शहडोल। रबी सीजन की खेती अब लगभग-लगभग समाप्ति की ओर है. इन दिनों फसलों की खरीदी भी चल रही है. मई का महीना शुरू होते ही किसान खरीफ के सीजन की तैयारियां भी शुरू कर देंगे. इससे बीजों का प्रबंधन, खेतों का प्रबंधन करने की शुरुआत भी हो जाएगी. ऐसे में बीजामृत कैसे किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है, कैसे बीजामृत बीजों के लिए अमृत है. इसके इस्तेमाल से कैसे बंपर उत्पादन ले सकते हैं. साथ ही लागत में भी कमी आएगी और आसपास मिलने वाली चीजों से आसानी से बनाया जा सकता है. (Benefits of Jeevamrit and method of making Jeevamrit)
बीजों के लिए यह है अमृत : कृषि वैज्ञानिक बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि, बीजामृत प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल होता है. इसे कम लागत में हम तैयार कर सकते हैं. यह भूमि जनित रोग के नियंत्रण के साथ बीज के अच्छे अंकुरण के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं. चने, मसूर और अलसी में उकठा के अलावा अलग-अलग तरह के जो रोग फसल में लगते हैं, इन सभी तरह की बीमारियों के लिए बीजामृत बहुत ही फायदेमंद होता है. बीजामृत के सही इस्तेमाल से फसल में किसी भी तरह के रोग नहीं लगते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो बीजामृत बीजों के लिए अमृत का काम करता है.
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ऐसे तैयार करें बीजामृत: बीजामृत को तैयार करने को लेकर कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसे को उन चीजों से बनाया जा सकता है, जो किसानों के घरों में अमूमन आसानी से उपलब्ध होता है. बीजामृत बनाने के लिए 20 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. 5 किलो देसी गाय का गोबर, 5 लीटर देसी गाय का मूत्र, 50 ग्राम खाने वाला चूना और 50 ग्राम खेत की उपजाऊ मिट्टी लेना होती है. उपजाऊ मिट्टी अगर बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की है तो अति उत्तम होगा. एक मुट्ठी भी अगर हम मिट्टी लेते हैं तो ये 50 ग्राम के बराबर होती है. बताई गई मात्रा के अनुसार इसे एक ड्रम में ले लेते हैं. इसे एक हफ्ते तक रखते हैं. डंडे से सुबह शाम चलाते रहते हैं. एक हफ्ते बाद हमारा बीजामृत पूरी तरह से तैयार हो जाता है. (method of making jeevamrit)
ऐसे करें बीज को उपचारित: बृजकिशोर के मुताबिक बीजामृत मुख्यत: बीज को उपचारित करने के काम आता है. बीज को उपचारित करने के लिए 20 एमएल बीजामृत एक किलोग्राम किसी प्रकार के बीज को उपचारित करने के लिए पर्याप्त होता है. तय मात्रा के मुताबिक इसे बीज में मिलाकर रात भर रखना होता है. इसके बाद बीज उपचारित हो जाता है. फिर दूसरे दिन उपचारित बीज को खेत में बुवाई कर सकते हैं.
किसानों के लिए बड़ा वरदान: बीजामृत के इस्तेमाल से किसानों की बाजार में डिपेंडेंसी खत्म होती है. लागत में कमी आती है. इसे आसपास के जो संसाधन हैं, उसी से आसानी से तैयार कर सकते हैं. बस थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत होता है. बीजामृत किसानों के लिए तो अमृत है ही साथ ही किसानों के लिए एक बड़ा वरदान भी है.
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रासायनिक दवा की बचत: बीजामृत के इस्तेमाल से किसानों की खेती में लागत भी कम होगी, तो उत्पादन भी बंपर मिलेगा. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आप बीजामृत का इस्तेमाल करते हैं तो बीजों को उपचारित करने के लिए दूसरी रासायनिक दवा नहीं खरीदनी पड़ेगी. इसमें कम पैसे खर्च होंगे. बीजामृत से खेत का भी पोषण होता है. बीजामृत से बीज को उपचारित करने से रोग नहीं लगते. फसल को बोने से लेकर काटने तक कई तरह के रोगों से हमारे फसल की सुरक्षा होती है.
कम लागत में अधिक उत्पादन: कृषि वैज्ञानिक की मानें तो बीज के लिए जो हानिकारक कवक होते हैं बीजामृत न केवल उससे बचाता है, बल्कि जो भूमि में फायदेमंद केंचुए, राइजोबियम सूक्ष्मजीव, बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद पोषक तत्व है. इन सभी की संख्या को भी बढ़ाने का कार्य करता है. इसके कारण बीज में अंकुरण अच्छा होता है. पौधे की जड़ मजबूत बनती हैं. पौधों में जो बीमारियां लगने की समस्याएं होती हैं वह भी नियंत्रित हो जाती है. प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए नई नई चीजों को सीखना आवस्यक है. इसको अपनाने से कृषि में कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है.