कॉम्पिटिशन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे दिव्यांश द्विवेदी का कहना है कि वह पिछले कुछ साल से काफी कड़ी तैयारी कर रहे थे. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग भी जाते थे. अपने दोस्तों के साथ ग्रुप में पढ़ाई भी करते थे, लेकिन इस कोरोना काल ने सब कुछ बंद कर दिया, जिसकी वजह से अब उनकी तैयारियों पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है, अब न तो परीक्षाएं हो रही हैं, न तैयारी में मन लग रहा है. अब तैयारी करते करते थक चुके हैं, जब परीक्षाएं ही नहीं होंगी तो पढ़ाई में मन भी नहीं लगता है.

युवाओं का बड़ा नुकसान

शिक्षाविद बीके सिंह का कहना है कि कोरोना काल में पिछले 6 महीने से कंपटीशन एग्जाम नहीं हो पा रहे हैं. वहीं कुछ परीक्षाएं स्थगित भी हो गई है. ऐसे में छात्रों के अंदर भी अब निराशा का भाव आ रहा है, क्योंकि कई ऐसे युवा भी हैं जो परीक्षा की निर्धारित उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी हैं और एक बार उम्र निकल जाने के बाद उनके पास से भी एग्जाम देने का मौका निकल जाएगा. छात्र तो अब बहुत ज्यादा डीमोरलाइज भी हो रहे हैं. शिक्षाविद् की मानें तो जब छात्र एग्जाम की तैयारी करते हैं और जब परीक्षा की तिथि तय होती है तो उनके सामने एक लक्ष्य होता है कि इस तारीख को हमारी परीक्षा है और उस हिसाब से अपनी तैयारी करते हैं. उसके हिसाब से अपना सिलेबस तैयार करके सिलेबस के हिसाब से टाइम देकर वह अपनी तैयारी करते हैं, लेकिन जब सामने परीक्षा की कोई तिथि ही नहीं होती है तो कहीं ना कहीं जो तैयारी करने का लक्ष्य है, उससे छात्र भटक जाता है.

वह सोचते हैं की परीक्षा कब होगी, होगी या नहीं होगी और इसी तरह छात्र धीरे-धीरे अपने पढ़ाई से दूर होते जाते हैं और जिसके चलते जो पढ़ाई की कंटिन्यूटी बनी रहती है कहीं ना कहीं वो टूट जाती है और किसी भी बड़ी परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है. जब छात्र निरंतर पढ़ाई करते रहते हैं परीक्षाएं देते रहते हैं तो उनके सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और छात्र पूरे जोश के साथ तैयारी भी करते हैं, लेकिन इस कोरोना काल में ऐसे छात्रों की निरंतरता टूट चुकी है. ऐसे में छात्रों को अपने भविष्य कि चिंता सता रही है.

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