Utpanna Ekadashi 2023। वैसे तो एकादशी में कई लोग व्रत करते हैं, तरह-तरह से पूजा पाठ करते हैं, लेकिन अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे उत्पन्ना एकादशी भी कहते हैं, यह विशेष होता है. सभी एकादशियों की तरह ही उत्पन्ना एकादशी भी भगवान विष्णु और देवी एकादशी को समर्पित होता है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की उत्पन्ना एकादशी बहुत विशेष होती है. इस दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं. जिन्हें करने से लाभ ही लाभ होता है.
जानिए कब है उत्पन्ना एकादशी: ज्योतिष अचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा की जाती है. पुराणों में वर्णन है शास्त्रों में यह उल्लेख है की इस दिन देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानते हैं. जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत करते हैं, उनके पाप मिट जाते हैं, उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है. उन पर भगवान विष्णु और देवी एकादशी की कृपा होती है. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि इस बार उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को पड़ने जा रही है.
उत्पन्ना एकादशी में जरूर करें ये काम: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत करने का विधान है. इस दिन जो भी जातक व्रत करते हैं. उन पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है. जिससे धन की वर्षा होती है. भाग्य उनका साथ देने लगता है. उनकी किस्मत बदल जाती है और लाभ ही लाभ होते हैं. ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी का जो भी व्रत करते हैं और विधि विधान से पूजन पाठ करते हैं. ऐसे जातकों से अगर कभी जाने अनजाने कोई पाप हो भी जाता है, तो उस पाप का नाश होता है.
उत्पन्ना एकादशी में यह व्रत कर लें, या फिर किसी तीर्थ स्थल व जाकर स्नान दान कर लें, उतना ही पुण्य मिलता है. मतलब इतनी दूर जाकर तीर्थ स्थलों पर स्नान करना दान पुण्य करने के बराबर ही है. अगर इस एकादशी में ही व्रत और विधि विधान से पूजा पाठ करने से फल मिल रहा है, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है.
व्रत की ऐसे करें शुरुआत: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह उठें. सुबह उठकर ही भगवान का स्मरण करें तालाब, नदी व कुएं में या शुद्ध जल लेकर स्नान करें या किसी बहते पानी में अगर स्नान करते हैं, तो और ज्यादा पुण्य मिलेगा और अगर गंगा जी में स्नान कर सकते हैं, तो उससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता. जो गंगा जी नहीं जा सकते हैं, तो तालाब या कुएं में भी स्नान कर सकते हैं.
स्नान करने के बाद पूजा की पूरी तैयारी कर लें. तरह-तरह के फूलों की व्यवस्था कर लें, धूप दीप की व्यवस्था कर लें और जहां पर भगवान विष्णु स्थापित है या कि आपका पूजा स्थल है. वहां पूजा की सामग्री रख दें. पूरी तैयारी कर लें और एकादशी के दिन उपवास के बाद स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. दिन में भी पूजा करें और फिर शाम में भी पूजा करें. उनके पूजन के साथ-साथ जो भी भजन कीर्तन कर सकते हैं. धार्मिक आयोजन कर सकते हैं, तो वह भी करें और फिर व्रत की समाप्ति के बाद भगवान विष्णु से क्षमा मांग लें कि जो भी गलती हो गई हो माफ करें.
यहां पढ़ें... |
अगले दिन द्वादशी के दिन फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को कोशिश करें कि भोजन कराएं. खासकर ऐसे ब्राह्मण जो गरीब और जरूरतमंद हैं. ऐसे ब्राह्मणों को भोजन कराने से और लाभ होगा. भोजन करने के बाद ब्राह्मणों को जो जरूरतमंद और गरीब हैं. ऐसे ब्राह्मणों को ढूंढ कर दान पुण्य करें तो इसका लाभ ही लाभ होगा.