शहडोल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर विंध्य प्रदेश बनाने की मांग उठी है. मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी लगातार मध्य प्रदेश से अलग होकर विंध्य प्रदेश बनाने की मांग पर अड़े है. नारायण त्रिपाठी का कहना है कि, छोटे-छोटे प्रदेश बनाने से विकास होता है. देश में कई उदाहरण हैं जहां अलग प्रदेश बनने के बाद विकास हुआ है. ऐसे में विंध्य वासियों के जेहन में एक ये भी सवाल उठ रहा है कि आखिर उनका पुराना विंध्य कैसा था ? क्या उन्हें विंध्य प्रदेश मिलेगा. एक बार फिर से इन दिनों विंध्य को प्रदेश बनाने की मांग उठने लगी है और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि विन्ध्य का पूरा इलाका विकास में पिछड़ रहा है, जितना विकास यहां इतने सालों में हो जाना चाहिए था वह नहीं हुआ है. इसलिए विन्ध्य को फिर से एक अलग प्रदेश का दर्जा दे दिया जाए. ऐसे में आज ईटीवी भारत में उस शख्सियत की बात जो विंध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने विंध्य क्षेत्र में विकास की जो नींव रखी, आज भी उसी नींव पर इस क्षेत्र में विकास हो रहा है आखिर कैसे पंडित शंभूनाथ शुक्ल ने विंध्य प्रदेश में विकास की बयार बहाई थी. देखें ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में.
विंध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
पंडित शंभूनाथ शुक्ल वो शख्सियत थे, जिस विन्ध्य को प्रदेश बनाने की मांग आज फिर से उठ रही है. कभी शंभूनाथ शुक्ल उस विंध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे, रीवा रियासत के महाराज ने पंडित जी को पहले रीवा रियासत का गृह मंत्री नियुक्त किया था और फिर 1952 में भारत वर्ष में जब प्रथम आम चुनाव हुए जिसमें विंध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 60 सीटों से विजय प्राप्त की और पंडित शंभूनाथ शुक्ल विंध्य प्रदेश के निर्विरोध मुख्यमंत्री चुने गए. शंभूनाथ शुक्ल के नेतृत्व में सरकार चुनी गई और 1956 में मध्य प्रदेश का जब गठन हुआ, जिसमें शंभूनाथ शुक्ल को मध्य प्रदेश का प्रथम वन मंत्री नियुक्त किया गया. पंडित शंभूनाथ शुक्ल शिक्षा विभाग, वन विभाग, वित्त मंत्रालय, अन्य कई वरिष्ठ विभाग के मंत्री रहे, मध्यप्रदेश में इनकी गिनती तीसरे नंबर के कद्दावर नेताओं के रूप में होती थी. रीवा से सांसद रहे, अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे.
देश को ताकतवर संविधान देने में अहम भूमिका
पंडित शंभूनाथ शुक्ल साल 1949 में भारतीय संविधान सभा के सदस्य रहे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ, उन्होंने विश्व भ्रमण किया और देश को एक ताकतवर संविधान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पंडित शंभूनाथ शुक्ल का जन्म 18 दिसंबर 1903 में मध्यप्रदेश के विन्ध्य में शहडोल जिले में हुआ था, पंडित शंभूनाथ शुक्ल को शहडोल जिले का निर्माता भी कहा जाता है. भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 21 अक्टूबर 1978 को पंडित शंभूनाथ शुक्ल का स्वर्गवास हो गया था.
विन्ध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश के नायक थे शंभूनाथ
पंडित शंभूनाथ शुक्ल पर शोध कर चुके प्रोफेसर शिव कुमार दुबे बताते हैं कि पंडित शंभूनाथ शुक्ल विंध्य प्रदेश के ही नहीं बल्कि पूरे देश के नायक थे. स्वाधीनता आंदोलन के प्रथम पंक्ति के नेताओं में माने जाते थे. गांधी जी के साथ में 17 साल की आयु में ही जब इलाहाबाद में पढ़ते थे, तब गांधी के स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े थे और वह यात्रा फिर उनकी कभी नहीं रुकी और देश की आजादी के बाद ही रुकी और देश की आजादी के बाद जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो उन राज्यों के गठन में विंध्य प्रदेश बड़े ही महत्वपूर्ण सांस्कृतिक भौगोलिक समृद्धि वाला एक प्रदेश के रूप उभरकर सामने आया और ये हम लोगों का और शहडोल के लोगों का सौभाग्य है कि वो विंध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने थे.
प्रथम मुख्यमंत्री किसी भी देश संस्था प्रदेश संगठन का जो प्रथम व्यक्ति होता उसकी जो योग्यता है अगर वो व्यापक है तो उसका परिणाम धरातल पर दिखाई देता है और उसका परिणाम धरातल पर दिखाई दिया. पंडित शंभूनाथ शुक्ल एक ऐसे व्यक्ति थे जो आम आदमी के साथ नौजवानों के साथ यहां की संस्कृति के साथ यहां की लोक कला के साथ यहां नौजवानों को रोजगार देने के साथ यहां के आम जनता को चिकित्सा सुविधा देने के साथ एक बहुआयामी सोच वाले व्यक्ति, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में न केवल ब्रिटिश हुकूमत के कष्ट को सहन किया, बल्कि जमीनी स्तर पर लोगों की पीड़ा को भी झेला.
शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार में बड़ा योगदान
प्रोफेसर शिव कुमार दुबे बताते हैं कि शंभूनाथ शुक्ल को पढ़ाई के लिए उन्हें जब शहडोल से इलाहाबाद जाना पड़ा था तो उन्होंने उसी दिन संकल्प ले लिया था कि बड़े पैमाने पर प्रदेश में उच्च शिक्षा का विस्तार करना है. जिससे यहां के गांव देहात निर्धन किसानों के बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित न रहें और इसी के परिणाम स्वरूप सबसे पहले रीवा में दरबार कॉलेज जो वर्तमान में टीआरएस कॉलेज है, ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय जो पूर्व से अस्तित्व में था उसके साथ सतना में स्नातकोत्तर शिक्षा का कोई प्रबंध नहीं था वहां पर स्नातकोत्तर कॉलेज खोलने के लिए प्रयास किया और जन सहयोग के माध्यम से जो एक मैचिंग ग्रांट होती है. सरकार को देनी होती है उसका जन सहयोग से संकलन किया 50 हज़ार रुपये और शासन के पास जमा कराया, और उसके बाद शहडोल में उन्होंने मैचिंग ग्रांट जन सहयोग से इकट्ठा की और शासन के पास जमा कराया.
इसके बाद शहड़ोल में 1956 में महाविद्यालय स्थापित हुआ. पहला तो उनका जो सबसे बड़ा योगदान था वो शिक्षा में था सतना में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना शहडोल में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना शहडोल में शिक्षकों की ट्रेनिंग का केंद्र स्थापित करना माइनिंग का केंद्र था, तो माइनिंग पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना एक तरह से विन्ध्य प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक बयार बहाने की बड़ी भूमिका रही.
क्षेत्र में उद्योगों का विस्तार
औद्योगिक क्षेत्रों में उनकी बहुत रुचि थी, क्योंकि उद्योगों से अन्य सपोर्टिंग व्यवसाय विकसित होते हैं, न केवल लोगों को रोजगार मिलता है, बहुआयामी विकास होता है, लोगों को रोजगार मिलता है. इसके लिए उन्होंने बिड़ला से आग्रह करके यहां पर शहड़ोल में ओरियंट पेपर मिल, जो एशिया का सबसे बड़ा कागज का कारखाना था, इसकी स्थापना करवाई. सतना में बिड़ला का प्लांट स्थपित करवाया. चचाई में जो अमरकंटक जल विद्युत केंद्र है, उसकी स्थापना करवाई और इसके साथ ही उन्होंने कई ऐसे कार्य किये कई ऐसे साधन उस दौर में बनाये जिससे लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके.
बाण सागर बांध की बात उसी दौर में चल पड़ी थी
प्रोफेसर शिव कुमार दुबे कहते हैं कि जब वो पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिले थे तो उसी समय ये नींव रख दी गई थी. बाण सागर परियोजना की सोन नदी पर एक व्यापक बांध बने, जिससे नहरे बनें जल विद्युत केंद्र बनें. उसकी बात उन्हीं के समय से चलनी शुरू हो गई थी और एक प्रकार से पंडित शंभूनाथ शुक्ल आम जनता, किसान, शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, प्रद्योगिकी शिक्षा, ऊर्जा इन सब में एक बड़ी व्यापक सोच रखने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने कुछ ही साल में विन्ध्य प्रदेश में वो सारी सुविधा स्थापित कर दिए थे, जिनका आज के समय में भी हम सपना देखते हैं.
विन्ध्य के विकास की नींव मुख्यमंत्री रहते ही रख दी थी
पंडित शंभूनाथ शुक्ल जब मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने तो उसी समय से उन्होंने विंध्य में विकास की एक मजबूत नींव रखी थी. आज भी लोगों का मानना है कि जो विंध्य क्षेत्र में विकास हो रहे हैं कहीं न कहीं उन मजबूत नींव पर आधारित ही हो रहे हैं. एक तरह से कहा जाए तो विन्ध्य के विकास में पंडित शंभूनाथ शुक्ल का भी एक बड़ा योगदान रहा है, उस दौर में एक कद्दावर नेताओं में से एक थे.