शहडोल। जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था . एक बार फिर मानसून की वापसी हुई और दोपहर बाद से ही आसमान में बादल उमड़ घुमड़ करने लगे और शाम होते-होते बारिश की शुरुआत भी हो गई, अभी ज्यादा बारिश तो नहीं हुई है, कहीं तेज बारिश हुई तो कहीं रिमझिम फुहार पड़ी. अभी भी आसमान में घने बादल छाए हुए हैं. किसानों को अब आस है कि जब मानसून की वापसी हो गई है तो इंद्रदेव जरूर मेहरबान होंगे.
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लंबे समय बाद हुई बारिश
शहडोल जिले में पिछले कुछ दिनों से काफी तेज धूप हो रही थी और तेज गर्मी पड़ रही थी, जिसकी वजह से किसान मायूस थे क्योंकि उनकी फसलें सूखने लगी थीं, लंबे समय बाद हुई बारिश ने एक बार फिर लोगों को राहत दी है, शहडोल जिले में रविवार की शाम कहीं अच्छी बारिश हुई तो कहीं बूंदाबांदी हुई, जबकि कई जगह रिमझिम फुहार ही पड़ी. उम्मीद है कि रात तक हर जगह झमाझम बरसात होगी. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ.
किसानों के चेहरे खिले
झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं, लंबे समय से किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे थे क्योंकि उनकी फसलें सूखने लगी थी. धान की नर्सरी सूखने के कगार पर थी. कुछ दिन और बारिश नहीं होती तो पूरी तरह से फसल चौपट हो जाती, ऐसे में बारिश होतो ही किसानों के चेहरे खुशी से खिल गए हैं.
किसान बोले अब बरसेंगे मेघ
एक बार फिर से मानसून की वापसी से किसान खुश हैं. किसानों का कहना है कि भले ही अभी कम बारिश हुई है, जितना पानी उनके खेतों को चाहिए, उतना पानी अभी नहीं मिला है. किसानों का मानना है कि एक बार फिर से जब मानसून की वापसी हुई है तो झमाझम बारिश होगी और जिस तरह से आसमान में घने बादल छाए हैं, उसे देख यही लग रहा है कि जिले में अच्छी बारिश होगी, किसानों को भरोसा है कि एक बार फिर से जिले में बरसेंगे मेघ.
जिले में फसलों का रकबा बढ़ा
जिले में मानसून की अच्छी शुरुआत देखते हुए खरीफ की फसलों के बेहतर उपज की उम्मीद किसानों को इस साल थी, पिछले साल की अपेक्षा लगभग 10,000 हेक्टेयर के रकबे में बोवनी की बढ़ोतरी हुई है, कृषि विभाग के अनुसार लगभग 2.10 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य था, जोकि गत वर्ष 1.99 लाख हेक्टेयर था. धान का रकबा गत वर्ष 152, था जो इस वर्ष 164 हजार हेक्टेयर हो गया है.
शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य है और यहां पर आज भी खरीफ के सीजन में बहुतायत में खेती होती है, एक तरह से कहा जाए तो सबसे बड़े रकबे में खरीफ के सीजन में खेती होती है. सबसे ज्यादा धान की फसल लगाई जाती है, ऐसे में धान की फसल को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, यहां की खेती की खास बात और है कि खरीफ के सीजन में सबसे ज्यादा खेती इसलिए होती है क्योंकि बारिश अच्छी होती है. ऐसे में बारिश नहीं होती है तो किसान मायूस हो जाते हैं, मुश्किल में फंस जाते हैं.