शहडोल। पिछले 2 दिन से जिले में बादल के साथ सूर्य की आंख मिचौली चल रही है. कभी भी आसमान में बादल छा जाते हैं तो कभी एकदम मौसम साफ हो जाता है. शनिवार सुबह से ही आसमान घने कोहरे से घिरा रहा. ऐसे में ठंडक भी बढ़ने का एहसास होता रहा.
बादल और कोहरे ने बढ़ाई ठंडक
बढ़ती हुई ठंड से लोगों का हाल बेहाल है. वहीं आसमान में बादल छाए हुए हैं. जंगलों से घिरा होने के चलते जिले में हर वर्ष अच्छी ठंड पड़ती है. ठंड अपना स्तर दिसंबर के मध्य से बढ़ाती है, लेकिन अचानक बढ़ी इस सर्दी से लोग परेशान हो गए हैं. आलम यह है कि पिछले दो-तीन दिनों से लोग अलाव जला रहे हैं. रात होते ही 9 बजे के बाद सड़कें खाली दिखने लगती हैं, और जिस तरह से मौसम बदला है उसके बाद लोगों को डर है कहीं बारिश ना हो .अगर बारिश हुई तो ठंडक और ज्यादा बढ़ सकती है.
मौसम की रिपोर्ट
मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी बताते हैं कि जो मौसम विभाग से उन्हें मध्यम अवधि के पूर्वानुमान मिले हैं, उसमें शहडोल जिले में अगले 5 दिनों के दौरान बारिश नहीं होने की संभावना है. अधिकतम तापमान इस दौरान 28 से 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 से 11 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है. सुबह के समय आद्रता 71 से 85% और दोपहर में 30 से 37% रहने की उम्मीद है. हवा उत्तर पूर्व दिशा में 6.0 से 7.0 किलोमीटर प्रति घंटा की औसत गति से चलने की संभावना है.
रबी सीजन की खेती वाले किसानों को एक्सपर्ट की सलाह
चने की फसलः कृषि वैज्ञानिकों ने इस बदलते मौसम को देखते हुए सलाह दी है कि अगले 5 दिनों के दौरान किसानों को चने की फसल जिनकी लगभग 30 से 35 दिन की बुवाई हो गई है, वह सिंचाई करें. इसके अलावा शुरुआती बोई गई चने की फसल पर जड़ सड़न रोग का प्रकोप दिखाई देने पर फसल का सतत निरीक्षण करें. रोग को कंट्रोल करने के लिए रिडोमिल 1.5 से 2.0 ग्राम प्रति लीटर की दर से जड़ों के चारों ओर छिड़काव करें. चने की फसल जब लगभग 25 से 30 दिनों की हो जाए तब पौधों की ऊपरी शाखाओं की हल्की तुड़ाई करें, जिससे अधिक शाखाएं निकल सके प्रथम सिंचाई शाखाएं निकलते समय बुवाई के 30-35 दिनों के बाद करने की सलाह दी जाती है.
गेहूं की फसल लेने में यह सावधानी बरतें
जिन किसानों ने गेहूं की बोवनी नवंबर माह के पहले हफ्ते में कर दी है वह पहली सिंचाई 20 से 25 दिन की अवस्था में शीर्ष जड़ जमने के समय करें. सिंचाई के बाद नाइट्रोजन उर्वरक की शेष बची मात्रा की आधी मात्रा सिंचाई के बाद दें.
सरसों की फसल वाले किसान
तापमान में कमी और इसके संभावित दुष्परिणामों को देखते सरसों की फसल वाले देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. औसत तापमान में कमी को मद्देनजर रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करते रहें.
आलू की फसल वाले किसान क्या करें?
आलू की फसल लगाने वाले अगले 5 दिनों के दौरान मौसम की स्थिति को देखते हुए 1 माह पूर्व बोई गई पुरानी आलू की फसल में सिंचाई के बाद उर्वरक का प्रयोग करें. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि अगर फसल की ऊंचाई 15 से 22 सेंटीमीटर हो गई है तो आलू में मिट्टी चढ़ाने का कार्य किया जाना चाहिए. यदि आवश्यक है तो ये अभ्यास 15 दिनों के बाद फिर से दोहराया जा सकता है.
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प्याज की फसल वाले किसानों को सलाह
प्याज की फसल लगाने वाले इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से भी घटित हुई गोबर की खाद और पोटाश उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें.
टमाटर की फसल वाले किसान
टमाटर जो अपनी महंगाई को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है जो किसान टमाटर की खेती कर रहे हैं, वो इस मौसम में सावधान रहें. हवा में अधिक नमी के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. फसल की नियमित रूप से निगरानी करें, लक्षण दिखाई देने पर कार्बडिज़म 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाइथेनएम-45, 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें,
गोभी की फसल लगाने वाले किसान
जिन किसानों की टमाटर फूल गोभी बंद गोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है वह मौसम को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं. गोभी वर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें.
पशुपालकों को सलाह
इसके अलावा पशुपालकों को भी सलाह दी गई है कि जो दूध देने वाले पशुओं के आहार में हरे चारे के साथ खनिज लवण आदि प्रदान करें, साथ ही उन्हें संतुलित आहार एवं ताजा पानी पिलाएं.
पोल्ट्रीफार्म वाले किसान
चूजा पालने वाले इस समय के दौरान आमतौर पर मौसम की स्थिति के कारण कम प्रकाश की अवधि होती है इसलिए किसानों को पोल्ट्री फॉर्म में प्रकाश की अवधि बढ़ाने की सलाह दी जाती है.