शहडोल। कोरोना की पहली लहर जहां शहर और बुजुर्गों तक सिमित थी, वहीं दूसरी लहर ने कई गांव और युवा को भी अपनी चपेट में ले लिया. आज भी कई गांवों में कोरोना के एक्टिव मरीज हैं. एक तरह से कहा जाए तो कोरोना कितना भयावह है गांव वालों ने भी काफी करीब से देखा है. वर्तमान समय में कोरोना से लड़ाई में vaccination को ही अहम हथियार माना जा रहा है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन को लेकर फैली भ्रामक जानकारी के कारण ग्रामीण वैक्सीन लगवाने से बच रहे है. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां भी कोरोना का टीका लगातार लगाया जा रहा है, लेकिन आदिवासी बाहुल्य जिले में खासकर ग्रामीण इलाकों में आदिवासियों के बीच कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर काफी मायूसी देखी जा रही है. या यूं कहें कि ये वर्ग कोरोना वैक्सीनेशन से दूरी बनाते नजर आ रहा है. आखिर इसके पीछे की क्या वजह है, ग्रामीण इलाकों के आदिवासी समाज के अधिकतर लोग कोरोना के खिलाफ इस टीकाकरण अभियान से दूरी क्यों बना रहे हैं.
- नई गाइडलाइन के कारण भी आ रही वैक्सीनेशन में कमी
ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर क्या हालात हैं, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूर सिंहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. जहां हमने सिंहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉक्टर राजेश मिश्रा से संपर्क किया, ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर डॉ. राजेश मिश्रा बताते हैं कि दूसरे चरण के वैक्सीनेशन में पहली खुराक लगभग 47 प्रतिशत लोगों को लग चुकी थी, इसके बाद जो दूसरी खुराक लग रही है, उसमें थोड़ी कमी आई है. हलांकि डॉक्टर राजेश मिश्रा ने बताया कि अभी इस कमी की एक वजह दूसरे डोज को लेकर नई गाइडलाइन भी है, जिसमें दूसरे डोज के बीच में कुछ दिन का अंतर बढ़ा दिया गया है.
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- ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन के प्रति जागरूकता की आवश्यक्ता
बीएमओ डॉक्टर राजेश मिश्रा कहते हैं कि जो 18 प्लस का वैक्सीनेशन है. उसके प्रति लोगों का उत्साह अभी फिलहाल देखने को मिल रहा है और वैक्सीनेशन हो रहा है. सभी लोग वैक्सीनेशन करवा रहे हैं, लेकिन इस बीच बीएमओ डॉक्टर राजेश मिश्रा भी मानते हैं कि आदिवासी वर्ग के बीच थोड़ी जागरूकता की और आवश्यकता है. उन्हें थोड़ी काउंसलिंग की आवश्यकता है. हलांकि इस बीच डॉक्टर राजेश मिश्रा को भरोसा है कि धीरे-धीरे सभी लोग वैक्सीनेशन के लिए आएंगे. डॉक्टर राजेश मिश्रा लोगों को सलाह देते हुए कहते हैं कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अहम हथियार है, बिना टीकाकरण के आप कोरोना से सुरक्षित नहीं रह सकते हैं, इसलिए टीकाकरण अत्यंत आवश्यक है.
- ग्रामीणों के मन में वैक्सीन को लेकर फैल रहा भ्रम
कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर आदिवासी बाहुल्य गांवों में लोगों के बीच इतना डर क्यों है, इसे जानने के लिए हम उन्हीं के समाज के कुछ ऐसे लोगों के पास पहुंचे जिनका उठना बैठना समाज के लोगों के बीच में है. पूर्व सरपंच केशव कोल बताते हैं कि वैक्सीन को लेकर गांव में आदिवासी समाज के बीच एक अलग ही अफवाह फैल गई है. और वह उनके मन में घर कर गई है. जिसे लेकर उनके बीच में काफी दहशत है. उन्हें डर है कि कहीं कोरोना वैक्सीन लगने से उनकी जान ना चली जाए, कहीं वह बीमार ना हो जाएं, कहीं कोई और रोग ना पकड़ ले. केशव कहते हैं कि बहुत जरूरी है कि उनके दिमाग से इस भ्रम को बाहर निकाला जाए. शासन और प्रशासन तो अपने स्तर से लगातार प्रयास कर ही रही है, लेकिन आदिवासी समाज के जो प्रशिक्षित लोग हैं और जो आदिवासी नेता हैं उन्हें अपने लोगों के बीच में बैठना होगा और कोरोना वैक्सीन की अहमियत को समझाना होगा.
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- ग्रामीणों को ग्रामीण ही समझा सकते हैं
युवा समाज सेवी आशीष मिश्रा जो कि जोधपुर गांव के रहने वाले हैं, वे लगातार अलग-अलग गांव के लोगों के संपर्क में रहते हैं. वह कहते हैं कि कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में अफवाह है और इसे दूर करने के लिए जरूरी है, कि गांव के ही जो प्रतिष्ठित लोग हैं, सामाजिक लोग हैं, उनके समाज के नेता हों वो आगे आएं. क्योंकि गांव के लोगों को गांव वाले ही समझा सकते हैं.
- ग्रामीणों को वैक्सीन से लगता है डर
गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए शासन प्रशासन भी लगातार प्रयास कर रही है. प्रशासनिक अधिकारी लगातार गांव के दौरे कर रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं और उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर जो अफवाह फैली हुई है. वह आदिवासी समाज के कुछ लोगों के बीच में घर कर गई है. जिसके कारण ग्रामीण कोरोना वैक्सीन लगाने में डर रहे है.